*भाजपा–जेडीयू राज के अंत की शुरुआत —बिहार अब बदलाव को तैयार है राजेश राम, अध्यक्ष, बिहार कांग्रेस*

मुकेश कुमार/आज जैसे ही चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा की, वैसे ही यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा–जेडीयू के कुशासन का अंत शुरू हो चुका है।
पिछले 20 वर्षों से बिहार ने जिस अंधकार, भय और भ्रष्टाचार का बोझ झेला — अब उसके ख़िलाफ़ जनता की मुहर लगने वाली है।
अब शुरुआत होगी जवाबदेही की, और अंत होगा
भ्रष्टाचार और घोटालों का जिसने बिहार की रीढ़ तोड़ दी
कैग रिपोर्ट 2024 ने उजागर किया कि ₹70,877 करोड़ की राशि का कोई हिसाब नहीं —49,649 योजनाएँ बिना उपयोग प्रमाणपत्र के पड़ी रहीं।पिछले पाँच वर्षों में भाजपा-जेडीयू सरकार ने ₹3.59 लाख करोड़ बजट खर्च ही नहीं किया।बच्चों की शिक्षा, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण, कृषि, शहरी विकास — सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े।बिहार को लूट का “ATM” बना दिया गया, जहाँ गरीबों के हक़ का पैसा अफ़सरों और माफ़ियाओं के खातों में गया।
अपराध और अराजकता: ‘सुशासन’ की पोल खुली
NCRB 2023 के अनुसार बिहार में प्रति दिन 16 हत्याएँ और 20 से अधिक बलात्कार —
राजधानी पटना से लेकर दरभंगा, गया, सिवान तक हर ज़िला अपराध का अड्डा बन चुका है।
2025 के पहले छह महीनों में ही 1,376 हत्याएँ, यानी हर महीने लगभग 230।
मुज़फ्फरपुर बालिका गृह कांड जैसे शर्मनाक घटनाओं ने सत्ता के संरक्षण में चल रहे अपराध का चेहरा उजागर किया।
यह “डबल इंजन सरकार” नहीं — ट्रबल इंजन सरकार है।
स्वास्थ्य और शिक्षा — भाजपा-जेडीयू की सबसे बड़ी विफलता
बिहार में डॉक्टरों की 60% कमी, अस्पतालों में 93% बेड की कमी, दवाइयों की 50% कमी।
NFHS-5 रिपोर्ट बताती है — 69% बच्चे एनीमिक और 43% कुपोषित।
UDISE+ 2023–24 के अनुसार:
हायर सेकेंडरी एनरोलमेंट दर मात्र 30%,
16,500 स्कूलों में बिजली नहीं,
2,600 स्कूलों में केवल एक शिक्षक।
BPSC, NEET, पुलिस भर्ती, शिक्षक नियुक्ति — हर परीक्षा लीक, हर युवा ठगा गया।
शिक्षा माफ़िया और सत्ता का गठजोड़ बिहार के युवाओं का भविष्य बेच रहा है।
गरीबी, पलायन और औद्योगिक पतन
राज्य की 64% आबादी आज भी गरीबी रेखा के नीचे
94 लाख परिवार ₹200 प्रतिदिन या उससे कम पर जीवन जी रहे हैं।
तीन करोड़ पंजीकृत मजदूरों में से 94% की मासिक आय ₹10,000 से कम।
न उद्योग, न रोज़गार, न निवेश —
बिहार नीति आयोग के “Export Preparedness Index” में 27वें स्थान पर।
केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश सरकार ने मिलकर बिहार के सपनों को बेरोजगारी में बदल दिया।
सामाजिक न्याय की लड़ाई कांग्रेस लड़ेगी
कांग्रेस ने 2011 में जातिगत जनगणना कराई, लेकिन मोदी सरकार ने उसकी रिपोर्ट दबाई।
बिहार की जातिगत सर्वे रिपोर्ट ने बताया —
अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों की आर्थिक स्थिति बदतर है।
कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का संकल्प है —
“गिनती भी होगी, गिनती में हिस्सेदारी भी होगी।”
सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता और शिक्षा–स्वास्थ्य पर अधिकार कांग्रेस सुनिश्चित करेगी।
“आज चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही बिहार में जवाबदेही की सुबह शुरू हो गई है।
20 वर्षों से भाजपा-जेडीयू ने बिहार की जनता को अपराध, गरीबी और पलायन का दंश दिया ।
अब जनता ने मन बना लिया है —
भाजपा जेडीयू के भ्रष्टाचार का अंत – महागठबंधन कांग्रेस के साथ आयेगा बिहार ।
यह चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं,
नीति परिवर्तन, व्यवस्था परिवर्तन और विश्वास की वापसी का चुनाव है।”