जो जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है।…

धीरज कुमार:-नकुल देव।पिछले तीन दिनों से चिगला बर ग्राम में श्रीमद् प्रज्ञा पुराण की पावन कथा चल रही है। कथावाचक गायत्री शक्तिपीठ चतरा के ट्रस्टी श्री नकुल प्रसाद जी एवं उनके साथ युग गायक श्री संतोष शर्मा,विजय कुमार, श्री चंदन मोदी जी के द्वारा संगीत मय कथा सुनकर श्रोता मन मुग्ध हो रहे हैं। अपने उद्बोधन में श्री नकुल ने प्रसाद जी ने कहा कि मनुष्य का जीवन एक कल्पवृक्ष के जैसा। व्यक्ति जैसा सोचता है वैसा ही कर्म करता, और जैसा कर्म करता है वैसा ही फल पाता है। क्योंकि हर व्यक्ति के मन में कभी अच्छे विचार कभी बुरे विचार आते रहते हैं। देव और दैत्य दोनों तरफ की प्रवृत्ति हर व्यक्ति के अंदर होता है। जिस प्रवृत्ति को आगे बढ़ाना हो ऊंचा उठाना हो उसी के जैसा चिंतन करना चाहिए। सत्संग व्यक्ति को उत्कृष्ट चिंतन प्रदान कर नर से नारायण , देव से महादेव, मानव से महामानव बनाती है। अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा है कि मन को कुविचारों एवं दुर्भावनाओ से बचाए रखने के लिए निमित्त स्वाध्याय एवं सत्संग अवश्य करनी चाहिए। मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं आप हैं। प्रतिदिन हर व्यक्ति को नवयुग का संविधान युग निर्माण सत संकल्प का पाठ अवश्य करनी चाहिए।