मुख्य समाचार।।….

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:–
✍️ *लद्दाख में दुनिया का सबसे ऊंचे लड़ाकू हवाई क्षेत्र का निर्माण करेगा BRO*
*भारत अपने सीमावर्ति इलाकों में लगातार बुनियादी ढांचा का विकास करने लगा हुआ है। ऐसे में भारत आने वाले दो से तीन वर्षों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचा का विकास करने के मामले में चीन को पछाड़ देगा। यह दावा करते हुए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बताया कि भारत अब लद्दाख के न्योमा में दुनिया का सबसे ऊंचे लड़ाकू हवाई क्षेत्र का निर्माण करने जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 12 सितंबर को जम्मू के देवक पुल से बीआरओ की 90 नई परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित करेंगे।*
*लद्दाख के हवाई क्षेत्र हो रहे अपग्रेड*
*बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बताया कि चीन के सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास पर पूरा जोर दिया जा रहा है। चीन सीमा से 50 किमी. से कम दूरी पर भारत ने लद्दाख के हवाई क्षेत्र को अपग्रेड करना शुरू कर दिया है। इसके लिए न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर लड़ाकू अभियानों के लिए 2.7 किमी लंबा कंक्रीट रनवे बनाया जा रहा है। यह 13,700 फीट की ऊंचाई पर चीन की नजरों से दूर दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई क्षेत्र होगा। यह एयरबेस चीन सीमा पर एलएसी के सबसे नजदीक होने के कारण रणनीतिक रूप से संवेदनशील होने के साथ ही महत्वपूर्ण भी है।*
*रक्षा मंत्री बीआरओ की 90 नई परियोजनाएं राष्ट्र को करेंगे समर्पित*
*उन्होंने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार और जीवन को आसान बनाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 12 सितंबर को बीआरओ की 90 नई परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इनमें से 26 परियोजनाएं लद्दाख में और 36 अरुणाचल में हैं, इसलिए हमारा ध्यान पूरी तरह से इन दो राज्यों पर है। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 6,000 करोड़ रुपये होगी। इसमें 22 सड़कें, 63 पुल और अरुणाचल प्रदेश में एक सुरंग शामिल है। इसके अलावा दो रणनीतिक हवाई क्षेत्र बागडोगरा और बैरकपुर और दो हेलीपैड एक राजस्थान में और एक ससोमा-सासेर ला के बीच लद्दाख में है। इनमें से 60 परियोजनाओं को दिसंबर तक पूरा करने की योजना है।*
*दुनिया की सबसे लंबी द्वि-लेन सेला सुरंग*
*उन्होंने बताया कि अगले 20 दिनों में सेला सुरंग का निर्माण पूरा कर लिया जायेगा। यह सुरंग 13,000 फीट और उससे अधिक ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी द्वि-लेन सुरंग होगी। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित सेला सुरंग तवांग सेक्टर को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करके ‘जीवन रेखा’ की तरह होगी। जनरल चौधरी ने बताया कि शिंकू ला टनल की योजना भी अपने अंतिम चरण में है। हिमाचल प्रदेश में जांस्कर-लाहौल-स्पीति को जोड़ने वाली 15,855 फीट की ऊंचाई पर यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। केंद्र सरकार एलएसी के 3,488 किमी. इलाके को विकसित करने के लिए तेजी से काम कर रही है। पिछले 2-3 वर्षों में 11,000 करोड़ रुपये की 295 परियोजनाएं पूरी की गई हैं।*
*आखिरी छोर तक मिलेगी कनेक्टिविटी*
*लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी के मुताबिक राष्ट्र को समर्पित की जा रही इन परियोजनाओं के माध्यम से हम लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार एलएसी पर हमारे काम में तेजी लाने के लिए अन्य सभी वाहनों और मशीनों के साथ बजट के साथ हमें समर्थन दे रही है। चौधरी ने कहा कि पहले हम एलएसी के इतने करीब नहीं थे, लेकिन पिछले तीन वर्षों में हम अपनी गति बढ़ा रहे हैं। इससे हमें अधिकांश अग्रिम चौकियों के आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी मिलेगी।*
✍️ *पीएम मोदी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता*
*प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच सोमवार, 11 सितंबर 2023 को द्विपक्षीय और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की और भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी की क्षमता को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।*
*रणनीतिक साझेदारी क्षमता को और अधिक अनलॉक करने पर हुई चर्चा*
*इस संबंध में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की और भारत-सऊदी की रणनीतिक साझेदारी की क्षमता को और अधिक अनलॉक करने के तरीकों पर चर्चा की।*
*हैदराबाद हाउस में की बातचीत*
