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किशनगंज : पुण्यतिथि पर याद किये गए पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व मुन्ना मुस्ताक।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के युवा कार्यकर्ताओं ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व० मुन्ना मुस्ताक की तेलिया चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया।किशनगंज के हर दिल अजीज राज्य व केंद्रीय पूर्व मंत्री मुन्ना मुस्ताक के 7वीं पुण्यतिथि पर आरजेडी के युवा कार्यकर्ताओं ने चूड़ीपट्टी स्तिथ उनके आवास पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री की पुण्यतिथि पर छात्र राजद के कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके जीवनी को याद किया। इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मुन्ना मुस्ताक के पुत्र व राजद प्रदेश युवा महासचिव एमके रिजवी उर्फ नन्हा मुस्ताक ने शनिवार को जानकारी देते हुए बताया की वह एक निष्पक्ष व इमानदार नेता थे जो किशनगंज वासियों को बहुत कुछ देकर गए हैं जो लोग कभी उसे भूल नहीं सकते हैं। किशनगंज की विकास को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए वह बहुत बलिदान दिए थे जिसे लोग हमेशा याद रखेंगे। गौरतलब हो कि मो. मुश्ताक अहमद रिज़वी उर्फ मुन्ना मुश्ताक जिनका जन्म 18.12.1953 को किशनगंज में हुआ था। नेशनल हाई स्कूल किशनगंज से ही स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के बाद मारवाड़ी कॉलेज किशनगंज से राजनीति शास्त्र में स्नातक किया। कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। 1973 ई. में पहली बार शहर के सबसे धनी व्यक्ति को पराजित कर किशनगंज नगर परिषद के सदस्य बने। 1974 ई. में जे.पी. आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए 24 जून 1975 में जेल भेजे गए। श्री जय प्रकाश नारायण ने स्वयं किशनगंज आकर उन्हें आंदोलन में क्रांतिकारियों का अध्यक्ष भी बनाया था। 1978 ई. में दूसरी बार निर्विरोध वार्ड पार्षद चुने गए।पटना विश्विद्यालय से MA, LLB की पढ़ाई के दौरान जननायक कर्पूरी ठाकुर के संपर्क में आए और 1980 में लोकदल के टिकट से किशनगंज विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और उस वक्त के सब से दिग्गज कांग्रेसी नेता जनाब रफीक आलम को पराजित कर पहली बार विधायक बने। 1985 में कांग्रेस के ही प्रत्याशी को पराजित कर दूसरी बार विधायक बने। 1989 के आम लोक सभा चुनाव में जनता दल द्वारा इच्छा के विरुद्ध प्रत्याशी बनाए गए जिसमें मौलाना असरारुल हक़ कासमी (जो 1985 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से लड़े थे और सैयद शहाबुद्दीन ने उनको पराजित कर दिया था) वह भी निर्दलीय चुनाव लड़ गए और इस लड़ाई में कांग्रेस के प्रत्याशी और राजीव गांधी के मित्र एम.जे. अकबर से मात्र 13000 मतों से पराजित हो गए। पुन: 1990 के विधान सभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर तीसरी बार कांग्रेस को हराकर लालू यादव के सरकार में (अल्पसंख्यक कल्याण, युवा कार्य, खेल एवं संस्कृति विभाग) के मंत्री बने। 1995 के विधानसभा चुनाव में जिले के तीनों विधानसभा में सबसे अधिक मत लाकर भी चुनाव हार गए। 1996 के लोकसभा चुनाव में लालू यादव ने टिकट नहीं दिया तो जनता दल छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़े। 1998 का लोकसभा 2000 ई. 2005 फरवरी एवं 2005 नवंबर में अंतिम बार विधानसभा चुनाव लड़े। 15 वर्ष तक आम आदमी को मालिक समझ कर उनकी सेवा की। रात हो या दिन हमेशा गरीबों मजदूरों और जरूरतमंदों के वक्त और जरूरत पर उनके साथ खड़े रहते थे। खासतौर से पुलिस और प्रशासन के मामले में बेझिझक लोगों की मदद करते थे। उन्होंने हमेशा सियासत को इबादत समझा। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई स्कूल, कॉलेज, मदरसा, मस्जिद, मंदिर का निर्माण कराया अपने मंत्रिमंडल में शारीरिक शिक्षक के रूप में सैकड़ों लोगों को रोजगार देने का काम किया जो किशनगंज ही नहीं पूरे बिहार में आज सरकारी शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं। बहुत ही कम उम्र में लगातार चुनाव में हार और चिंता के कारण डिप्रेशन में चले गए, और लंबे डिप्रेशन के कारण अल्जाइमर नाम की भूलने की बीमारी से ग्रस्त हो गए। अंतिम समय में किसी को नहीं पहचानते थे यहां तक कि अपने बीवी बच्चे को भी नहीं पहचानते थे। और फिर 7 अक्टूबर 2015 को 63 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। आज भी स्व० मुन्ना मुस्ताक को चाहने वाले उनको याद कर आँखों मे आंसू आ जाता है। स्व० मुन्ना मुस्ताक के पुण्यतिथि पर बड़ी संख्या में उनके चूडिपट्टी आवास पर श्रद्धांजलि दे आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

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