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कालाजार उन्मूलन की ओर बड़ा कदम: दिघलबैंक में ग्रामीण चिकित्सकों और समुदाय का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित

“छुपाओ नहीं, बताओ — तभी बच पाओ” बना जन-जागरूकता का मूल मंत्र

किशनगंज,30 जून(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, कालाजार जैसी छिपी और गंभीर बीमारी से लड़ाई अब केवल स्वास्थ्य विभाग की नहीं, बल्कि पूरे समाज की बन चुकी है। इसी भावना के साथ दिघलबैंक प्रखंड में दो महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों — ग्रामीण चिकित्सकों के उन्मुखीकरण और Kala-azar Key Informant प्रशिक्षण — का आयोजन किया गया। यह पहल जिला स्वास्थ्य विभाग, WHO, पिरामल फाउंडेशन और स्थानीय चिकित्सा इकाइयों की सहभागिता से सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

गांव-गांव फैले चिकित्सकों को किया गया प्रशिक्षित

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग सबसे पहले निजी चिकित्सकों से संपर्क करते हैं। इसलिए इन चिकित्सकों को कालाजार के लक्षण, प्रसार, रोकथाम, संदर्भन और सरकारी योजनाओं की जानकारी देना बेहद जरूरी है। इस विशेष प्रशिक्षण में उन्हें बताया गया कि किस तरह समय रहते रोग की पहचान कर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से रोगियों को जोड़ा जा सकता है।

Key Informant Training: समुदाय की भागीदारी से बीमारी पर वार

इसी क्रम में दिघलबैंक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में Key Informant प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया। इसमें MOIC, BCM, VVDS, WHO प्रतिनिधि, और पिरामल फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य था— संभावित कालाजार पीड़ितों की शीघ्र पहचान, जानकारी का प्रचार-प्रसार और मुफ्त इलाज तक पहुंच सुनिश्चित करना।

प्रशिक्षण का संदेश: “पहचान ही बचाव है”

कार्यक्रम में बार-बार यह संदेश दोहराया गया कि “छुपाओ नहीं, बताओ — तभी बच पाओ।” समय पर लक्षण पहचानना और इलाज कराना ही कालाजार से बचाव की कुंजी है। यह रोग लंबे समय तक अनदेखा रहने पर जानलेवा हो सकता है, लेकिन समय रहते इलाज से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।

कालाजार पीड़ितों के लिए उपलब्ध सरकारी सहायता योजनाएं:

  • निःशुल्क जांच एवं इलाज
  • ₹7100 तक की आर्थिक सहायता
  • पोषण आहार योजना
  • घर-घर IRS छिड़काव व निगरानी प्रणाली
  • ASHA एवं स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा सतत फॉलोअप

“अब यह लड़ाई हर घर की है”

सिविल सर्जन डॉ. चौधरी ने कहा, “जब तक हर व्यक्ति और हर डॉक्टर इस रोग के खिलाफ जागरूक नहीं होगा, तब तक उन्मूलन असंभव है। आज दिघलबैंक में जो ऊर्जा और प्रतिबद्धता देखी, उससे विश्वास है कि हम जीत के करीब हैं।”

वहीं VBDCO डॉ. मंजर आलम ने कहा, “यह प्रशिक्षण केवल सूचना का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का संकल्प है।”

संवेदनशीलता और एकजुटता से होगा बदलाव

कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों ने कालाजार मुक्त समाज के निर्माण के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया। ग्रामीण चिकित्सकों ने स्पष्ट किया कि वे संदिग्ध रोगियों की पहचान कर उन्हें समय पर स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ेंगे।

अब हर गांव स्वस्थ हो — यही है अगला लक्ष्य।

इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि जब जनप्रतिनिधि, चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी और समुदाय एकजुट हों, तो कोई भी बीमारी टिक नहीं सकती। कालाजार उन्मूलन अब सपना नहीं, बल्कि साझा प्रयासों से साकार होती सच्चाई बनती जा रही है।

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