*ज्ञात हो, G20 में भाग लेने के बाद क्राउन प्रिंस की आज से राजकीय यात्रा आरंभ हुई है। सुबह उनका राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया। इसके बाद दोनों नेताओं ने हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय वार्ता की।*
*बैठक में पीएम मोदी ने क्या कहा ?*
*बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा, भारत-सऊदी अरब साझेदारी स्थिरता, क्षेत्र और विश्व के कल्याण के साथ ही भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने G20 शिखर सम्मेलन की सफलता में योगदान के लिए क्राउन प्रिंस को फिर से धन्यवाद दिया। पीएम मोदी ने कहा भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच एक ऐतिहासिक आर्थिक गलियारा शुरू करने का निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह गलियारा न केवल दो देशों को जोड़ेगा बल्कि एशिया, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक विकास और डिजिटल सम्पर्क सुविधा प्रदान करने में भी मदद करेगा। पीएम मोदी ने कहा, क्राउन प्रिंस के नेतृत्व और विज़न 2030 के अंतर्गत, सऊदी अरब आर्थिक रूप से बहुत ही सुदृढ़ हुआ है।*
*सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने क्या कहा ?*
*सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा, भारत-सऊदी अरब संबंधों के इतिहास में कभी भी कोई असहमति नहीं थी, लेकिन भविष्य के निर्माण और अवसर पैदा करने के लिए सहयोग है। उन्होंने कहा, आज दोनों देश भविष्य के अवसरों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने G20 शिखर सम्मेलन के प्रबंधन और मध्य पूर्व, भारत और यूरोप को जोड़ने वाले आर्थिक गलियारे सहित हासिल की गई पहलों के लिए पीएम मोदी को बधाई दी। भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद एसपीसी की पहली बैठक की सह-अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, भारत के लिए, सऊदी अरब उसके सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदारों में से एक है। उन्होंने कहा, दुनिया की दो बड़ी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए आपसी सहयोग महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी ने कहा, बातचीत में दोनों देशों ने साझेदारी को अगले स्तर पर ले जाने के लिए कई पहलों की पहचान की है। प्रधानमंत्री ने कहा आज की बातचीत संबंधों को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करेगी। इससे हमें मानवता के कल्याण के लिए मिलकर काम करने की प्रेरणा मिलेगी।*
*दोनों नेताओं ने मीटिंग मिनिट्स पर किए हस्ताक्षर*
*प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्राउन प्रिंस ने भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक के कार्यवृत्त पर हस्ताक्षर किए। भारत और सऊदी अरब के बीच सदियों पुराने आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाने वाले सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं।*
*भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार*
*भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है जबकि सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 52 बिलियन डॉलर से अधिक का था। भारत में सऊदी का प्रत्यक्ष निवेश तीन अरब डॉलर से अधिक है और यह ऊर्जा सहयोग भारत-सऊदी द्विपक्षीय संबंधों का एक केंद्रीय स्तंभ है। ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सऊदी अरब भारत का एक प्रमुख भागीदार है। सऊदी अरब वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पाद का निर्यातक बना रहा।*
✍️ *जानें क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, लोगों के पास सस्ता सोना खरीदने का मौका*
*अगर आप भी सस्ता सोना खरीदना चाहते हैं तो केंद्र सरकार की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड निवेश में निवेश का अच्छा मौका है। जी हां, सरकार लोगों को सस्ता सोना खरीदने का मौका दे रही है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम एक तरह से डिजिटल गोल्ड में निवेश करने वाली स्कीम है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (एसजीबी) 2023-24 की दूसरी सीरीज सोमवार से निवेश के लिए खुल गई है। इसमें 15 सितंबर तक निवेश कर सकते हैं। इस बार सोने की कीमत 5,923 रुपये प्रति एक ग्राम है। इसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से निवेश किया जा सकता है।*
*ऑनलाइन आवेदन पर 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट*
*आरबीआई ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में निवेश करने वालों के लिए 5,923 रुपये प्रति ग्राम का निर्गम मूल्य तय किया है। यह चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एसजीबी की दूसरी सीरीज होगी। आरबीआई ने ऑनलाइन और डिजिटल आवेदन कर भुगतान करने वाले निवेशकों को 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट दी है। इस हिसाब से 999 शुद्धता वाले सोने का निर्गम मूल्य 5,873 रुपये प्रति ग्राम होगा।*
