नहाय – खाय के साथ सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ शुरु ,भगवान भाष्कर को को अर्पित किया जाएगा।..
गुड्डू कुमार सिंह-तरारी।मंगलवार को नहाय-खाय के साथ सूर्योपासना का महापर्व चैत्री छठ शुरू हो गया। चार दिनों के इस लोक आस्था का महापर्व के पहले दिन मंगलवार को व्रतियों ने सुबह घर की साफ-सफाई के बाद स्नान कर विधि-विधान के साथ भगवान भास्कर की आराधना की। आज कद्दू-भात का प्रसाद भगवान सूर्य को अर्पित किया जाएगा। इसके बाद व्रती खुद कद्दू और भात का प्रसाद ग्रहण करेंगे।
खरना 26 मार्च रविवार को होगा। इसे लोहंड भी कहते हैं। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखेंगी और शाम में आम की लकड़ी पर गुंड में बनी चावल की खीर, दूध, और घी दोस्ती रोटी का प्रसाद बनाएंगी। छठी मइया काे अर्पित करने के बाद व्रती उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगी। खरना का प्रसाद स्वजनाें के साथ अन्य लोगों को दिया जाएगा। खरना के साथ ही व्रतियाें का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा।27 मार्च सोमवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगी। वही 28 मार्च मंगलवार को सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतरकर सूर्यदेव से प्रार्थना करेंगी। इसके बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाएगा।
पूर्व नगर पार्षद पचरत्ना देवी बताती हैं कि मिट्टी से बने चूल्हे के प्रसाद से गहरे अपनापन का बोध होता है ।मिट्टी के चूल्हे की सौंधी खुशबु गजब की होती है ।ऐसे में छठ लोक आस्था के साथ कई परिवारों के लिए रोजगार का माध्यम भी है ,छठ से पहले कलसूप व डलिया की मांग बढ़ गई है। बाजारों में कलसूप व डलिया आदि की खरीदारी के लिए लोग पहुंचने लगे हैं फलों की मांग भी काफी बढ़ गई है।
छठ पूजा को लेकर बढ़ी बाजार की रौनकः चैती छठ पूजा को लेकर बाजार में खरीदारी के लिए भीड़ बढ़ गई है। प्रसाद रखने के लिए बांस से बनी टोकरी, बांस या पीतल के सूप, लोटा, थाली, पीतल के गिलास, चावल, लाल सिंदूर, धूप, दीपक, पानी वाला नारियल, ईख, सेब, संतरा, कागजी नीबू, अदरख, मूली, हल्दी के पौधे, गगरा, गन्ना, नए वस्त्र जैसे साड़ी-कुर्ता पजामा आदि की खरीदारी की जा रही है। इसके साथ ही पूजन सामग्री की दुकानों पर भी भीड़ है।