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*पलायन के कारण बिहार में परिवार के एक साथ रहने की परिकल्पना खत्म हो चुकी है: प्रशांत किशोर*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:-जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली में पत्रकार वार्ता के दौरान बेरोज़गारी और पलायन पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के ज्यादातर गांव में 50 से 60 प्रतिशत युवा मज़दूरी या पढ़ाई की वजह से अपने घर, गांव और यहां तक कि पंचायत से बाहर ही रह रहे हैं। गांव में युवा मिलते ही नहीं है, गांव में अधिकतर बच्चें, महिला और बूढ़े लोग ही मिलते हैं। लोग समझते हैं कि पलायन गरीबों का मुद्दा है लेकिन ये गलत है।

पलायन मध्यमवर्गीय और समृद्ध परिवारों के लिए भी उतना ही बड़ा मुद्दा है जितना गरीबों के लिये है। जो गरीब व्यक्ति है वो मज़दूरी के लिये पलायन करते हैं लेकिन मध्यमवर्गीय और समृद्ध परिवार के बच्चों को भी पढ़ाई और नौकरी के लिए बाहर जाना पड़ता है। इस समस्या से जो एक बड़ी बात समझ आती है वह यह है कि बिहार में परिवार के एक साथ रहने की जो परिकल्पना है वो ख़त्म हो गई है। आज बिहार में शायद ही गांव में ऐसा कोई घर है जहां माता-पिता, पति-पत्नी और बच्चें एक साथ रह रहे हों। आज लोग होली, दिवाली या शादी विवाह में ही घर आते हैं फिर चाहे आप अमीर हैं या गरीब आपको बिहार से बाहर जाना ही पड़ेगा।

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