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अभाविप के द्वारा बिहार की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने हेतु बिहार सरकार और मुखिया नीतीश कुमार की सदबुद्धि हेतु किया हवन:-आशिका

औरंगाबाद/मयंक कुमार, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के द्वारा बिहार की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने हेतु बिहार सरकार और मुखिया नीतीश कुमार की सदबुद्धि हेतु साई मन्दिर स्थित शनि मंदिर के प्रांगण में सद्बुद्धि हवन किया।इस अवसर पर उपस्थित प्रदेश सह मंत्री आशिक सिंह ने कहा कि आज पूरे बिहार में यह हवन-पूजन का आयोजन किया गया है ताकि सरकार को शिक्षा और रोजगार के प्रति सद्बुद्धि मिले।आज पूरे बिहार में 50 हजार से ज्यादा छात्रों ने हवन किया है।बिहार सरकार शिक्षित बेरोजगारों पर अत्याचार कर रही है।छात्रों ने कहा कि 28 जनवरी 2020 को BSEB द्वारा आयोजित STET (माध्यमिक/उच्च माध्यमिक) की परीक्षाएं हुई रद्द, जिसमें 317 केंद्रों पर ली गयी थी।दो पाली में हुई परीक्षा में 2 लाख 47 हजार 241 परीक्षार्थी शामिल हुए थे।इसमें प्रथम पाली में एक लाख 81 हजार 738 और दूसरी पाली में 65 हजार 503 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, कुल 247241 अभ्यर्थी हुए थे शामिल।फॉर्म भरने के लगभग 7 माह बाद परीक्षा हुआ, परीक्षा में हर बार की तरह पूरे बिहार में 5 केंद्रों पर गड़बड़ी की आशंकाएं हुई।उसके बाद उन 5 केंद्रों का परीक्षा रद्द कर दिया गया।दुबारा उसका परीक्षण फरवरी माह में लिया गया।जिन छात्रों का परीक्षा रद्द किया गया था, उसके बाद छात्र अपने रिजल्ट की प्रतीक्षा कर रहे थे।आज फॉर्म भरने से लेकर आज तक 1 साल पूरा होने जा रहा है उसके बाद सरकार यह बोलकर परीक्षा रद्द कर रही है की परीक्षा का प्रश्न सिलेबस से बाहर था और परीक्षा में कुछ गड़बड़ी हुई थी।सवाल यह है जब सिलेबस से बाहर सवाल थे, उन सवालों को बनाया कौन था..? उसे उसी समय क्यों नहीं चेक किया गया..? या जिन केंद्रों पर गड़बड़ी हुई थी उसकी परीक्षा पुनः फरवरी में जब ले लिया गया तो फिर एग्जाम रद्द करने का मतलब क्या है…? जब रद्द ही करना था इतना समय क्यों लगाया गया..? छात्रों को जो परीक्षा देने में परेशानी हुई उसका क्या..? फॉर्म भरने में ₹800 लगे थे और परीक्षा देने के क्रम में जो खर्च हुए थे वह अलग, इसकी जवाबदेही किसका..? एक और बात बिहार का कोई भी ऐसा परीक्षा जो सरकार एक बार कंडक्ट कराया हो, और बिना किसी धांधली के उसका रिजल्ट प्रकाशित किया हो..? क्या सरकार छात्रों से नौकरी के नाम पर बड़ी संख्या में फार्म भरवा कर पैसा कमाने का योजना तो नहीं बनाता है, वर्ष 2014 में बिहार SSC का फॉर्म भरवाया गया था, जिसकी परीक्षा 2 साल बाद हुई पुनः उसको रद्द कर दिया गया।फिर से परीक्षा कराया गया और आज तक रिजल्ट नहीं आया है।बिहार दरोगा परीक्षा में सरकार पर व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार के और गड़बड़ी का आरोप सामने आया या बोले कि बिहार में गड़बड़ी पहले होती है रिजल्ट पहले प्रकाशित हो जाता है।परीक्षा होने से या फिर रिजल्ट आता ही नहीं।छात्रों को बेरोजगार ही बनाना है तो लाखों युवाओं से 800, 1000 रु उगाही करने का क्या मतलब है।बिहार पुलिस का परीक्षा और उसमें छात्रों की परेशानी तो लोगों को पता ही होगा आखिर इसका जिम्मेदार कौन जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सतीश कुमार एवं सौरभ सिंह ने बताया कि दुर्भाग्य है इस बिहार का क्यों कि बिहार में डबल इंजन की सरकार है और उसके मुखिया कुर्सी कुमार है।