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सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार परमानेंट और उचित वेतनमान मिले : संदीप सौरभ*

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् के समावेशी शिक्षा में कार्यरत प्रखण्ड साधन सेवी (IE) संसाधन शिक्षक एवं पुनर्वास विशेषज्ञों को मिले उचित मानदेय

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:- नासेर्प–सह –बिहार समावेशी शिक्षा संघ, बिहार के आज पटना के गर्दनीबाग में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् के समावेशी शिक्षा संभाग अंतर्गत लगभग 1067 प्रखण्ड साधन सेवी (IE). संसाधन शिक्षक एवं पुनर्वास विशेषज्ञों के उचित मानदेय देने की मांग को लेकर एकदिवसीय धरना का आयोजन किया, जिसके समर्थन में पालीगंज विधायक संदीप सौरभ भी शामिल हुए। संदीप सौरभ ने कहा कि समावेशी शिक्षक विशेष शिक्षक के रूप में दिव्यांग बच्चों को 16 साल से पढ़ा रहे है, अंतिम बहाली इनकी 2012 में हुई थी। सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार परमानेंट करे, इनको सुविधाएं मिले, इनको वेतनमान मिले।

उन्होंने कहा कि सरकार पुराने शिक्षक जो सामान्य शिक्षक है, उन्हीं को ट्रेंड कर विशेष शिक्षक का काम करवा रही है जो गलत है। समावेशी शिक्षक का पहले से मेहनत है, इनको अनुभव है तो इनको जगह दिया जाए जैसे हरियाणा सरकार ने किया है और अन्य राज्य भी कर रही है। हमलोग विशेष शिक्षक के समर्थन में है और इनकी मांग सदन में उठाई जायेगी। सरकार से इस मुद्दे पर बात होगी। सरकार द्वारा इस मुद्दे पर टालमटोल करने को लेकर संदीप सौरभ ने कहा कि टालमटोल करना सरकार का चरित्र है। तमाम प्रक्रियाएं एनडीए सरकार में हुई है। कुछ चीजे पुराने धर्रे पर चल रही है। हमलोगों की कोशिश है की सरकार बदली है तो सरकारी काम काज का तरीका बदले।

बिहार समावेशी शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव आलोक कुमार मिश्र ने कहा कि परियोजना अपने तानाशाही रवैए से बाज आवे एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 1067 संसाधन शिक्षक,पुनर्वास विशेषज्ञ, प्रखंड साधन सेवी का समंजन करतें हुए अन्य रिक्ति को भरे या अविलंब बिहार शिक्षा परियोजना के प्रबंधन संरचना में कार्यरत कर्मियों के समतुल्य हमें भी सारी सुविधा दे। अगर सरकार हमारी बात नही मानती है तो इसी तरह से चरण बढ़ आंदोलन करेंगे और इस पर भी अगर सरकार नही मानती है तो सभी आरटी, आरपी बिआरपी सपरिवार आत्मदाह करने को मजबूर होंगे।

वहीं, नासेर्प के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् के समावेशी शिक्षा संभाग अंतर्गत लगभग 1067 प्रखण्ड साधन सेवी (IE). संसाधन शिक्षक एवं पुनर्वास विशेषज्ञ पद पर विगत 16 वर्षों से कार्यरत हैं। परियोजना के कुछ पदाधिकारियों की तानाशाही के कारण अल्प मानदेय में काम करने को विवश हैं। समय-समय पर हमलोग अपनी अपनी समस्याओं से वरीय पदाधिकारियों को अवगत कराते रहे. लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ और हमलोग मानसिक एवं आर्थिक प्रताड़ना के शिकार होते रहे। इसलिए बाध्य होकर आज हमें धरना प्रदर्शन को मजबूर होने पड़ा है।

