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किशनगंज : जिले के 10 से 16 साल के किशोरों को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत दी जायेगी टीडी वैक्सीन।

टेटनस व डिप्थेरिया से बचाता है टीडी वैक्सीन, आरबीएसके टीम करेगी टीकाकरण में सहयोग।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत 10 से 16 वर्ष के किशोर किशोरियों को टीडी वैक्सीन की दो खुराक से आच्छादित किये जाने के संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने जरूरी निर्देश दिये हैं। निर्देश में टेटनस व डिप्थेरिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव के लिए किशोर किशोरियों को टीडी वैक्सीन की दो खुराक से आच्छादन अपेक्षानुरूप नहीं होने को लेकर इसे सुदृढ़ किये जाने के लिए कहा गया है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह के द्वारा टीडी टीकाकरण टेटनस व डिप्थेरिया जैसे रोग से बचाव के लिए 10 से 16 वर्ष के किशोर किशोरियों को टीका देने का निर्देश प्राप्त हुआ है। कम उम्र के किशोरों को इन दोनों रोगों का खतरा अधिक होता है। इसलिए जिले में इस आयुवर्ग के किशोर किशोरियों को यह टीकाकरण शतप्रतिशत सुनिश्चित किया जायेगा। ज्ञात हो कि पूर्व से ही गर्भवती महिलाओं के लिए टीडी का पहला टीका आरंभिक गर्भावस्था में और दूसरा टीका पहले टीके से एक माह बाद दिया जाता है। वहीं बूस्टर डोज तब दिया जाता, यदि गर्भधारण पिछली गर्भावस्था के तीन वर्ष के भीतर हुआ हो और टीडी की दो खुराक दी जा चुकी हो। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति के प्राप्त निर्देश के आलोक में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। इसी स्वास्थ्य जांच के क्रम में ही बच्चों को टीडी की वैक्सीन लगायी जानी है। इस वैक्सीनेशन के तहत टीका के दो खुराक दिये जायेंगे। इसमें आरबीएसके टीम की भूमिका महत्वपूर्ण है। टीडी वैक्सीनेशन को लेकर पीएचसी स्तर से आरबीएसके टीम को हर जरूरी मदद उपलब्ध कराने का निर्देश है। विद्यालयों में टीकाकरण के बाद इसका दैनिक प्रतिवेदन संबंधित पीएचसी को उपलब्ध कराया जाना है। टीडी वैक्सीनेशन के लिए संबंधित कर्मियों को जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी के माध्यम से जरूरी प्रशिक्षण दिया जायेगा। निर्देश में आरबीएसके टीम में कार्यरत चिकित्सक यह सुनिश्चित करेंगे कि विद्यालयों के लिए निर्धारित कार्ययोजना में टीडी टीकाकरण समाहित हो। निर्देश में कहा गया है कि प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि आरबीएसके टीम के पास पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन उपलब्ध हो तथा टीका लगाने के लिए एएनएम का सहयोग लिया जायेगा। डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि टेटनस एक संक्रामक बीमारी है, जो बैक्टीरियम क्लोस्ट्रेडियम टेटानी नामक बैक्टीरिया से होता है। किसी घाव या चोट में संक्रमण होने पर टेटनस हो सकता है। उच्च रक्तचाप, तंत्रिका तंत्र का ठीक से काम नहीं करना, मांसपेशियों में ऐंठन, गर्दन व जबड़े में अकड़न, पीठ का धनुषाकार होना इसके लक्षण हैं। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। चिकित्सा के बावजूद मृत्यु दर काफी उच्च है। इसे गलाघोंटू के नाम से भी जाना जाता है। सांस लेने में दिक्कत, गर्दन में सूजन, बुखार एवं खांसी इसके शुरुआती लक्षण होते हैं। इसका जीवाणु पीड़ित व्यक्ति के मुंह, नाक एवं गले में रहता और छींकने या खांसने से यह दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है। साथ ही सेंटर फॉर डिजीज प्रीवेंशन एंड कंट्रोल के मुताबिक टेटनस और डिप्थेरिया से बचाव के लिए टीडी वैक्सीनेशन किया जाता है। ये दोनों ही संक्रामक रोग हैं। डिप्थेरिया संक्रमण से रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है। गर्दन में सूजन, बुखार व खांसी रहता है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ कुमार ने बताया कि सेंटर फॉर डिजीज प्रीवेंशन एंड कंट्रोल के मुताबिक टेटनस और डिप्थेरिया से बचाव के लिए टीडी वैक्सीनेशन किया जाता है। ये दोनों ही संक्रामक रोग है।

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