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अधिवक्ता खुला मंच , पटना, बिहार के द्वारा अधिवक्ता संशोधन बिल 2025 के खिलाफ धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया।….

शिवानंद गिरि/आज सिविल कोर्ट पटना सदर के गेट नंबर 1 के पास अधिवक्ता खुला मंच पटना के द्वारा केंद्र सरकार द्वारा लाए गए एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2025 के विरोध में धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया| यह बिल अधिवक्ताओं के अधिकारों को समाप्त करने वाला बिल बताया गया है, जिसमें प्रमुख रूप से इस बात की चर्चा है कि अधिवक्ता अब सरकार के किसी भी एजेंसी के खिलाफ धरना प्रदर्शन विरोध या हड़ताल नहीं कर सकते हैं साथ ही अगर कोई अधिवक्ता मुकदमा हार जाता है और उसके क्लाइंट को लगता है कि वे मुकदमा अधिवक्ता के लापरवाही की वजह से हार गए हैं तो वह वित्तीय हानि के लिए वकील से दावा कर सकते हैं और उनसे 3 लाख रुपये तक का मुआवजा ले सकते हैं साथ ही बार काउंसिल आफ इंडिया अधिवक्ता का लाइसेंस भी रद्द कर सकती है| यह सोचने वाली बात है कि किसी मुकदमे में कोई एक पक्ष हारता है और कोई दूसरा पक्ष जीता है ऐसी स्थिति में हारने वाले पक्ष के वकील के ऊपर अर्थ दंड या किसी प्रकार का अन्य दबाव इस अधिनियम के द्वारा देना कहां तक न्याय संगत है? साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 फ्रीडम ऑफ स्पीच का अधिकार देश के नागरिकों को देता है परंतु इस बिल के पारित हो जाने के बाद अधिवक्ताओं को फ्रीडम ऑफ स्पीच के अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा| इस पूरी तरह से यह बिल अधिवक्ताओं के विरोध में है एवं असंवैधानिक है| इस धरना प्रदर्शन में अधिवक्ता खुला मंच के संयोजक श्री विनोद सिंह, उपाध्यक्ष श्री विजय कुमार तथा अन्य अधिवक्ता गण श्री मधुसूदन लाल जमुआर, श्री विनोद सिंह श्री विजय कुमार, सदानंद गोस्वामी , , राजन कुमार , अमिताभ ऋतुराज, ललिता कुमारी चंद्र किशन सिंह ,राजन कुमार, सैयद इमरान गणी, एस. के.मिश्रा इत्यादि सैकड़ो की संख्या में अधिवक्ता गण धरना प्रदर्शन में शामिल हुए और भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन बिल का पुरजोर विरोध किया| इस संबंध में अधिवक्ता राजकुमार प्रसाद उर्फ अन्ना हजारे ने कहा कि केंद्र सरकार अधिवक्ताओं को प्रताड़ित करने के लिए यह बिल लाई है एवं यह आंदोलन 21 फरवरी 2025 से लेकर 24 फरवरी 2025 तक लगातार चलती रहेगी | इसके अलावे वे जिलाअधिवक्ता संघ पटना के जनरल सेक्रेटरी एवं प्रेसिडेंट से भी संपर्क बना रहे हैं ताकि जिला बार एसोसिएशन पटना भी धरना प्रदर्शन में शामिल हो सके| उन्होंने आगे कहा कि यह ध्यान देने की बात है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं बिहार स्टेट बार काउंसिल का सक्रिय विरोध बिल के खिलाफ नहीं है यह बहुत दुख की बात है|

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