‘माल महाराज का मिर्जा खेले होली’ के पर्याय बने नीतीश कुमार: राजीव रंजन।।…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:- राज्य सरकार पर एनडीए कार्यकाल की नौकरियों के सहारे चेहरा चमकाने का आरोप लगाते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व मीडिया विभाग के प्रभारी राजीव रंजन ने आज कहा कि संगत बदलते ही आदमी की रंगत कैसे बदल जाती है यह सीएम नीतीश कुमार जी को देख कर पता चलता है. भाजपा के साथ जो नीतीश कभी ईमानदारी की ‘दुकान’ माने जाते थे, राजद के साथ जाते ही वह ‘फर्जीवाड़े’ की ‘खदान’ बन कर रह गये हैं. जिस सफाई से भाजपा के किये हुए कामों का सेहरा वह भतीजे के सिर पर बांधने का प्रयास कर रहे हैं, वह उनकी हताशा का जीवंत प्रमाण है.
उन्होंने कहा कि वास्तव में आज बिहार में ‘माल महाराज का मिर्जा खेले होली’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. एनडीए सरकार के समय तय हुई नौकरियों के सहारे ठगबंधन सरकार के चेहरे को चमकाने का प्रयास किया जा रहा है. ज्यादा दिन नहीं हुए जब राजस्व विभाग के पहले से नियुक्त 4235 कर्मचारियों को दोबारा नियुक्ति पत्र बांट कर कर वाहवाही लूटने की कोशिश की थी और आज फिर से भाजपा के समय चयनित 9469 चयनित स्वास्थ्य कर्मियों को नियुक्ति पत्र बांट कर चचा-भतीजा अपनी पीठ खुद से थपथपाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं.
सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश जी और तेजस्वी जी में यदि हिम्मत हो तो वह जनता को यह बताना चाहिए कि इन नौकरियों की वैकेंसी कब निकाली गयी थी और उस समय स्वास्थ्य मंत्रालय किसके पास था? उन्हें यह भी बताना चाहिए कि एनडीए सरकार की तय इन नौकरियों को ‘क्यों’ और ‘किसके’ आदेश पर अभी तक रोके रखा गया था?
श्री रंजन ने कहा कि हकीकत में भाजपा की बैसाखी पर लंबे समय तक सत्ता सुख भोगने वाले नीतीश जी को आज भी चेहरा चमकाने के लिए भाजपा की उपलब्धियों की ही जरूरत पड़ रही है. वास्तविकता में मंगल पांडे जी के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए इन नियुक्तियों की वैकेंसी 2021 में ही जारी की गयी थी. हमने पहले भी बताया था कि नीतीश जी के पलटी मारने के कई महीने पहले ही एनडीए काल में 1 लाख 15 हजार शिक्षकों और 1 लाख अन्य विभागीय नौकरियों की बात तय हो चुकी थी. स्वास्थ्य विभाग की यह नियुक्तियां भी उसी का हिस्सा थी. लेकिन मन में छिपे के पाप और पीएम बनने की महत्वकांक्षा के कारण सीएम साहब इन्हें आज तक दबाए बैठे थे.
नीतीश सरकार की पोल खोलते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि वास्तव में नीतीश सरकार ने पिछले दो महीनों में सिवाय कोरी बयानबाजी के कोई नया काम नहीं किया है. अभी भी इनकी राजनीति भाजपा द्वारा किये गये कामों के रहमोकरम पर चल रही है. अब आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनावों तक यह एनडीए काल में तय हुई नौकरियों को ही एक-एक कर के निकालेंगे और इसी के सहारे अपनी राजनीतिक दूकान चलाएंगे. बहरहाल सरकार यह जान ले कि उनका यह ढ़कोसला जनता की अदालत में चलने वाला नही है. जनता उनका खेल समझ चुकी है और भविष्य में उन्हें आश्रम भेज के ही दम लेगी.