आईएएस के लिए इंटरव्यू देना भी अपने आप में एक अनूठा अनुभव है।यहां ज्ञान के अलावा और भी बहुत कुछ परखा जाता है। बीते वर्षों के कुछ टॉपर्स से जानते हैं कि उनसे किस प्रकार के प्रश्न पूछे गए।आईएएस परीक्षा की यात्रा सस्पेंस थ्रिलर फिल्म जैसी होती है और आईएएस इंटरव्यू इसका क्लाइमैक्स, जो पूरी फिल्म को अर्थवान बनाता है। आम तौर पर इंटरव्यू के स्तर तक पहुंचने वाले उम्मीदवार ज्ञान और आईक्यू से लैस होते हैं लेकिन इंटरव्यू सिर्फ ज्ञान की परीक्षा नहीं होती।यह आपके व्यक्तित्व की गतिशीलता को मापने वाली प्रक्रिया होती है।यह ऐसा चरण है, जिसमें आपको यह सिद्ध करना होता है कि आपमें एक आईएएस अध्ािकारी बनने लायक गुण हैं।कई आईएएस टॉपर्स ने अपनी सफलता की कहानियां साझा की हैं और उनमें से ज्यादातर ने अपनी सफलता की यात्रा में इंटरव्यू के महत्व को रेखांकित कियाहै….बिहार के सीनियर आईएएस अधिकारी और राजस्व बोर्ड के सदस्य एस.एम राजू का नाम भी भ्रष्ट अधिकारियों की सूची में शुमार हो गया है।निगरानी विभाग ने छात्रवृति घोटाला में आईएएस अधिकारी एस.एम राजू को आरोपी बनाते हुए निगरानी थाने में उन पर मामला दर्ज किया है।निगरानी विभाग ने जांच में पाया कि राजू जब कल्याण विभाग के सचिव पद पर तैनात थे, तो अनुसूचित जाति/जनजाति छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति में करोड़ों रुपये की हेराफेरी की थी।उसका बंदरबांट किया था।इस मामले में निगरानी विभाग ने दर्जनभर लोगों पर केस दर्ज किया है।यह मामला वित्तीय वर्ष 2013-14 में अनुसूचित जाति/जनजाति प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति में बंदरबांट का है, निगरानी विभाग ने पाया कि छात्रवृति के वितरण में जमकर हेराफेरी की गई है।करोड़ों रुपये की राशि का बंदरबांट आईएएस अधिकारी एस०एम राजू की मिलीभगत से की गई है।बिहार के कई जिलों में डीएम और आयुक्त तक के पद को राजू संभाल चुके हैं।उन पर आंध्र प्रदेश के कॉलेज के 25 छात्रों को नियमों को ताक पर रखकर छात्रवृति दिलाने का आरोप है।निगरानी विभाग ने जांच के दौरान पाया कि 15 वैसे छात्रों को छात्रवृति का भुगतान तत्कालीन कल्याण विभाग के सचिव की मिली भगत से किया गया, जो संस्थान छोड़कर पढ़ाई पूरी किए बिना चले गए।पांच वैसे छात्रों को भी छात्रवृति का भुगतान किया गया जो संस्थान से पढ़ाई पूरी कर चले गए।आपको बताते चले की प्राथमिकी दर्ज होने के बाद चार महीने से फरार चल रहे हैं राजू, घोटाले की जांच में निगरानी को मनी लॉंडिंग के भी मिले हैं साक्ष्य ।मालूम हो की निगरानी विभाग के पास इन सभी 20 छात्रों के नाम और पता उपल्ब्ध है।निगरानी विभाग को छात्रों से ये शिकायत मिली थी कि संस्थान ने नामांकन से पहले ही कल्याण विभाग को छात्रों की सूची मार्क्स के साथ भेज दी थी।कई छात्रों के परीक्षा का मार्क्स संस्थान ने नामांकन के पहले ही जारी कर दिया था।गोन्ना इंस्टीच्यूट ऑफ इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी एंड साइंस, विशाखापत्तनम आंध्रप्रदेश ने 25 छात्रों के परीक्षा का मार्क्स संलग्न कर कल्याण विभाग को भेजा था, लेकिन इनमें छह छात्रों ने निगरानी विभाग को लिखित शिकायत कि उन्होंने संस्थान में कोई परीक्षा ही नहीं दी थी।आपको बताते चले की छात्रवृत्ति घोटाले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने राज्य के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी एसएम राजू की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए हैं।निगरानी ब्यूरो राजू की गिरफ्तारी के लिए अपनी विशेष अदालत से वारंट जारी करने का आग्रह करेगा।इस मामले की जांच में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को मनी लॉंडिंग के भी साक्ष्य मिले हैं।वर्ष 2014 में राज्य के अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र-छात्रओं को उच्च शिक्षा के लिए मिलने वाली छात्रवृत्ति के बंदरबांट मामले की जांच कर रहे निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने अनुसूचित जाति व जनजाति कल्याण विभाग के तत्कालीन सचिव एसएम राजू समेत कई अधिकारियों के खिलाफ विगत वर्ष 27 नवंबर को नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई है।निगरानी ने राजू से पूछताछ के लिए तीन-तीन नोटिस भी जारी किया।लेकिन राजू ने किसी भी नोटिस का अबतक न तो कोई जवाब ही दिया और न ही पूछताछ के लिए निगरानी के समक्ष उपस्थित हो रहे हैं।पिछले दिनों निगरानी की विशेष अदालत में राजू के वकील ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आवेदन दिया था जिसे अदालत ने पिछले शनिवार को खारिज कर दिया है।इस बीच, निगरानी के सूत्र बताते हैं कि छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में राज्य के कुल 12 जिलों की जांच अब पूरी हो चुकी है।इस जांच में पता चला है कि नवादा के अलावा सारण, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर के तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी के खिलाफ घोटाले में कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं।इसमें पाया गया है कि उत्तराखंड के पांच वैसे तकनीकी संस्थानों को छात्रवृत्ति की राशि ट्रांसफर की गई थी जो संस्थान केवल कागजों पर चलते हैं।जांच में यह भी पाया गया कि संस्थान में पढ़ने वाले जिन छात्र-छात्रओं के नाम पर छात्रवृत्ति की निकासी गई थी, वे छात्र-छात्रएं भी फर्जी थे।बाद में संस्थान के नाम पर ट्रांसफर की गई राशि को जिला कल्याण पदाधिकारियों की मदद से कई व्यक्तिगत बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए गए।इस मामले में निगरानी को मनी लॉंडिंग के भी साक्ष्य मिले हैं।जांच अधिकारी ने बताया कि इस मामले में कई पहलुओं पर छानबीन हुई है।