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किशनगंज : सदर अस्पताल में हर शुक्रवार को विशेष दिव्यांगता जांच शिविर आयोजित कर प्रमाणपत्र वितरित किया  जाता है: सिविल सर्जन

दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनाने को  प्रखंड वार मेडिकल बोर्ड की गई है गठित, 14851 लक्ष्य के आलोक में 9291 का प्रमाणपत्र बनाया गया है

किशनगंज, 27 अक्टूबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की अतिमहत्त्वाकांक्षी यूडीआईडी परियोजना के तहत सूबे में दिव्यांगजनों का कार्ड बनाया जा रहा है। जिलाधिकारी तुषार सिंगला के दिशा निर्देश के आलोक में सभी प्रखण्डों के वरीय पदाधिकारी यूडीआईडी कार्ड बनाने के लिए विभिन्न तरह के आयोजन कर अधिक से अधिक कार्डधारी दिव्यांगजनों को आधार से लिंक करने के लिए प्रखंडों में ऑनलाइन कराना सुनिश्चित कर रहे हैं। इसी क्रम में सदर अस्पताल में शुक्रवार को दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए विशेष शिविर का आयोजन किया गया। दिव्यांगता मेडिकल बोर्ड के विशेषज्ञ चिकित्सक डा. राहुल कुमार ने बताया कि शुक्रवार को सदर अस्पताल में दिव्यांगता जांच शिविर में 14 दिव्यांगों की जांच की गई जिसमें 13 को प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया है। वहीं 01 मानसिक रोगी को रेफर किया गया है। यह आयोजन सिविल सर्जन की देखरेख में किया गया है। गौरतलब हो कि नाक, कान, गला, मूक-बधिर एवं मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चे के लिए अपने सम्बंधित रोग का एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जांच कराकर जांच रिपोर्ट आवेदन के साथ संग्लन करना आवयश्क है। वीबीडीसी सलाहकार अविनाश रॉय ने बताया कि जिनका दिव्यांग प्रमाणपत्र नहीं बना है अथवा नवीकरण की आवश्यकता है। जिन दिव्यांग बच्चों का दिव्यांगता प्रमाण पत्र है, उसे कैंप में ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ी है। इसके लिए पारा मेडिकल स्टाफ को आवश्यक दवाओं के साथ प्रतिनियुक्त किया गया था। दिव्यांग प्रमाणपत्र के साथ यूनिक डिसेबिलिटी आईडेंटी कार्ड भी जारी किया गया। कुछ आवश्यकता वाले दिव्यांग बच्चों का भी प्रमाण पत्र और यूनिक डिसेबिलिटी आईडेंटी कार्ड बनाने को प्राथमिकता दी गयी। बौद्धिक अक्षमता विशिष्ट अधिगम, दिव्यांगता एवं ऑटिज्म का भी प्रमाणपत्र और यूडीआईडी बनाने का विशेष ख्याल रखा गया। सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने बताया कि जिले के सभी दिव्यांगजनों का ऑनलाइन दिव्यांगता प्रमाणीकरण सुनिश्चित करने के लिए यूडीआईडी कार्ड निर्गत किया जाना है। विदित हो की 14851 दिव्यांगजनों का यूडीआईडी कार्ड बनाने के लक्ष्य के आलोक में 9291 का प्रमाण पत्र बनाया गया है। जो  62.5 प्रतिशत है। विभाग द्वारा जारी ऑफलाइन दिव्यांगता प्रमाण पत्र राज्य में मान्य नहीं है। इसको ऑनलाइन सत्यापित करना अनिवार्य है। ऑफलाइन दिव्यांगता प्रमाणपत्र को ऑनलाइन नहीं होने के कारण यूडीआईडी कार्ड के अभाव में दिव्यांगजन सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने से वंचित रह  जाते हैं। जिले के सभी प्रमाणीकृत दिव्यांगजनों का शत प्रतिशत यूडीआईडी कार्ड बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि यूडीआईडी कार्ड बनाने के लिए प्रतिदिन कार्य किया जा रहा है। अभी तक जिनलोगों का यूडीआईडी कार्ड बन गया  लेकिन आधार से जोड़ा नहीं गया है, उसको जोड़ने का कार्य तेजी के साथ किया जा रहा है। जिनका कार्ड नहीं  बना है, उनलोगों को निम्नलिखित दस्तावेज को अपने साथ लाना पड़ेगा। जिसमें मुख्य रूप से दिव्यांगता प्रमाणपत्र, आधारकार्ड या आवासीय प्रमाणपत्र, पहचान पत्र, फोटो के साथ उनकी विवरणी, आवासीय एवं पहचान पत्र से संबंधित भारत सरकार या बिहार सरकार द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र जैसे: मतदाता पहचानपत्र, विद्यालय पहचानपत्र, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार, पैन कार्ड, पासपोर्ट, बैंक पासबुक इत्यादि सक्षम पदाधिकारी द्वारा निर्गत प्रमाणपत्र मान्य होगा।

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