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किशनगंज : क्या बंद लैपटॉप खोल पाएगा दफ्तरी के काले धन का सच?

फोरेंसिक टीम बुलाई गई, व्यापारी से लेकर नेता-अधिकारी तक में हड़कंप

किशनगंज,31अगस्त(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, किशनगंज के चर्चित उद्योगपति और दफ्तरी ग्रुप के प्रमुख जयकरण दफ्तरी के ठिकानों पर केंद्रीय एजेंसियों की छापेमारी तीसरे दिन रविवार को भी जारी रही। शुक्रवार सुबह से शुरू हुई इस कार्रवाई ने न केवल व्यापारिक जगत को हिलाया है, बल्कि राजनेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच भी बेचैनी फैला दी है।

लैपटॉप से खुलेगा राज?

जांच के दौरान खगड़िया के खारूदह-खरखरी से दफ्तरी ग्रुप के अकाउंटेंट गंगा दास को पूछताछ के लिए किशनगंज लाया गया। सूत्रों के अनुसार, गंगा दास ने एक विशेष लैपटॉप की जानकारी दी, जिसे तुरंत भगतटोली रोड स्थित दफ्तरी मुख्य कार्यालय से बरामद किया गया। माना जा रहा है कि इसी लैपटॉप में दफ्तरी ग्रुप के कच्चे-पक्के वित्तीय लेनदेन से जुड़े अहम सुराग छिपे हो सकते हैं।

लैपटॉप की बारीकी से जांच के लिए फोरेंसिक टीम को बुलाया गया है। इसके साथ ही बैंकिंग और अन्य वित्तीय दस्तावेजों की भी गहन पड़ताल की जा रही है।

24 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी

पटना और अन्य स्थानों से पहुंची आयकर विभाग की टीमें अब तक 24 से अधिक ठिकानों पर कार्रवाई कर चुकी हैं। रविवार को पश्चिम बंगाल के कुछ स्थानों पर भी छापे मारे गए। बताया जा रहा है कि शनिवार रात केवल तीन-चार घंटे का ही विराम लिया गया था, फिर जांच दोबारा शुरू हो गई।

राजनेताओं और अधिकारियों से गहरा नाता

स्थानीय चर्चा के अनुसार, दफ्तरी ग्रुप का प्रभाव सिर्फ व्यवसाय तक सीमित नहीं रहा है। राजनेताओं से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक, सबका दरबार यहां सजता रहा है। किशनगंज में कहा जाता है कि जुगल किशोर तोषनीवाल और राजकरण उर्फ राजू दफ्तरी के यहां होने वाली बैठकों में बड़े फैसले लिए जाते थे। आज वही चेहरे बगले झांकते नजर आ रहे हैं।

मीडिया को भी रोक

छापेमारी स्थल पर मीडिया द्वारा वीडियो बनाने की कोशिश की गई, लेकिन एजेंसी अधिकारियों ने उन्हें डिलीट करा दिया। अभी तक एजेंसी द्वारा कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

दफ्तरी ग्रुप की पृष्ठभूमि

जयकरण दफ्तरी का परिवार मूलतः राजस्थान के चुरू जिले से आकर किशनगंज में बसा था। उनके परदादा ने नेमचंद रोड पर कपड़े की दुकान से शुरुआत की थी। 90 के दशक में चाय व्यवसाय में कदम रखने के बाद आज दफ्तरी ग्रुप के पास 500 एकड़ से अधिक चाय बागान हैं। उनका “राजबाड़ी चाय” ब्रांड देशभर में प्रसिद्ध है। इसके अलावा, किशनगंज और कटिहार में उनके मॉल, होंडा शोरूम, गोदरेज डीलरशिप और रियल एस्टेट में भी बड़े निवेश हैं।

अब सवाल ये…

अब बड़ा सवाल यही है — क्या दफ्तरी ग्रुप के इस बंद लैपटॉप से उन काले कारनामों की परतें खुलेंगी, जो अब तक केवल कानाफूसी का हिस्सा रही हैं? क्या यह कार्रवाई काले धन का सच सामने लाएगी, या किसी साजिश का हिस्सा है?

इसकी पुष्टि तो जांच एजेंसियों की अंतिम रिपोर्ट के बाद ही हो सकेगी, लेकिन एक बात साफ है — किशनगंज में यह छापेमारी आने वाले दिनों की राजनीति और व्यापार जगत पर गहरा असर डालने वाली है।

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