ताजा खबरदेशप्रमुख खबरेंब्रेकिंग न्यूज़विचार

अपनी दुर्दशा के लिए हिन्दू स्वयं जिम्मेवार हैं – कृष्ण देवानंद सरस्वती

मेरा यह संदेश केवल आपके लिए है।क्योकि आपतो चिंतित रहते हो धर्मरक्षा को लेकर।क्योकि आपको चिंता है जिहाद के रोज रोज होते हमलों की,क्योकि आपको हिन्दू राष्ट्र चाहिए?इस लिए मेरा यह संदेश आपके लिए है।यदि आप को लगता है कि ये संदेश गलती से आपके पास आ गया तो क्षमा करें ।क्या आपको पता है कि आज हिन्दुओ की दुर्दशा का कारण क्या है ? शायद आपका उत्तर वामपंथियों की चालें, मुसलमानो के द्वारा किये गए अत्याचार, सत्ताओं और राजनैतिक दलों का छलावा या संगठनों की कमजोरी होगी,लेकिन ये सही उत्तर नही है।
आपने कितनी आसानी से अपनी कमियों को छुपा कर अपना दोष दुसरो पर डाल दिया ना।चौकिये मत मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूँ कि असली कारण केवल हम हैं, जी हम अर्थात आप और मैं जानते है क्यो ?

क्योकि हमारे पास नया मोबाइल खरीदने, अपने सारे शौक पूरे करने, अपने परिवार को हर सुख देने, नया फर्नीचर खरीदने, नई गाड़ी खरीदने, नया घर बनवाने छुट्टियों में घूमने जाने के लिए पैसे को कोई कमी नही है और तो और अधिकांश के पास तो शराब जैसे व्यसन के लिए भी पैसे है लेकिन स्वयं की सुरक्षा के लिए शस्त्र खरीदना हो या धर्मरक्षा के लिए आर्थिक सहयोग देना हो तो हमारे पास धन का अभाव हो जाता है ।हम अचनाक आर्थिक संकट में आ जाते है 100-200 रु भी भारी पड़ने लगता है। मैं ये इस लिए भी कह रहा हूँ कि हमारे पास टीवी दोस्तो के साथ टाइम पास करने के लिए समय है, हमारे पास मोबाइल पर बड़ी बड़ी बाते करने के लिए समय है, हमारे पास फेसबुक और व्हाट्सअप के लिए हर दिन 2 से 5 घंटे तक का समय है।
हमारे पास टीवी और फ़िल्म देखने का भी समय है, हम मौज मस्ती और मटर गश्ती के लिए भी समय निकाल लेते है, लेकिन यदि बात धर्मरक्षा के लिए धरातल पर समय देने की हो तो हम अत्याधिक व्यस्त हो जाते हैं दुनिया के सारे काम हमारे सिर पर आ जाते हैं।यदि हमें कोई व्यक्तिगत काम हो तो हम अनजान शहर में भी पहचान निकाल कर संबंध बना लेते हैं।लेकिन यदि बात धरातल पर 5 लोगो को जोड़ने की हो तो हम दुनिया के सबसे निरीह प्राणी बन जाते हैं सोच कर देखिए,यदि मेरे पास धर्मरक्षा के लिए धन का अभाव है तो दूसरों के पास धन कहाँ से आएगा?यदि मेरे पास ही समय नही है तो दूसरा क्या खाली बैठा होगा ? यदि मैं ही 5 लोग नही जोड़ पा रहा, तो दूसरा कोई कैसे जोड़ लेगा अब एक बार पुनः सोचें तो कमी किसमे है ? नेताओ में, संगठनों में, सत्ताओं में, मुसलमानो में या स्वयं हम में ? तो यदि कमी हमारे अंदर है तो दुनिया पर उंगली उठाने से क्या होगा ? स्वयं को सुधारें तो दिशा और दशा दोनों सुधार जाएगी।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button
error: Content is protected !!