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27 वर्षों बाद संकट हरण पवनसुत हनुमान हुए जेल से रिहा , भक्तों ने ढोल नगाड़े के साथ भगवान को किया स्वागत।।…

गुड्डू कुमार सिंह-एंकर : भोजपुर में संकट हरण पवनसुत हनुमान खुद संकट में 27 वर्षों से फंसे हुए थे , माता सीता की खोज में समुद्र लांघ जाने वाले हनुमान आज पुलिस की कैद से करीब 27 वर्षों के बाद अब आजादी मिली है, आपको बता दें कि भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास काट अयोध्या पहुंचे थे , पर उनके भक्त हनुमान आज 27 वर्षों के बाद वनवास काटकर अपने घर वापसी किए हैं।

बताते चलें कि उनकी मूर्ति भोजपुर के कृष्णागढ़ थाने के माल खाने में 27 वर्षों से पड़ी थी ,इतने सालों में उनको कोई जमानतदार तक नहीं मिल सका था, सुनने में भले ही अटपटा लग रहा हो, लेकिन बात सौ प्रतिशत सच है। पर अब भगवान कैद से आजाद हो गए हैं। उनकी आजादी और जेल से रिहाई महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य कुणाल किशोर पहल पर हो सकी है।
आपको बता दें कि दरअसल, मामला भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के गुंडी गाव स्थित श्री रंगनाथ स्वामी जी के मंदिर की है, यहां 1996 में भगवान की मूर्ति चोरी हुई थी, तब चोरों ने भगवान श्री रामानुज स्वामी और हनुमान जी की अष्टधातु की कीमती मूर्ति चोरी कर ली थी, बाद में आरा के नगर थाना क्षेत्र के सिंगही गांव के बगीचा में हनुमान जी की मूर्ति बरामद कर ली गई थी, लेकिन रामानुज स्वामी जी भगवान की मूर्ति आज तक बरामद नहीं हो सकी थी,वही जब हनुमान जी की मूर्ति बरामदगी हुई तो उनका मूल्यांकन लगभग 42 लाख रुपये किया गया था, तब कोर्ट की ओर से मूर्ति की जमानत के लिए उतने रुपए का ही जमानतदार मांगा जा रहा था, लेकिन कोई भी इतने रुपए का जमानतदार बनने को तैयार नहीं हुआ।भोजपुर जिले के कृष्णागढ़ थाने में बीते 27 वर्षों से कैद हनुमान जी के धातु की मूर्ति को छुड़ाने के लिए पटना के महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य कुणाल किशोर ने भोजपुर पुलिस अधीक्षक से फोन पर बात की ओर जमानत देने की बात कही, वही आचार्य कुणाल किशोर ने मूर्ति की जमानत का जिम्मेवारी अधिवक्ता अजीत कुमार दुबे श्रीपालपुर निवासी को दिया था, जिन्होंने अहम भूमिका निभाते हुए मार्ग थाने में पड़ी हुई दोनों मूर्तियों को मुक्त कराया है।

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