राजनीति

 मजबूत कम्युनिस्ट पार्टी ही फासीवाद का मुकाबला कर सकती है: अजीज पाशा, पूर्व सांसद

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का तीन दिवसीय राज्य स्तरीय पार्टी शिक्षक कार्यशाला रविवार को समाप्त हो गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए भाकपा के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व सांसद अजीज पाशा ने कहा कि मजबूत कम्युनिस्ट पार्टी ही फासीवादी ताकतों का मुकाबला कर सकती है। केन्द्र की सत्ता में बैठी भाजपा सरकार देश को फासीवादी रास्ते पर ले जा रही है और आर.एस.एस. के एजेंडे को लागू कर रही है। इसका डटकर मुकाबला करना है और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाली नरेन्द्र मोदी की सरकार को सत्ता से हटाना है।

भाकपा राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि मोदी सरकार को सत्ता हटाने के लिए गांव गांव पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित की जाए। केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों से आम जनता को अवगत कराना समय की मांग है। उन्होंने मणिपुर हिंसा की चर्चा करते हुए कहा कि मोदी सरकार में कोई सुरक्षित नहीं है। दलितों आदिवासियों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं। लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही पूरे देश में साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की जी रही है। मोदी सरकार पूंजीपतियों के हित में ही सभी फैसले लेती है। पिछले नौ वर्षों के कार्यकाल में पूंजीपतियों को 15 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज माफ कर दिए गए हैं जबकि लोक कल्याणकारी योजनाओं की राशि में लगातार कटौती की जा रही है। उन्होंने बिहार में भूमि आंदोलन पर बल देते हुए कहा वास की भूमि की समस्या आज बनी हुई है। इसको लेकर पार्टी को आंदोलन तेज करना चाहिए।

भाकपा राज्य सचिवमंडल सदस्य प्रोफेसर जब्बार आलम ने ज्वलंत सवालों को लेकर जन संघर्ष करने का आह्वान किया। उन्होंने केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि मोदी सरकार में जनता महंगाई से त्रस्त है। मोदी सरकार सभी मोर्चे पर विफल साबित हुई है। सीपीआई राष्ट्रीय परिषद के सदस्य व केंद्रीय पार्टी स्कूल के प्राचार्य अनिल राजिमवाले ने पार्टी कार्यकर्ताओं को कम्युनिस्ट विचारधारा से लैस करने के लिए लगातार पार्टी स्कूल चलाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शाखा तक पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। विजेंद्र केसरी ने बिहार पार्टी के इतिहास पर क्लास लिये। मार्क्सवाद चिंतक व न्यू एज की उप संपादक कृष्णा झा ने कहा कि भारतीय परिवेश में मार्क्सवाद को ढालने की जरूरत है। बिहार कम्युनिस्ट आंदोलन की उर्वरा भूमि है।
कार्यशाला में राज्य सचिवमंडल सदस्य विजय नारायण मिश्र, रामलाला सिंह, प्रमोद प्रभाकर, मिथिलेश कुमार झा आदि मौजूद थे।
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