उन्होंने बताया कि परियोजना में विगत 16 वर्षों से हम दिव्यांग बच्चों के सम्पूर्ण विकास हेतु कार्य कर रहे हैं परन्तु मानदेय ₹16500 जिसमें EPF कटौती कर शब्द मानदेय ₹14700 मिलता है, जबकि भारत सरकार द्वारा मानदेय का निर्धारणा ₹20000 किया गया है। इस महँगाई के दौर में परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल है। विगत 7-8 वर्षों से मानदेय में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई। प्रखण्ड स्तर पर एक-एक पद प्रत्येक दिव्यांगता के विशेषज्ञों के लिय पद स्वीकृत है। आज स्थिति यह है कि अधिकांश प्रखझड़ों में एक या दो लोग कार्यरत हैं। प्रत्येक प्रखण्ड में लगभग 100 से 150 तक विद्यालय हैं तथा दिव्यांग बच्चों की संख्या लगभग 300 से 500 तक है। ऐसे में कार्य करना कितना चुनौतीपूर्ण है, समझा जा सकता है। यात्रा भत्ता भी विगत 8 वर्षों से नहीं दिया जा रहा है। कई हमारे सहयोगी दिव्यांग बच्चों की सेवा करते एवं परियोजना के काम के दबाव के कारण असामयिक मृत्यु के शिकार हो गये या मानसिक अवसाद के शिकार हो गये मरणोपरांत परियोजना द्वारा संवेदना के दो शब्द भी नहीं कहे जाते, अन्य आर्थिक सहयोग की बात तो दूर है।

मनोज कुमार ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय के रिट याचिका WP (C)-132/2016 रजनीश पाण्डेय व अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया तथा संबद्ध रिट सं०-876/2017 कृष्ण गोपाल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य में आदेश दिनांक 28.10.2021 (छायाप्रति सलग्न) पारित किया गया है, जिसमें प्रत्येक विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों के अनुपात 10:1 एवं 15:1 के अनुपात से विशेष शिक्षका की नियुक्ति की जानी है। हमलोगों को विशेष शिक्षक का पद सृजन कर शिक्षा विभाग या बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् के प्रबंधन संरचना में सामंजित करते हुए वेतन भत्ता आदि का लाभ दिया जाय। सामंजन की प्रक्रिया में समय लगने की स्थिति में राज्य सरकार की संकल्प सं०-1003 दिनांक 22.01.2021 को लागू किया जाय।

उन्होंने कहा कि बिहार शिक्षा परियोजना परिषद, पटना के पत्रांक- IE/5995 दिनांक 29.09.2022 में पारित प्रस्ताव 7500 सामान्य शिक्षकों को विशेष शिक्षा में प्रशिक्षित कराने के दुर्भावनापूर्ण निर्णय को रद्द किया जाय। > हाल ही में परियोजना के समावेशी शिक्षा संभाग में नियुक्त सलाहकार को तत्काल प्रभाव से हटाया जाय, क्योंकि इस पद का न ही विज्ञापन हुआ और न ही इनके पास विशेष शिक्षा की कोई योग्यता है ये जब समावेशी शिक्षा के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी थे तब वित्तीय वर्ष 2006-07 से 2013-14 के मध्य ₹22000000 (दो करोड़ बीस लाख) का अग्रिम भुगतान एलिम्को, कानपुर को दिव्यांग बच्चों के उपकरण खरीद के वास्ते कराये थे आज भी लगभग एक करोड़ रुपये एलिम्को, कानपुर के पास पड़ा है. जिसका सामंजन नहीं हुआ। अतः इन्हें तत्काल हटाते हुए इसकी जाँच करायी जाय। क्षेत्र भ्रमण की स्थिति में यात्रा भत्ता का पुनः प्रावधान किया जाय। EPF का लाभ योगदान की तिथि से दिया जाय।

धरने में पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, पूर्व निशक्ता आयुक्त डॉ शिवाजी कुमार, प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार, महासचिव आलोक कुमार मिश्र, डॉ रमेश पांडेय (सदस्य, भारतीय पुनर्वास परिषद, नई दिल्ली), राज कुमार तिवारी, सुजीत कुमार, गौरव कुमार, प्रभात कुमार, संतोष कुमार, सुमन कुमार चौधरी, रश्मि कुमारी, अमृता कुमारी, प्रीति कुमारी साथ ही पूरे बिहार से हजारों के संख्या में समावेशी शिक्षा कर्मी मौजूद रहे।

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