किशनगंज : टेली कंसल्टेंसी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को मिल रही स्वास्थ्य सुविधा
चिकित्सकों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से मरीजों को दिया जा रहा चिकित्सकीय सहायता, टेलीकंस्लटेंसी के लिए जिले में संचालित किया जा रहा 264 स्पोक्स एवं 16 हब्स

किशनगंज, 17 जनवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले में सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के सामान्य बीमारी से ग्रसित लोगों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा ई-संजीवनी के माध्यम से टेलीकंस्लटेंसी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत जिले के विभिन्न क्षेत्रों के सामान्य मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा चिकित्सकीय सहायता प्रदान किया जा रहा है। लोगों को आसानी से सामान्य बीमारी की सहायता मिल सके, इसके लिए जिले में हर माह के पहले और अंतिम बुधवार को टेलीकंस्लटेंसी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस दौरान जिले के विभिन्न क्षेत्रों में मरीजों को सहायता प्रदान करने के लिए स्पोक्स बनाया गया है। स्पोक्स में एएनएम द्वारा उपलब्ध मरीजों को नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में बनाए गए हब्स में उपस्थित विशेषज्ञ चिकित्सकों से ऑनलाइन द्वारा जोड़ते हुए उनके स्वास्थ की जानकारी दी जाती है। इसके बाद चिकित्सकों द्वारा मरीजों के संबंधित बीमारियों के लिए उपयुक्त दवाइयों के उपयोग की जानकारी दी जाती है। इसके बाद स्पोक्स में उपलब्ध एएनएम द्वारा मरीजों को सम्बंधित दवाई उपलब्ध कराई जाती है। मरीजों को टेलीकंस्लटेंसी के माध्यम से चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए जिले में कुल 264 स्पोक्स एवं 16 हब्स बनाये गए हैं। वही तीसरे बुधवार को विशेष अभियान के तहत टेलीमेडिसिन कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया जिसका जिलाधिकारी तुषार सिंगला के दिशा निर्देश के आलोक में जिला स्वास्थ्य समिति के पदाधिकारियों के द्वारा अनुश्रवन लगातार किया जा रहा है इसी क्रम में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेन्द्र कुमार के द्वारा बहादुरगंज प्रखंड के कई हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में कार्यक्रम का निरिक्षण कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के सामान्य बीमारी से ग्रसित लोगों को अस्पताल नहीं पहुंचने के कारण उन्हें संबंधित बीमारी से ज्यादा ग्रसित होने की संभावना रहती है। इसे दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा ई-संजीवनी के माध्यम से टेलीकंस्लटेंसी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों की सुविधा के लिए स्पोक्स बनाये गए हैं जहां एएनएम द्वारा उपलब्ध मरीजों को नजदीकी अस्पताल के विशेषज्ञ डाक्टर से जोड़ा जाता है। टेलीकंस्लटेंसी के माध्यम से डाक्टर द्वारा मरीजों को उपलब्ध बीमारी के आधार पर मेडिसिन परामर्श दिया जाता है जो मरीजों को एएनएम द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। इससे मरीजों को अस्पताल नहीं जाने के कारण भी सरकारी अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ मिल सकता है। डा. कौशल किशोर ने बताया कि वीएचएसएनडी सत्र के दौरान अब ग्रामीणों को ई-टेलीमेडिसिन की सेवा भी उपलब्ध कराई जा रही है। खासकर शर्दी के मौसम में सुदूर ग्रामीण इलाकों की लाभार्थियों के लिए ई-टेलीमेडिसिन काफी सुविधाजनक साबित हुआ। सुदूरवर्ती गांव के लोगों को इस सेवा से काफी लाभ मिलने लगा है। सदर प्रखंड समेत जिले में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां से स्वास्थ्य केंद्रों की दूरी ज्यादा होने के साथ ही हर समय चिकित्सीय सलाह लेना मुश्किल लगता था। लेकिन अब तो घर बैठे फोन करके भी सलाह या दवा मिलनी शुरू हो चुकी है। ऐसे में टेलीमेडिसीन यहां के लोगों के लिए वास्तव में संजीवनी साबित हो रही है। लाभार्थी महिलाओं को अब चिकित्सीय परामर्श के लिए पीएचसी या सदर अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। अब वो ई-टेलीमेडिसिन के मध्यम से ऑनलाइन चिकित्सकों को अपनी बीमारी और परेशानियों से अवगत कराकर उचित परामर्श और इलाज ले रही हैं। उन्होंने बताया की जिले में अबतक कुल 1.25 लाख से अधिक लोगों ने ई-टेलीमेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधा का लाभ उठाया है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. देवेन्द्र कुमार ने बताया कि एप के इस्तेमाल से मरीजों को इलाज के लिये अस्पताल आने की झंझट से मुक्त रहते हैं। लोग घर बैठे विशेषज्ञ चिकित्सकों से अपने रोग के संबंध में जरूरी परामर्श ले सकते हैं। इससे आम लोगों को भीड़-भाड़ सहित अन्य वजहों से संक्रमण के खतरों का भी सामना नहीं करना पड़ता। अस्पताल आने-जाने की मजबूरी, लंबी कतार में खड़े रहने व चिकित्सक से समय लेने में होने वाली दिक्कतें स्वत: खत्म हो जाती है। वही जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया की जिले में फिलहाल 16 हब व 264 स्पोक्स स्थापित हैं। ज़िले में आरोग्य दिवस के दिन 800 करीब मरीजों को सेवा का लाभ दिया गया है। इससे अनावश्यक ख़र्च नहीं होती व समय की भी बचत होती है। टेली मेडिसिन सेवाओं के जरिये मरीज वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से अपनी समस्या हब में बैठे चिकित्सकों के पास रख सकते हैं। चिकित्सकों से उन्हें उचित परामर्श व दवा का सुझाव दिया जाता है। उसके साथ उन्हें नि:शुल्क दवा भी दिया जाता है।