औरंगाबाद : आखिर कैसा लाँकडाउन, जबकी सरेआम लाँकडाउन की धज्जियाँ उडाये जा रहे है और सरकार तमाशबीन है..

लाँकडाउन की आड़ में देश के जनता को मोदी जी क्या संदेश देना चाहते है , क्या जनक्रंदन का जबाब सतारूढ़ सरकार के पास हैं ।
औरंगाबाद/अनिल कुमार मिश्र, कोरोना/कोविड़-19 की महामारी से बचाव का मात्र विकल्प लाँकडाउन एव शोशल डिसटेंसिग का समर्थन देश के सभी तबके के लोगोँ ने किया किन्तू ना इंसाफी मध्यमवर्गीय एव सर्व सधारण जनता तथा खासकर गरीबोंं के साथ हुआ है।आखिर आपके शासन ब्यवस्था में ऐसा क्यों हो रहा है और पीड़ितों की आवाज को कौन सूनेगा, लाँकडाउन में शराब की विक्री व खरीदारी पर छुट और रेल का परिचालन, प्रदेशी बाबू को कोरोंटाईन तो कुछ प्रदेशीबाबू को छुट/घर-परिवार, गाँव व समाज में रहने, स्वचछंद विचरण करने, घुमने-फिरने की आजादी कई सवालिया निशान खड़ा कर देता है, आखिर लाँकडाउन के आड़ मे मोदी जी देश के जनता को क्या संदेश देना चाहते है।क्या इस देश में तलवे चाटने वाले को हीआपके शासन काल में आजादी है और वाकी जो लोग है उन्हें आपदा की आड़ में सरकार के इच्छाशक्ति पर आत्मनिर्भर रहना पड़ेगा, अगर ऐसा नहीं है तो उद्देश्यों से भटक चूके कमीने विचौलियो, पथ भ्रष्ट लोक सेवको पर आपके सरकार कार्रवाई करने में क्यों और कैसे विफल है और जनक्रंदन के बाबजूद भी आपके शासन ब्यवस्था में मनमानी तरीको से कार्यो एवं प्रशासननिक आदेश का निष्पादन करने वाले पर विधिसम्मत कार्रवार्ई क्यों नहीं हो रहा है।क्या आपके शासन काल में हर परिस्थितियों के लिए देश के मध्यम वर्गीय परिवार, गरीब तथा सर्वसधारण परिवार जीम्मेवार एवं जबाब देह हैं।आखिर बिहार में भाजपा गठबंधन के सुशासन बाबू के के सरकार में गरीबों पर ही दमन की कार्रवाई क्यों हो रहे है।क्या इसका जबाब सरकार, प्रखंड़, जिला, प्रमंड़ल व राज्यस्तरीय संबंधित विभागीय अधिकारियों, पक्ष/प्रतिपक्ष के नेताओं के पास है, अगर नहीं तो सरकार के सुशासन ब्यवस्था में विपक्ष के नेता किस बात को लेकर सरकार से डर रहे है। क्या लाँकडाउन में कोरोटाइन का भय इन्हें सता रहा है या कोरोना से मृत्यू का भय डरा रहा है।क्या हमारे देश में गरीबो के साथ बढ़ते जूल्म व अत्याचार पर विपक्ष एवं प्रतिपक्ष के सतासीन नेताओ की चुपी तथा कायरता पुर्ण जबाबदेही व क्रिया-कलाप वीर शहीदों के बलीदान का अपमान नहीं हैं।क्या जनता के दमन की आड़ में पक्ष एव प्रतिपक्ष को केवल सत्ता की कुर्सी व सता की सुख चाहिए।क्या राजा व राजधर्म का यही जबाब देही है।क्या सारे सवालोँ का तर्कसंगत जबाब देशहित में सतारूढ़ सरकार एवं मोदी जी द्वारा पीड़ित व प्रभावित जनता को दिया जायेगा।