ताजा खबरब्रेकिंग न्यूज़राज्य

अररिया : गाफिल की जयंती पर श्रद्धांजलि सभा का हुआ आयोजन।

जिला प्रशासन से स्व.गाफिल के नाम पर कोई न कोई गाफिल मेमोरियल अवार्ड शुरू करने की मांग की..

अररिया/अब्दुल कैय्युम, शाने सीमांचल कवि रत्न और स्टेज के महान उद्घोषक हारून रशीद गाफिल के 57वीं जयंती गुरुवार को गैयारी स्थित उनके आवास पर मनाई गई। फैज अदब संस्था के सौजन्य से आयोजित इस श्रंधाजली सभा की अध्यक्षता सत्येंद्र शरण ने की। जबकि कार्यक्रम का संचालन कमर मासूम ने किया। मौके पर महान लेखक और आलोचक हक्कानी उल कासमी, परवेज आलम, अरशद अनवर अलिफ, अमित कुमार अमन, दीपक दास, मोहतासिम अख्तर, सरफराज आलम, वसीकुर रहमान, शफीउल होदा, मु मोकर्रम, अब्दुर् रब आदि ने हारून रशीद गाफिल की जीवनी और उनके उपलब्धि पर विस्तार से प्रकाश डाला। विदित हो की स्व गाफिल एक कवि, लेखक, पत्रकार, वकील, साक्षरता कर्मी और एक महान स्टेज अनाउंसर थे। सैकड़ों एवार्ड से सम्मानित गाफिल साहब की मौत की खबर ने सबको चौंका दिया था। बेवक्त उनकी मौत ने सीमांचल के सबसे लोकप्रिय शख्सियत को खो दिया। उनकी शायरी को लोग आज भी हर मौके पर लोग गुनगुनाते मिल जाएंगे। उन्होंने कुलहैया भाषा को अपनी शायरी के माध्यम से एक अलग पहचान दी। आज भी उनकी ये शायरी प्रासंगिक है, जिसमे उन्होंने कहा था की कुछ दूर साथ चल कर राहें अलग हुई है, तुम हो गए किसी के मैं हो गया किसी का। वो एक अवामी शायर थे। उन्होंने ही कहा था जमीर बेच कर जिंदा रहूं ये नामुमकिन ,मैं अपने आप से दंगा करूं ये नामुमकिन, जमाना तुझको मसीहा कहे ये मुमकिन है, लेकिन मैं तुझे मसीहा कहूं ये नामुमकिन ! उनके पुत्र मामून रशीद ने कहा कि कार्यक्रम में जितने लोग शामिल है वो हमारे अभिभावक और पिता तुल्य हैं। आप सभी का मुझे आशीर्वाद चाहिए। जिला प्रशासन का कोई भी बड़ा कार्यक्रम उनके बगैर अधूरा होता था। ऐसे में मौजूद लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है की उनके नाम पर कोई न कोई गाफिल मेमोरियल अवार्ड शुरू करनी चाहिए। महान कथाकार रेणु के बाद अररिया की पहचान बने गाफिल को सभी ने नम्र आंखों से श्रद्धांजलि दी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button