जिलाधिकारी पटना डॉ चंद्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में फसल अवशेष के प्रबंधन हेतु जिला स्तरीय अंतर्विभागीय कार्य समूह की बैठक समाहरणालय सभागार में की गई।

शिवानंद गिरी पटना:-बैठक में जिलाधिकारी ने वर्तमान परिवेश में फसल अवशेष प्रबंधन की प्रासंगिकता एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि वायु प्रदूषण को रोकने , मानव / पशु स्वास्थ्य की सुरक्षा तथा मिट्टी की उर्वरता एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु फसल अवशेष का प्रबंधन जरूरी है। इसके लिए किसानों के बीच व्यापक जन जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया गया तथा विभिन्न विभागों को किसानों के बीच फसल अवशेष का प्रबंधन करने तथा फसल अवशेष को खेतों में नहीं जलाने हेतु जागरुक एवं प्रेरित करने को कहा गया। बैठक में कृषि विभाग, वन एवं पर्यावरण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, सहकारिता विभाग ,पंचायती राज विभाग तथा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों को फसल अवशेष प्रबंधन संबंधी व्यापक प्रचार प्रसार करने का निर्देश दिया गया।
जिला शिक्षा पदाधिकारी को स्कूल में बच्चों को चेतना सत्र में फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में अवगत कराने तथा जागरूकता फैलाने हेतु उनके बीच पंफलेट का वितरण करने का निर्देश दिया गया।
बैठक में अवगत कराया गया कि विगत वर्ष कुल 69 किसान तथा वर्तमान वर्ष में 2 किसान पराली जलाने में पकड़े गए हैं जिन्हें कृषि विभाग एवं सहकारिता विभाग की योजनाओं का लाभ लेने से वंचित कर दिया गया है। ऐसे किसान पैक्स के माध्यम से अपने धान की बिक्री भी नहीं कर सकते। वर्तमान वर्ष में धनरूआ प्रखंड के सुनील केवट ग्राम बिचावर ,पंचायत नदवां धनौरी तथा शंभू कुमार सिंह ग्राम तारा पंचायत डेवां को पराली जलाते हुए पकड़ा गया तथा उन्हें कृषि सहकारिता विभाग की योजनाओं का लाभ लेने से वंचित कर दिया गया है।
जिलाधिकारी ने कृषि विभाग / मनरेगा से वर्मी कंपोस्ट बनाने को कहा गया । उन्होंने पालीगंज एवं मसौढ़ी क्षेत्र में वर्मी कंपोस्ट बनाने की कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
पुआल नहीं जलाकर उसका प्रबंधन करने में कृषि यंत्र अत्यंत उपयोगी है। स्ट्रा बेलर, हैप्पी सीडर रीपर कम बाइंडर स्ट्रॉ रीपर रोटरी मल्चर जीरो टिल सीड -सह – फर्टिलाइजर ड्रिल है। प्रयुक्त होने वाले कृषि उपकरण तथा उसका मूल्य एवं अनुदान की स्थिति निम्न वत है-
रोटरी मल्चर 250000
सुपर सीडर 247500
स्ट्रा रीपर350000
सीड सह फर्टिलाइजर ड्रिल 90000
रीपर कंबाइंड 520000
हैप्पी सीडर 240000
उपरोक्त सभी यंत्र में मूल्य का 75% अनुदान सामान्य वर्ग एवं 80% अनुदान एससी एसटी इबीसी के लिए है।
जिलाधिकारी ने कृषि यंत्रों की उपयोगिता तथा उसके अनुदानित मूल्य की जानकारी अधिक से अधिक किसानों के बीच करने का निर्देश जिला कृषि पदाधिकारी को दिया गया साथ ही उन्हें कृषि यंत्र के प्रैक्टिकल उपयोगिता की जानकारी देने का निर्देश दिया गया।
पराली जलाने से निम्नलिखित हानि है-
– पर्यावरण प्रदूषित होता है। ओजोन परत का क्षरण होता है। वायु प्रदूषित होती है।
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पैदा होती है।
– मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण के कारण मनुष्य में श्वसन संबंधी समस्या पैदा होती है जो अस्थमा के रूप में परिलक्षित होता है।
– मृदा के तापमान में वृद्धि होने से उसके सतह की कठोरता बढ़ती है तथा जल धारण करने की क्षमता में कमी होती है । साथ ही उर्वरा शक्ति एवं पोषक तत्व की हानि होती है।
अंततः फसलों की पैदावार कम होती है। इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण तथा मानव एवं मृदा स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु फसल अवशेष का प्रबंधन जरूरी है तथा किसानों के बीच व्यापक जागरूकता की आवश्यकता है।
यद्यपि सरकारी स्तर पर किसानों के बीच व्यापक जागरूकता एवं पैदा की जा रही है फिर भी अगर किसान के द्वारा जानबूझकर खेतों में पराली जलाने की कार्रवाई की जाती है तो वैसे किसानों को चिन्हित कर उन्हें कृषि विभाग एवं सहकारिता विभाग की योजनाओं का लाभ लेने से वंचित कर दिया जाएगा तथा वैसे किसानों को चिन्हित कर प्राथमिकी दर्ज भी की जाएगी।
बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी श्री विभु विद्यार्थी जिला शिक्षा पदाधिकारी श्री अमित कुमार जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री प्रमोद कुमार जिला पंचायत राज पदाधिकारी श्री संजय कुमार वर्मा सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे।