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BAU Ranchi : मशरूम की व्यावसायिक खेती एवं प्रशिक्षण को मिल रहा बढ़ावा, 4.5 क्विंटल हो रहा उत्पादन 

बीएयू (BAU) और आइसीएआर पलांडू (ICAR) द्वारा संचालित दो दो संस्थाएं राज्य भर के किसानों को बटन मशरुम के उत्पादन का प्रशिक्षण दे रही हैं - जिसका लाभ राज्य के करीब 1000 किसानों को इसका सीधा लाभ भी मिल रहा है 


रांची : बिरसा एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी रांची (BAU Ranchi) में परंपरागत खेती के साथ साथ मशरुम (Mushroom) की विभिन्न प्रजाति की खेती को व्यावसायिक रुप दिया जा रहा है। बीएयू में ढिंगरी मशरुम, सफेद दूधिया मशरुम समेत अन्य प्रजातियों की खेती पिछले 15 वर्षों से हो रही है लेकिन बाजार में बटन मशरुम की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे बड़े पैमाने पर शुरु करने की योजना बनाई गई है। बीएयू (BAU) और आइसीएआर पलांडू द्वारा संचालित दो दो संस्थाएं राज्य भर के किसानों को बटन मशरुम के उत्पादन का प्रशिक्षण दे रही हैं। जिसका लाभ राज्य के करीब 1000 किसानों को इसका सीधा लाभ भी मिल रहा है। वहीं रांची शहर में डंगरा टोली, रातू रोड और डोरंडा क्षेत्र में करीब 25 ऐसे किसान हैं जाे बटन मशरुम की खेती को नया आयाम दे रहे हैं। उन्हें इसका बेहतर बाजार भी आसानी से उपलब्ध है। बीएयू के क्षेत्र अधिदर्शक, मशरुम उत्पादन इकाई मुनि प्रसाद कहते हैं कि बीएयू परिसर में स्थित यूनिट से आमजन 200 रुपये प्रतिकिलो की दर से मशरुम की खरीदारी कर रहे हैं और इस सत्र में 4.5 क्विंटल काउंटर सेल किया गया है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि मशरुम का बाजार किस तरह बढ़ता जा रहा है। वहीं किसान बाजार में 200 ग्राम मशरुम के पैकेट को 60 से 65 रुपये की दर पर बेच रहे हैं।

दो माह में तैयार होती है फसल :
मुनि प्रसाद कहते हैं कि परंपरागत खेती के साथ साथ मशरुम की खेती कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। डेढ़ से दो माह में मशरुम की फसल तोड़ने लायक तैयार हो जाती है। जिसके पैक कर बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है। बता दें कि बीएयू और आइसीएआर पलांडू के प्रशिक्षकों के द्वारा अब तक पूरे राज्य के करीब 1000 किसानों के अलावे ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ के कई किसानों को भी प्रशिक्षित किया गया है। 

किसानों के साथ साथ छात्रों को मिलेगा लाभ :
बीएयू अंतर्गत पौध रोग विज्ञान विभाग द्वारा संचालित मशरूम उत्पादन यूनिट में मशरूम उत्पादन के दूसरे यूनिट की शुरुआत कर दी गई है। आइसीएआर नाहेप परियोजना के सहयोग से मशरूम उत्पादन के यूनिट का निर्माण किया गया है। इससे मशरूम उत्पादन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों को गति मिल रही है। किसानों के साथ साथ मशरूम उत्पादन के दोनों यूनिटों से कृषि स्नातक छात्र छात्राओं को एक्सपीरियंस लर्निंग कार्यक्रम में बेहतर सुविधा एवं साधन का लाभ मिलेगा। इससे न सिर्फ बीएयू का आंतरिक श्रोत बढ़ेगा बल्कि बेहतर सुविधा के साथ किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी बढ़ावा मिलेगा। 
: डा. डीके शाही, डीन एग्रीकल्चर, बीएयू रांची। 

यूनिट में बढ़ेगा उत्पादन :
बीएयू की पुरानी यूनिट में प्रतिवर्ष औसतन चार से पांच क्विंटल ही विभिन्न प्रकार के मशरूम का उत्पादन होता था। पहले यूनिट के नव निर्माण के बाद अब प्रतिमाह चार से पांच क्विंटल बटन मशरूम का उत्पादन हो रहा है। एक कटाई में करीब 60-70 किलो मशरूम का उत्पादन प्राप्त हो रहा है। दूसरे यूनिट के नव निर्माण से अब प्रतिमाह करीब 8 से 9 क्विंटल तक मशरूम का उत्पादन संभव हो सकेगा। इस यूनिट में मशरूम की व्यावसायिक खेती के प्रशिक्षण के लिए युवक युवतियां, गृहिणी, किसान, उत्पादक एवं संस्थाएं जानकारी लेकर निबंधन करा सकते हैं। 
: डा. एचसी लाल, पौधा रोग विज्ञानी, बीएयू रांची।

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