अडानी मामले की जांच संसद की संयुक्त समिति से कराई जाए:भाकपा

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –पटना।भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा कि गौतम अडानी समूह द्वारा अपनी कंपनियों के मूल्य और संपत्ति को बढ़ाने के लिए उनके स्टॉक की कीमतों में हेरफेरी करने के ताजा सबूत सामने आए हैं। इस मामले की जांच संसद की संयुक्त समिति से कराई जाए। ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट के इनपुट के आधार पर फाइनेंशियल टाइम्स और द गार्जियन ने खुलासा किया है कि कैसे विनोद अडानी के दो करीबी सहयोगियों ने बरमूडा में एक निवेश फंड का इस्तेमाल किया और अडानी की कंपनियों में लाखों डॉलर के शेयर खरीदने के लिए शेल कंपनियों की स्थापना की।
रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि सेबी 2014 में अडानी कंपनियों की फंडिंग के मामले की जांच कर रही थी, लेकिन बाद में पूछताछ बंद कर दी गयी थी।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ अडानी के संबंधों ने अब तक यह सुनिश्चित किया है कि सेबी ने शेयर बाजार में व्यापक धोखाधड़ी और हेरफेरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। मामले की जांच की आवश्यकता है और सुप्रीम कोर्ट को यह सुनिश्चित कदम उठाना होगा कि जांच में कोई लीपापोती न हो।
भाकपा राज्य सचिव ने बयान जारी कर कहा कि दुनिया के दो फाइनेंशियल न्यूज पेपर ने लिखा कि एक परिवार जो प्रधानमंत्री मोदी के काफी करीब है, उसने अपने खुद के शेयर गुपचुप तरीके से खरीदे और फिर शेयर मार्केट में निवेश किया। एक बिलियन डॉलर हिन्दुस्तान से अडानी की कंपनी के नेटवर्क के जरिए अलग-अलग देशों में गया और फिर वापस आया। फिर उस पैसे से अडानी ने अपने शेयर रेट को बढ़ाया और वे अब हिन्दुस्तान की पूंजी को खरीद रहे हैं। भाकपा राज्य सचिव ने सवाल करते हुए कहा कि ये पैसा किसका है? ये अडानी का पैसा है या किसी और का पैसा है? अगर किसी और का है तो किसका है?इस पूरे काम में मास्टरमाइंड विनोद अडानी है। इसमें दो और लोग- नासिर अली शाबान अहली और चीनी नागरिक चैंग-चुंग लिंग शामिल हैं। अडानी जब देशभर का इन्फ्रास्ट्रक्चर खरीद रहे हैं, पोर्ट्स और डिफेंस में काम करते हैं तो इन सब में चीनी नागरिक चैंग-चुंग लिंग कैसे शामिल है? ये राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है। सेबी की जांच में जिस व्यक्ति ने अडानी को क्लीन चिट दी, वह आज अडानी के चैनल एनडी टीवी में निदेशक है। अब सवाल है कि इसके बारे में प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं? कुछ करते क्यों नहीं? सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां अडानीकी जांच क्यों नहीं कर रही हैं?