छात्र पर छात्र त्रस्त है किन्तु नीतीश कुमार जी एसी में मस्त है।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद औरंगाबाद ने माध्यमिक शिक्षक पत्रता परीक्षा रद्द के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण व आत्मघाती कदम ठहराया तथा अभाविप कार्यालय में धरना दिया था।इस अवसर पर प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सौरभ सिंह ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री ,उपमुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व बिहार बोर्ड अध्यक्ष को पत्र लिखकर तुरंत पुनर्विचार का आग्रह किया था ।STET परीक्षा की पूरे धटनाक्रम के अध्ययन हेतु अभाविप ने राज्य स्तर पर इसका विरोध किया था।प्राथमिक को मध्य, मध्य को हाई तथा हाई स्कूल को इंटर स्कूल में उत्क्रमित करने का आदेश, बिना शिक्षक बहाली के पढ़ाई कैसे ? लॉक डाउन के कारण लाखों बेरोजगार युवकों को बिहार में ही रोजगार मिल जाता लेकिन शिक्षक बहाली रोकना आखिर क्यों ? हाई स्कूल में रिटायर्ड शिक्षक से पुनः सेवा लेना क्यों जरूरी ? कम से कम उतना नये युवकों को रोजगार मिल सकता।उच्च शिक्षा जैसी बर्बादी का षड्यंत्र प्राथमिक शिक्षा में भी क्यों ? शिक्षा का राजनीति करण क्यों ?प्राथमिक, मध्य, हाई, एवम इंटर स्कूल में शिक्षकों की बहाली कब तक ? धरने के माध्यम से कहा कि सरकार से निवेदन है की STET की परीक्षा रद्द करने का निर्णय गलत था।इसलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का सुविचारित मत है कि सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करें।क्योंकि जब कोर्ट का निर्णय 22 को आना था निर्णय के पूर्व रद्द किया जाना कोर्ट का अवमानना भी है।इस निर्णय से कई प्रश्न खड़े होते हैं की आखिर किन लोगो, पदाधिकारियों को लाभ पहुंचाने का प्रयास हो रहे हैं।बिहार शिक्षा व्यवस्था-भ्रष्ट तंत्र के आगे नतमस्तक हो गई है, जिसका परिणाम है कि लाखों युवाओं के भविष्य की परवाह किये बिना परीक्षा रद्द करने का आत्मघाती निर्णय लिया गया।आठ वर्षों के बाद STET की परीक्षा आयोजित हुआ।ढाई लाख से अधिक अभियर्थियों ने आवेदन दिया।प्रदेश के वेबश, लाचार युवाओं को उनके बदहाली पर छोड़ने के लिए परीक्षा रद्ध करने का निर्णय हुआ।उन्होंने कहा सुनियोजित तरीके से एक तरफ 34000 पदों पर शिक्षकों की वहाली को लेकर अधिसूचना जारी की वही दूसरी ओर STET की परीक्षा रद्द किया।इस पर प्रकरण में गहरी साजिश प्रतीत हो रही है।सरकार निर्णय पर पुनर्विचार करें अन्यथा इस लॉक डॉन के समय विद्यार्थी परिषद रचनात्मक दृष्टि से विचार करते हुए।नहीं चाहती है की आंदोलन खड़ा कर कोई नया समस्या उत्पन्न हो।इस अवसर पर इस वैश्विक महामारी कोरोना का डांस पता नहीं कब तक आम लोगों पर रहेगा और जैसे ही इससे हम लोगों उभरेंगे बिहार में चुनाव शुरू हो जाएगा मतलब साफ है यह नौकरी के नाम पर मात्र पैसा उगाही करने शिक्षित युवाओं को परेशान करने का साजिश है सरकार चाहता ही नहीं है युवाओं को रोजगार देने के लिए नौकरी देने के लिए वह हमेशा चाहता है कि युवा बेरोजगार रहे जिससे उनकी पार्टी पॉलिटिक्स चलती रहे।यह दुर्भाग्य है सब लोगों को मिलकर इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।इस अवसर पर गुंजन कुमार, पवन कुमार, मनु राज, ऋषि राज, रोहित कक्कर, आलोक कुमार, मनु सिंह, माही राहुल सिंह, रौनक कुमार सिंह, ईशा सिंह, निभा सिंह, शुरभी कुमारी आदि उपस्थित रहे।

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