किशनगंज : शिशु जन्म से ही रखें पोषण का ख्याल, छः माह तक केवल स्तनपान, पूरक आहार में विविधता जरूरी
पूरक आहार के साथ शिशु के पोषण के लिए आवश्यक सभी तत्वों से परिपूर्ण हो इसके लिए भी पूरक आहार में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों की सूची भी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर उपलब्ध रहती है

किशनगंज, 28 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, शिशु स्वस्थ एवं बीमारी से बचा रहे, इसकी इच्छा सभी लोग रखते हैं, लेकिन इसके लिए शिशु जन्म से ही आवश्यक पोषण मिलना जरूरी है। इसकी शुरुआत शिशु जन्म से ही की जानी चाहिए। उचित पोषण के अभाव में शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम जाती है। जिससे वे अपने आरंभिक दिनों में ही बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। जिसका परिणाम उनके सभी प्रकार के विकासों पर होता है। माताओं को चाहिए कि वे शिशु जन्म से ही उसके पोषण का ख्याल रखें। जिसकी शुरुआत यथाशीघ्र स्तनपान से आरंभ कर देनी चाहिए। सिविल सर्जन डा. राजेश कुमार ने बताया नवजात शिशुओं को अपनी मां से मिलने वाल दूध उसके लिए सभी प्रकार से उपयोगी एवं उसके सभी प्रकार के विकासों को पूरा करने में सक्षम है। शिशुओं को पहले 6 माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए। उसे स्तनपान के अतिरिक्त कोई भी बाहरी पेय पदार्थ का सेवन नहीं कराना चाहिए यहां तक की पानी भी नहीं। 6 माह के बाद शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उसे ऊपरी आहार देने की आवश्यकता होती है। इसके लिए सुपाच्य एवं पोषण से भरपूर आहार का सेवन शिशुओं को कराना चाहिए। इसके लिए सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पूरक आहार संबंधी जानकारी प्रचार प्रसार के माध्यम दर्शाये जाते हैं। पूरक आहार के साथ शिशु के पोषण के लिए आवश्यक सभी तत्वों से परिपूर्ण हो इसके लिए भी पूरक आहार में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों की सूची भी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर उपलब्ध रहती है। उन्होंने बताया की जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में ब्रैस्ट फीडिंग कार्नर स्थापित किया गया है जहा माताए सुरक्षित स्तनपान करा सकती है।
गैर संचारी रोग पदाधिकारी डा. उर्मिला कुमारी ने बताया 6 माह के बाद शिशुओं पोषण के लिए उचित पूरक आहार में विभिन्न खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाना जरूरी है। खासकर सूक्ष्म पोषक तत्वों से परिपूर्ण पदार्थों को पूरक आहार में शामिल किया जाना जारूरी है। इससे न केवल शिशुओं को मिलने वाला पूरक आहार पोषण से भरपूर होता है बल्कि इससे उनके पूरक आहार में विविधता भी बनी रहती है। सामान्य तौर पर पूरक आहार की शुरुआत खीर, दलिया, खिचड़ी से की जाती है, क्योंकि ये सुपाच्य एवं पोषण से भरपूर होते हैं। बच्चों को इसके साथ आसानी से पचने वाले फलों का सेवन कराना चाहिए, विटामिन- सी के लिए आंवले एवं निम्बू, विटामिन-ए के हरे पत्तेदार सब्जियों का उपयोग उनके दलिया या खिचड़ी बनाते समय करनी चाहिए तथा इसे अच्छी तरह से कुचलकर खिलानी चाहिए। इस बात का ख्याल हमेशा रखें कि बच्चे थोड़ा ही खाते हैं, लेकिन हमारी कोशिश यह रहनी चाहिए कि उनके इस थोड़े से खाने को ही विविधता के साथ उनके विकास के लिए आवश्यक पोषण तत्वों से भरपूर बनाये रखना है।
किशनगंज ग्रामीण की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डा. आशिया नूरी ने बताया की स्तनपान बच्चे के स्वास्थ्य और जीवन को सुनिश्चित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। स्तन का दूध शिशुओं के लिए आदर्श भोजन है। यह सुरक्षित, स्वच्छ होता है और इसमें एंटीबॉडी होते हैं जो बचपन में होने वाली कई आम बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। स्तन का दूध शिशु को जीवन के पहले महीनों के लिए आवश्यक सभी ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है, और यह पहले वर्ष के दूसरे छमाही के दौरान बच्चे की पोषण संबंधी ज़रूरतों का आधा या उससे ज़्यादा हिस्सा और जीवन के दूसरे वर्ष के दौरान एक तिहाई तक पूरा करता है। स्तनपान करने वाले बच्चे बुद्धि परीक्षणों में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, उनका वजन अधिक होने या मोटापे की संभावना कम होती है और बाद में जीवन में मधुमेह होने की संभावना कम होती है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं में स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर का जोखिम भी कम होता है। स्तन-दूध के विकल्पों का अनुचित विपणन दुनिया भर में स्तनपान की दर और अवधि में सुधार के प्रयासों को कमजोर कर रहा है।