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कौमी तंजीम द्वारा “धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद” विषय पर सम्मेलन का भव्य आयोजन

ऋषिकेश पांडे/ देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के संकल्प के साथ कौमी तंजीम के बैनर तले आज ए.एन. सिन्हा संस्थान, पटना में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ।

सम्मेलन की अध्यक्षता श्री तारिक़ अनवर (सांसद एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष, कौमी तंजीम) ने की।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. शशि कुमार सिंह तथा आजामी बारी ने प्रभावशाली ढंग से किया।

धन्यवाद ज्ञापन प्रो. रामायण यादव ने किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसके उपरांत अध्यक्ष श्री तारिक़ अनवर ने स्वागत भाषण दिया।

अपने उद्घाटन भाषण में श्री अनवर ने कहा कि भारत का संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि यह देश की आत्मा है। उन्होंने कहा:

> “हमारा संविधान हर नागरिक को समान अधिकार देता है, चाहे उसकी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र कुछ भी हो। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे कमजोर करने वाली किसी भी कोशिश का डटकर मुकाबला करें।”

 

उन्होंने कौमी तंजीम की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संगठन ने हमेशा से समाज में भाईचारे और सौहार्द को बढ़ावा दिया है।
उनका जोर इस बात पर था कि युवा पीढ़ी को संविधान की प्रस्तावना का अर्थ समझना चाहिए और उसे अपने आचरण में लागू करना चाहिए।
सम्मेलन के संयोजक और राष्ट्रीय महासचिव हिदायतुल्लाह ने कहा कि कौमी तंजीम पूरे देश में अपने लोगों को जोड़ने का काम कर रही है और राष्ट्रीय स्तर पर अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुएश्री राहुल देव (वरिष्ठ पत्रकार) संविधान के प्रस्तावना से लेकर उसके विभिन्न आयामों पर विस्तृत चर्चा की

उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय लोकतंत्र का बुनियादी स्तंभ है, और मीडिया का कर्तव्य है कि वह इस स्तंभ की रक्षा करे।

> “अगर मीडिया अपनी निष्पक्षता खो देगा, तो लोकतंत्र का संतुलन बिगड़ जाएगा,” उन्होंने कहा।

 

उन्होंने पत्रकारिता में तथ्यों की पुष्टि, बिना पक्षपात रिपोर्टिंग, और जनता के हित को सर्वोपरि रखने पर बल दिया।
उन्होंने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव पर भी चर्चा की और कहा कि जिम्मेदार पत्रकारिता आज पहले से कहीं अधिक जरूरी है।

श्री फुरकान अंसारी (पूर्व मंत्री) ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत की अस्मिता खतरे में उसे हर हाल में हमें बचाना है।

उन्होंने कहा कि भारत की ताकत इसकी विविधता में एकता है।

> “हमने हमेशा देखा है कि जब भी समाज में विभाजनकारी ताकतें सक्रिय होती हैं, तब-तब हमारे सामूहिक प्रयास और अधिक जरूरी हो जाते हैं।”

 

उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे केवल चुनावी फायदे के लिए समाज में विभाजन पैदा न करें, बल्कि संविधान की मूल भावना को मजबूत करें।

श्री के.सी. मित्तल (वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट) ने अपने संबोधन में कानून के विभिन्न आयामों और संविधान के उद्देश्यों पर चर्चा किया।

उन्होंने संविधान के कानूनी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।

> “संविधान जनता का जीवंत दस्तावेज है, और इसकी मूल संरचना में कोई भी हस्तक्षेप लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।”

 

उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विधि-व्यवस्था की निष्पक्षता को लोकतंत्र की नींव बताया।

महावीर कैंसर संस्थान के निर्देशक पद्मश्री डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह अपने संबोधन में देश की एकता और खंडात को बनाए रखने पर जोर दिया और उसके लिए समाज के सभी वर्गों को आजा आने का हवन किया

उन्होंने कहा कि संवैधानिक मूल्यों को केवल कक्षा में पढ़ाया जाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे समाज के व्यवहार और नीति-निर्माण में शामिल करना होगा।

> “जब हर नागरिक अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझकर कार्य करेगा, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा।”

सम्मेलन से निकले प्रमुख प्रस्ताव

सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख व्यक्तियों में श्री मुन्ना शाही पूर्व विधायक डॉ अजय कुमार सिंह पूर्व विधान पार्षद अनिल कुमार पूर्व विधायक मधुरेंद्र सिंह राजेश राठौर परवेज अहमद वसी अख्तर फहीम अहमद मोहम्मद अनवर उल हुदा आफाक अहमद असफ़र अहमद समायल अहमद संतोष श्रीवास्तव राजेश सिंह राठौर तौफीक आलम

 

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