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*गर्मी में पशु-पक्षियों के लिए पीने का पानी मुहैया कराने को लेकर आगे आएं आम लोग*

गर्मी को देखते हुए पशुपालन निदेशालय ने विज्ञापन जारी कर की यह अपील

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/ गर्मी में पशु-पक्षियों के लिए आप भी कर सकते हैं पानी की व्यवस्था
· लोगों के छोटे प्रयास से बचाई जा सकती है मूक पशु-पक्षियों की जान
· इन दिनों भीषण गर्मी से पशु-पक्षियों के समक्ष भी होता है पेयजल संकट

इस तपती गर्मी में जहां इंसान पंखों और कूलरों की ठंडी हवा में राहत ढूंढते हैं, वहीं पशु-पक्षी प्यास से तड़पते रह जाते हैं। हरियाली में आ रही कमी, जलाशयों के सूखने और नदियों के जलस्तर में गिरावट के कारण इन मूक प्राणियों के सामने पानी का संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि आम लोग भी थोड़ी सी जागरूकताऔर छोटे-छोटे प्रयासों से इन मूक जीवों की जान बचा सकते हैं।

गर्मी को देखते हुए बिहार सरकार के पशुपालन निदेशालय ने पशु-पक्षियों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जनता से सहयोग कीअपील की है। इसके लिए एक विज्ञापन भी जारी किया है जिसमें कहा गया है कि, पशु-पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था एक जरूरत है। गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है। मूक पशु-पक्षियों को, संचित एवं बहते जल स्रोतों की कमी के कारण प्यास से तड़पनापड़ता है। गर्मी में पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए हमें प्रयास करना चाहिये।

पशुपालन निदेशालय ने कहा है कि गर्मियों में कई परिदों व पशुओं की मौत पानी की कमी के कारण हो जाती है। हमारा थोड़ा सा प्रयारा घरों के आस-पास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझाकर उसकी जिंदगी बचा सकताहै। पानी न मिले तो पक्षी बेहोश होकर गिर पड़ते हैं। पशु चिकित्सा विज्ञान के अनुसार नमक और ऊर्जा पक्षियों के लिए जरूरी है। इसकी पूर्ति खनिज लवण युक्त पानी से ही हो सकती है।

*यह कर सकते हैं आम लोग*

इस अपील में पशुपालन निदेशालय ने कहा है कि गर्मी में अपने घरों के बाहर, छतों पर, बालकनी में, परकोटों पर पानी के बर्तन भरकर रखें, जिससे मवेशी व परिंदें पानी देखकर आकर्षित होते हैं और हो सके तो छतों पर पक्षियों के लिए छाया की व्यवस्था भी करें। उपयोग में लाये गये नारियल डाभ में पक्षियों को पानी परोसने एवं आश्रय प्रदान करने के लिए उपयुक्त हो सकता है जो कि बायो-वेस्ट प्रबंधन का एक उदाहरण भी है। पक्षियों के शरीर में इलेक्ट्रॉलाइट्स की मात्रा संतुलित रहे इसके लिए पानी में गुड़ की थोड़ी मात्रा मिलानी चाहिये। कम पानी वाले सार्वजनिक जल स्रोतों को गंदा न करें, इससे पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था हो सकती है।

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