*स्कीम की अवधि 8 साल*
*इस गोल्ड बॉन्ड स्कीम में भारतीय नागरिक, हिन्दू अनडिवाइडेड फैमिली (हिन्दू अविभाजित परिवार), ट्रस्ट्स, यूनिवर्सिटीज और चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन्स पैसा लगा सकते हैं। इस स्कीम की अवधि 8 साल है। इस दौरान निवेशक को प्रतिवर्ष 2.5 प्रतिशत के फिक्स्ड रेट के हिसाब से ब्याज मिलेगा। ब्याज का भुगतान हर 6 महीने के अंतराल पर किया जाएगा। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम 8 साल के लिए जरूर है, लेकिन जरूरत पड़ने पर 5 साल की अवधि पूरी होने के बाद भी इस स्कीम से पैसा निकाला जा सकता है।*
*कितने ग्राम गोल्ड में कर सकते हैं निवेश*
*सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में कोई भी निवेशक न्यूनतम 1 ग्राम सोने के लिए निवेश कर सकता है। व्यक्तिगत निवेशकों के लिए इस स्कीम के तहत निवेश की सीमा एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम तय की गई है। इसी तरह हिन्दू अनडिवाइडेड फैमिली (एचयूएफ) के लिए भी निवेश की अधिकतम सीमा 4 किलोग्राम तय की गई है। लेकिन ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी और चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन्स जैसी संस्थाएं 1 वित्त वर्ष में अधिकतम 20 किलो ग्राम सोने तक के लिए निवेश कर सकती हैं।*
*2015 में शुरू की गई थी स्कीम*
*आरबीआई के मुताबिक इस बार भी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की बिक्री बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, निर्दिष्ट डाकघरों और शेयर बाजारों बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के जरिए होगी। बता दें कि सरकार ने परंपरागत सोने की मांग कम करने और घरेलू बचत के एक हिस्से के तौर पर स्वर्ण बॉन्ड की बिक्री नवंबर 2015 में शुरू की थी।*
✍️ *G20: जानें, भारत की अध्यक्षता में सफल आयोजन पर विश्व बैंक के अध्यक्ष ने क्या कहा*
*भारत की अध्यक्षता में 18वें G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन संपन्न हो गया है। ऐसे में भारत की मेजबानी के साथ ही भारत के द्वारा G20 के एजेंडे और डिक्लेरेशन पर सहमति को लेकर विश्व भर में तारीफ हो रही है। इसी क्रम में बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने भारत की जमकर तारीफ की।*
*दुनिया के लिए एक नया आयाम तय किया*
*अजय बांगा ने कहा कि भारत ने G20 की अध्यक्षता में दुनिया के लिए एक नया आयाम तय किया है। उन्होंने इस बात की भी सराहना की कि भारत ने G20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन नई दिल्ली घोषणा पत्र पर सभी देशों की आम सहमति आसानी से बना ली। अजय बंगा ने कहा, ‘दुनिया की 80 फीसद जीडीपी कमरे में बैठी हुई थी। अगर वे किसी विषय पर सहमत नहीं होते, तो इससे अच्छा संदेश नहीं जाएगा। मैं वास्तव में घोषणापत्र पर आम सहमति बनाने में सक्षम होने के लिए भारत, उसके नेतृत्व और G20 लीडर्स की सराहना करता हूं।’*
*भारत ने सभी देशों के हितों का रखा ध्यान*
*विश्व बैंक के अध्यक्ष ने कहा कि हर देश अपना फायदा देखता है लेकिन मैंने इस सम्मेलन में जो मूड देखा, उससे मैं आशावादी हूं। अजय बंगा ने कहा कि यहां हर देश अपने राष्ट्रीय हितों का ध्यान तो दे रहा था लेकिन दूसरे के विचारों को भी सुन रहा था।*
*बता दें कि भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक और मास्टरकार्ड के पूर्व सीईओ अजय बंगा को इसी वर्ष जून में विश्व बैंक का 14वां अध्यक्ष चुना गया।भारत में जन्मे वित्त और विकास विशेषज्ञ अजय बंगा को जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक संकटों से निपटने के लिए विश्व बैंक में बदलाव करने का काम सौंपा गया।*
✍️ *G20 शिखर सम्मेलन की जबरदस्त सफलता के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने किया धन्यवाद*
*G20 शिखर सम्मेलन की जबरदस्त सफलता और वैश्विक मीडिया में मिल रही सराहना के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने आतिथ्य के लिए विशेष धन्यवाद दिया है। भारत में G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति वियतनाम पहुंचे थे जिसके पश्चात उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और आतिथ्य के लिए धन्यवाद दिया है।*
*भारत-अमेरिका साझेदारी मजबूत करने के तरीकों पर पीएम मोदी के साथ की चर्चा*
*अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रविवार को कहा कि उन्होंने भारत-अमेरिका साझेदारी को मजबूत करने के तरीकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा की है। इसके साथ ही मोदी के नेतृत्व और G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।*
