कला एवं संस्कृति विभाग, बिहार सरकार 6 दिवसीय शीतकालीन कार्यशाला का भव्य शुभारंभ स्थान: भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/कला एवं संस्कृति विभाग, बिहार सरकार के अंतर्गत बिहार ललित कला अकादमी, पटना एवं भारतीय नृत्य कला मंदिर, पटना के संयुक्त सौजन्य से आयोजित 6 दिवसीय शीतकालीन कार्यशाला का शुभारंभ आज भव्य रूप से हुआ। यह कार्यशाला 30 दिसम्बर 2025 से 4 जनवरी 2026 तक आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रदेश भर से आए हुए बच्चों को विभिन्न कलाओं में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
इस कार्यशाला के अंतर्गत बच्चों को चित्रकला, काष्ट कला, भोजपुरी कला हस्तकला (गुड़िया–खिलौना निर्माण), सामाजिक विषयों पर कार्टून कला के साथ-साथ नृत्य, गायन एवं वादन जैसी विधाओं में विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कार्यशाला के प्रथम दिवस का भव्य उद्घाटन “तमसो मा ज्योतिर्गमय” की भावना के अनुरूप दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। दीप प्रज्वलन माननीय कला एवं संस्कृति मंत्री श्री अरुण शंकर प्रसाद, सांस्कृतिक कार्य निदेशालय की निदेशक श्रीमती रूबी, भारतीय नृत्य कला मंदिर की प्रशासी पदाधिकारी एवं विभाग की उप सचिव सुश्री कहकशां द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए माननीय मंत्री श्री अरुण शंकर प्रसाद ने कहा कि कला का संरक्षण और संवर्धन पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण से ही संभव है। उन्होंने इस प्रकार की कार्यशालाओं को भावी पीढ़ी के लिए अत्यंत आवश्यक बताते हुए आयोजन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं।
वहीं सांस्कृतिक कार्य निदेशालय की निदेशक श्रीमती रूबी ने अपने संबोधन में कहा कि आने वाली पीढ़ी ही कलाओं का वास्तविक संवर्धन कर सकती है और संवर्धन के माध्यम से ही संरक्षण सुनिश्चित होता है। उन्होंने बच्चों में कला के प्रति रुचि विकसित करने के लिए इस तरह के आयोजनों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना से हुई। इसके उपरांत मैथिली झूमर, फिर धान की कटाई के दौरान गाँवों में गाए जाने वाले अगहन गीत की प्रस्तुति हुई। इसके बाद मकर संक्रांति को समर्पित” खिचड़ी, के चार यार चोखा-पापड़-घी-अचार की सांस्कृतिक प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति चार ताल पर शिव वंदना नृत्य रही।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन भारतीय नृत्य कला मंदिर की प्रशासी पदाधिकारी सुश्री कहकशां ने किया, जबकि मंच संचालन श्रीमती सोमा चक्रवर्ती द्वारा किया गया।
यह शीतकालीन कार्यशाला बच्चों में रचनात्मकता को बढ़ावा देने के साथ-साथ बिहार की समृद्ध कला एवं सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल सिद्ध होगी।


