किशनगंज : टीबी के बढ़ते मामलों से विचलित होकर अर्जुन मरीजों की सेवा के लिये हुए प्रेरित।

अर्जुन के प्रयास से नियमित दवा का सेवन कर टीबी मुक्त हो चुके हैं 100 से अधिक मरीज।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, बशर्ते इसका समय से उपचार शुरू कर दिया जाए। इसमें लापरवाही की तो यह गंभीर रूप धारण कर सकती है। टीबी को खत्म करने न केवल स्वास्थ्य कर्मी बल्कि समाज के कई लोग डॉक्टर प्रोवाइडर बनकर दूसरों को टीबी से उबारने में मदद कर रहे हैं। हम बात कर रहे है किशनगंज जिले के ग्रामीण क्षेत्र के टेयूसा पंचायत 40 वर्षीय अर्जुन कुमार चौहान की। उन्होंने आसपास में लगातार टीबी की घटनाओं से विचलित होकर अर्जुन ने टीबी मरीजो को नियमित रूप से टीबी की दवा खिला रहे है। साथ देते हुए टीबी के प्रति जो समाज में सोच है। उसे तोड़ते हुए लगातर मरीजो के साथ हुए भेदभाव एवं गरीबी के कारण आवश्यक पोषक तत्व की प्राप्ति न होना तथा बीमार होने के बाद भी लगातार मजदूरी करना साथ ही नियमित जांच व दवा के सेवन की जानकारी न होने से काफी दिक्कत होती थी तथा उनके पास कोई उपाय भी नहीं है। विभाग अपने स्टार से लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन कई ऐसे क्षेत्र भी है जो छुट ही जाता है। ऐसी स्थिति को अर्जुन ने काफी नजदीक से देखा है। इसी से प्रेरित होकर उसने मन में थाना की अब उसके आस पास का कोई भी व्यक्ति का टीबी रोग से मृत्यु नहीं होगी। वो फिर जिले के सदर अस्पताल में टीबी विभाग से संपर्क कर टीबी रोगी के लिए कार्य करने की इक्षा जताता है। आज वो अपने क्षेत्र के लगभग 100 से अधिक लोगो को टीबी की दवा खिलाकर ठीक कर चूका है। इन्होंने कई ऐसे लोगों का इलाज भी शुरू कराया जो इलाज से कतरा रहे थे। ये लोगों को बीमारी से मुक्ति दिलाने के लिए उन्हें जागरूक करने का काम कर रहे हैं। वे बताते हैं कि अब वह टीबी से जूझ रहे लोगों का इलाज कराकर उन्हें नया जीवन देने का काम के साथ मुहल्ले में जब कोई उन्हें ऐसा संभावित मरीज लगता है। तो वह उसे सदर अस्पताल में जांच कराने की सलाह देते है। साथ ही लोगों को जागरुक करने का काम कर रही हैं। इसके अलावा विभाग की ओर से संचालित होने वाले एसीएफ (सक्रिय रोगी खोज) अभियान में मरीजों को खोजने का काम भी करते हैं। अर्जुन बताते ही की जब वे टीबी मरीज के पास जाते हैं। तो पहले उनको समझाते हैं। टीबी से संक्रमित होने के बाद उचित जानकारी के अभाव में ससमय सही चिकित्सीय उपचार न हो पाने की स्थिति में शारीरिक, मानसिक, समाजिक एवं आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पर सकता है। वहीं इन्होंने टीबी रोगी के जीवन की इन चुनौतियों से सीख लेते हुए ये तय कर लिया है। आजीवन टीबी मरीजों की नियमित देख-भाल और व्यापक स्तर पर इसके प्रचार-प्रसार करते रहेंगे ताकि इससे रोकथाम संभव हो सके और कोई भी भटकाव से बच सके। अर्जुन के स्वैच्छिक पहल की प्रशंसा करते हुए जिला यक्ष्मा पादाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि इनके द्वारा जिले के किशनगंज प्रखंड में समय-समय पर टीबी के प्रति जागरूकता से टीबी के संबंध में समाज में जागरूकता को बल मिला है। और डॉट्स का प्रभाव आशा अनुरूप होने में सहायक सिद्ध हुआ है।