*द्विपक्षीय प्रमुख रक्षा साझेदारी को “गहरा और विविधतापूर्ण” करने का किया संकल्प*
*अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने वियतनाम की राजधानी में कहा, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ मानवाधिकारों के सम्मान के महत्व को भी उठाया। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में भारत की अपनी पहली यात्रा पर नई दिल्ली आए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने मोदी के साथ व्यापक बातचीत की। उन्होंने 31 ड्रोन की भारत की खरीद और जेट इंजनों के संयुक्त विकास में आगे बढ़ने का स्वागत करते हुए द्विपक्षीय प्रमुख रक्षा साझेदारी को “गहरा और विविधतापूर्ण” करने का संकल्प व्यक्त किया।*
*भारत में की गईं महत्वपूर्ण बैठकों के बारे में भी बात की*
*अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी को उनके नेतृत्व और उनके आतिथ्य तथा G20 की मेजबानी के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने और मैंने इस बारे में चर्चा की है कि हम पिछले जून में प्रधानमंत्री की व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच बनी साझेदारी को कैसे मजबूत करना जारी रखेंगे। उन्होंने G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत में की गईं महत्वपूर्ण बैठकों के बारे में भी बात की।*
*इससे पहले भारत आगमन पर राष्ट्रपति बाइडन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग पर प्रधानमंत्री और भारत के लोगों को हार्दिक बधाई दी थी और अंतरिक्ष में दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग पर प्रकाश डाला था।*
✍️ *पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के बीच द्विपक्षीय बैठक, फ्रांस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता को दिया समर्थन*
*पीएम मोदी ने G20 के सफल आयोजन के बाद रविवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इन दोनों राजनेताओं ने जुलाई 2023 में पेरिस में आयोजित अपनी आखिरी बैठक के बाद से लेकर अब तक द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति पर व्यापक चर्चा की। इसके साथ ही राष्ट्रपति मैक्रों ने मिशन चंद्रयान 3 की भारत की सफलता पर पीएम मोदी को बधाई दी।*
*दोनों नेताओं के बीच विस्तार से हुई चर्चा*
*मुलाकात के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अपने सहयोग का विस्तार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और लोगों से लोगों के बीच संपर्क के क्षेत्रों में सहयोग के लिए नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के कार्यान्वयन पर समग्र प्रगति और अगले कदमों पर चर्चा की।*
*परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन*
*दोनों नेताओं ने मजबूत भारत-फ्रांस असैन्य परमाणु संबंधों, जैतापुर परमाणु संयंत्र परियोजना के लिए चर्चा में अच्छी प्रगति को स्वीकार किया और एसएमआर और एएमआर प्रौद्योगिकियों के सह-विकास के लिए दोनों पक्षों की निरंतर भागीदारी का स्वागत किया। फ्रांस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता के लिए अपने दृढ़ और अटूट समर्थन को दोहराया।*
*उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा*
*दोनों नेताओं ने उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी और प्लेटफार्मों के डिजाइन, विकास, परीक्षण और निर्माण में साझेदारी के माध्यम से रक्षा सहयोग को मजबूत करने और इंडो-पैसिफिक और उससे आगे के तीसरे देशों सहित भारत में उत्पादन का विस्तार करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस संदर्भ में उन्होंने रक्षा औद्योगिक रोडमैप को शीघ्र अंतिम रूप देने का भी आह्वान किया।*
*डिजिटल, विज्ञान, तकनीकी नवाचार, शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य और पर्यावरण सहयोग जैसे क्षेत्रों पर जोर देते हुए दोनों नेताओं ने इंडो-पैसिफिक के लिए इंडो-फ्रेंच कैंपस के मॉडल पर इन क्षेत्रों में संस्थागत संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया। इस संदर्भ में उन्होंने सांस्कृतिक आदान-प्रदान का विस्तार करने और संग्रहालयों के विकास में मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।*
*अफ्रीकी संघ की सदस्यता का भी स्वागत किया*
*प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 की भारत की अध्यक्षता के लिए फ्रांस के निरंतर समर्थन के लिए राष्ट्रपति मैक्रों को धन्यवाद दिया, जिसने वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और अधिक स्थिर वैश्विक व्यवस्था बनाने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में समावेशिता, एकता और एकजुटता को आगे बढ़ाया। भारत और फ्रांस ने जी-20 में अफ्रीकी संघ की सदस्यता का भी स्वागत किया और अफ्रीका की प्रगति, समृद्धि और विकास के लिए एयू के साथ काम करने पर विचार किया।*