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किशनगंज : शहर में बढ़ते अतिक्रमण एवं गंदगी से प्रभावित हो रही रमजान नदी।

पहले मोती के समान चमकती थी धारा, अब गंदे पानी व कचरे से आती है बदबू।

  • शहर के सौंदर्यकरण का एक हिस्सा हुआ करता था रमजान नदी। रमजान नदी का अस्तित्व खतरे में, नदी से नाला में होता जा रहा है तब्दील।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली रमजान नदी का अस्तित्व खतरे में है। शहर के बीचों बीच मोती की भांति चमकने वाली कल कल करती बहने वाली रमजान नदी अब गंदी नाली में तब्दील हो गई है। रमजान नदी को देख कर कोई नही कह सकता की यह नदी है. कई दशकों पहले इस नदी की चौड़ाई सौ फीट हुई करती थी लेकिन लोगो के द्वारा किए गए अतिक्रमण एवं प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब रमजान की चौड़ाई कुछ ही फीट बची है। यहां के बुद्धिजीवीयो की माने तो अभी शहर के दर्जनों नाली का दूषित पानी सीधे नदी में गिरता है जिससे रमजान नदी देखते देखते अब नाले में तब्दील हो गई है। रमजान नदी के दोनो तरफ किए गए अतिक्रमण को अतिक्रमण मुक्त कराने का काफी प्रयास किया गया पर सभी प्रयास विफल रहा। रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त कराने की कोशिश कई बार हुई लेकिन सफल ना हो सकी। बीते वर्ष रमजान नदी का कांग्रेस सांसद डॉ जावेद आजाद ने बुडको के अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया था और कई बिंदुओं पर चर्चा हुई थी लेकिन उसके बाद हुआ कुछ नहीं। कांग्रेस विधायक इजहारूल हुसैन ने सदन में रमजान नदी का मुद्दा उठाया लेकिन हुआ कुछ नहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व मो तस्लीमुद्दीन ने रमजान नदी के सौंदर्यीकरण को लेकर योजना बनाई थी और तब योजना आयोग टीम किशनगंज आयी थी और कई योजनाएं बनी लेकिन तब भी कुछ नहीं हुआ। तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश ने रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर तत्कालीन एसडीएम शाहनवाज अहमद नियाजी को निर्देश दिया था जिसके बाद रमजान नदी को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए नदी की जमीन पर बने आवासीय परिसर और प्रतिष्ठानो की मापी कराई गयी थी। करीब डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को नोटिस भी भेजा गया लेकिन फिर हुआ कुछ नहीं।

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