नीतीश की चोला पहन झोला लेकर ब्रह्मर्षियों के स्वभिमान को खरीदने निकले हैं भोला बाबू।
नीतीश की चोला पहन झोला लेकर ब्रह्मर्षियों के स्वभिमान को खरीदने निकले हैं भोला बाबू।
जंगलराज का डर दिखाने वाले संघर्ष के दिनों में कहीं नही दिखते थे।
यहाँ के ब्रह्मर्षियों ने खुद लड़ी है जंगलराज की लड़ाई।
नवीन कुमार रौशन;-आज एक अरुण को हराने के लिए अपने आप को ब्रह्मर्षि कहने वाले असली नकली सारे ब्रह्मर्षि नेता जहानाबाद में डेरा डाल रखा है।ये जहानाबाद संसदीय क्षेत्र के गांवों में घूम घूम कर लालू राबड़ी के जंगल राज का डर दिखा रहें हैं।उस जंगल राज का डर,जिसकी लड़ाई जहानाबाद के लोगों ने खुद लड़ी है।
उस समय ये स्वयंभू ब्रह्मर्षियों के नेता कहीं दिखाई नही देते थे।इस लड़ाई को स्वर्गीय रामाश्रय प्रसाद और अरुण कुमार ने लड़ा है।जगदीश शर्मा और रामजतन बाबू जैसे लोगो ने लड़ी है।सेनारी और बाथे जैसे दंश को जहानाबाद के लोगो ने झेला है।तब भोला बाबू,ललन सिंह और विजय चौधरी जैसे लोग कहीं दिखाई नही देते थे।नही आये जंगल राज में कभी भी यहाँ के लोगों का आंसू तक पोछने।उस काल खंड से ऊब कर,ब्रह्मर्षियों के शहादत पर पर बनी थी नीतीश कुमार की सरकार।जिसको बनाने में अरुण कुमार की महती भूमिका रही थी।लेकिन सरकार बनने के चंद हीं महीनों में चाटुकारों से घिर,जंगल राज से संघर्ष करने वाले एक एक लोगों की चुन चुन कर राजनैतिक हत्या की जाने लगी।जिस में समाज के जयचन्दों की भूमिका अहम रही है।अब मेरी बारी है जयचन्द चारों ओर से मुझे घेरने के प्रयास में लगे हैं।लेकिन इस बार अरुण कुमार नही,उस जंगल राज की लड़ाई की तरह,अबकी बार यहाँ की जनता लड़ रही।यह लोक सभा चुनाव इस बार जहानाबाद के अमन पसन्द लोगों के लिए आन बान और शान की लड़ाई बन चुकी है। वहीं यहाँ के ब्रह्मर्षियों के लिए अस्तित्व की लड़ाई।क्योकि बिहार के ब्रह्मर्षि जयचन्दों को पहचान चुकी है।पहचान चुकी है कि समाज के स्मिता के सवाल पर बौराई सत्ता को चुनौती देने का साहस कौन रखता है।बिहार ने देखा है कि अनन्त सिंह जैसे बाहुबली कहे जाने वाले नेता की राजनैतिक हत्या के समय कलेजा तक तोड़ने की चुनौतियाँ किसने दी।नीतीश की चोला पहिन झोला लेकर जहानाबाद में ब्रह्मर्षियों के स्वभिमान को खरीदते फिरने वाले भोला बाबू हो या विजय चौधरी इन्हें भले ही यह गुमान हो कि इस चुनाव में नीतीश के हम स्टार प्रचारक हैं।लेकिन जहानाबाद की जनता यह जानती है कि ब्रह्मर्षियों ही नही गरीब गुरुओं और समाज के हर वर्ग की लड़ाई लड़ने वाला अरुण कुमार आज मैदान में है तो इन जयचन्दों की पूछ आज नीतीश के यहाँ बढ़ी हुई है अन्यथा इनकी सरकार में हैसियत सभी जानते हैं।सरकार में अगर इनकी हैसियत चपरासी की भी है तो मैं चैलेंज करता हूं कि पटना विश्वविद्यालय के कैम्प्स में ब्रह्मर्षि समाज के नवनिहल हर्ष राज को लेकर मुख्यमंत्री से सवाल पूछें और गिरफ्तार कराएं हर्ष राज के हत्यारों को।
गजब भौकाल लाये अरूण कुमार।…
अंत मे केवल सच पत्रिका से बात करते हुए अरुण कुमार ने कहा कि इस बार हमारी जीत तो पक्की है हीं क्योंकि इस बार की लड़ाई मैं नही जनता लड़ रही है,जरूत है ब्रह्मर्षियों को अपनी वोटिंग क्षमता को दिखाने का ताकि कोई नीतीश जैसा मुख्यमंत्री या कोई राजनीतिक दल जहानाबाद के मुद्दे पर जहानाबाद के ब्रह्मर्षि समाज या किसी भी समाज के लोग जाएंगे कहाँ….? वे तो मोदी जी या भाजपा के प्रभाव में वोट करेंगें कहने से पहले सौ बार सोचे।