किशनगंज,17दिसम्बर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, ठाकुरगंज के पावर हाउस चौक स्थित कथित अवैध नर्सिंग होम New Forest Hospital एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में है। कुछ दिन पूर्व यहां कराए गए एक ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की कथित घोर लापरवाही सामने आई है, जिसमें मरीज के पेट के अंदर सर्जरी में प्रयुक्त टेट्रा (रुई) और कैंची छोड़ दी गई।
लगातार तबीयत बिगड़ने पर जब मरीज को किशनगंज के एक निजी अस्पताल में दोबारा भर्ती कराया गया, तो पुनः ऑपरेशन के दौरान पेट से करीब आधा किलो रुई (टेट्रा) और एक कैंची निकाले जाने की बात सामने आई। यह मामला न केवल चिकित्सा लापरवाही का, बल्कि मरीज के जीवन से सीधे खिलवाड़ का गंभीर उदाहरण माना जा रहा है।
रिश्तेदार का इलाज, फिर बढ़ती गई परेशानी
सूत्रों के अनुसार, यह मरीज पौआखाली नगर पंचायत के पैक्स अध्यक्ष तोहिद आलम के रिश्तेदार हैं, जिनका कुछ दिन पहले ठाकुरगंज स्थित New Forest Hospital में ऑपरेशन कराया गया था। ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत लगातार बिगड़ती चली गई, पेट में असहनीय दर्द और अन्य जटिलताएं बनी रहीं।
परिजनों द्वारा जब स्थिति को गंभीर मानते हुए किशनगंज के एक निजी अस्पताल में जांच कराई गई, तो सच्चाई सामने आई। डॉक्टरों ने तत्काल दोबारा सर्जरी कर मरीज के पेट से सर्जरी के दौरान छोड़ी गई सामग्री निकाली।
“अवैध अस्पताल पर कड़ी कार्रवाई जरूरी”
मामले की जानकारी देते हुए पौआखाली नगर पंचायत के मुख्य पार्षद प्रतिनिधि अहमद हुसैन उर्फ लल्लू ने इस घटना को बेहद निंदनीय और गंभीर बताया। उन्होंने कहा कि “New Forest Hospital पूरी तरह से अवैध है। इस तरह के अस्पतालों के संचालक खुलेआम मरीजों की जान से खेल रहे हैं। इस मामले की निष्पक्ष जांच कर अस्पताल संचालक पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी और मरीज के साथ ऐसा न हो।”
उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की कि जिले में चल रहे सभी अवैध नर्सिंग होम की गहन जांच की जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
बड़ा सवाल: कार्रवाई क्यों नहीं?
यह पहला मामला नहीं है जब ठाकुरगंज या आसपास के क्षेत्रों में अवैध नर्सिंग होम पर गंभीर आरोप लगे हों। आए दिन इलाज में लापरवाही, फर्जी डॉक्टर, बिना पंजीकरण ऑपरेशन और मरीजों की जान जोखिम में डालने के वीडियो व शिकायतें सामने आती रही हैं।
इसके बावजूद सवाल यह है कि आखिर ऐसे अवैध अस्पतालों पर समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं होती?
क्या स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की निगरानी व्यवस्था कमजोर है, या फिर इन नर्सिंग होम को किसी प्रकार का संरक्षण प्राप्त है?
प्रशासन की भूमिका पर नजर
यह मामला जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग दोनों के लिए एक कसौटी है। यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह संदेश जाएगा कि अवैध इलाज करने वालों को कानून का कोई भय नहीं है।
अब देखना यह है कि क्या यह मामला सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित रहता है, या फिर वास्तव में जांच कर दोषियों पर कानून का डंडा चलता है।


