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पुर्णिया : पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में 32 मामलों की हुई सुनवाई, जिसमें 10 मामलों का किया गया निष्पादित।

पूर्णिया/धर्मेन्द्र सिंह, पुलिस  कप्तान पुर्णिया श्री दयाशंकर द्वारा संचालित पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में आज 22 अक्टूबर को 32 मामलों की सुनवाई की गई। जिसमें से 10 मामलों को निष्पादित किया गया। 6 परिवारों केंद्र के सदस्यों द्वारा समझा बुझाकर उनका घर फिर से बसा दिया गया। 4 परिवार समझाने पर भी समझने के लिए तैयार नहीं हुए तो उन्हें थाना अथवा न्यायालय के शरण लेने का निर्देश दिया गया। मामले को सुलझाने में केंद्र की संयोजिका सहमहिला थाना अध्यक्ष किरण बाला, सदस्य दिलीप कुमार दीपक, जीनत रहमान, प्रमोद जायसवाल एवं कार्यालय सहायक नारायण गुप्ता ने अहम भूमिका निभाई। के नगर थाना की नूरजहां ने बताइ की बस्ती में जब-जब पंचायती होता है तब तब मेरे पति पांच 10 दिन के लिए रखते हैं उसके बाद मारपीट कर भगा देते हैं मुझे पति से एक पुत्र है और वर्तमान समय में 5 महीने की गर्भवती हूं। मेरी मां विधवा है आमदनी का कोई स्रोत नहीं है। समझाने बुझाने के पश्चात दोनों एक साथ मिलने के लिए तैयार हो गए और भविष्य में कभी कोई शिकायत नहीं होने का आश्वासन दिया। वही रुपौली थाना के लाखों खातून ने अपने पति शहादत पर आरोप लगाया कि पिछले 10 साल से उसने उसे छोड़ रखा है। कभी कोई भरण पोषण नहीं देता है। सास, ससुर, पति सभी मिलकर मारपीट करते हैं उसके शादी के 15 वर्ष बीत चुके हैं इन 15 वर्षों में 5 वर्ष ससुराल में रही। 10 वर्षों से मायके में रह रही है। 5 वर्षों में जब तक पति के साथ रही 3 बच्ची पैदा हुई लड़की होने के कारण भी बराबर ससुराल वाले ताना देते हैं कि लड़की पैदा क्यों किया। लड़का पैदा क्यों नहीं किया। मैं अपनी बड़ी बेटी की शादी में अपने पिता से ₹55000 लेकर और स्वयं सिलाई कढ़ाई कर रुपया इकट्ठा कर बेटी की शादी की। प्रतिवादी ने कहां यह गलत कहती है शादी में मैंने डेढ़ लाख रुपया दिया। आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहा तब केंद्र के हस्तक्षेप पर और काफी समझाने बुझाने पर पति अपनी पत्नी और बेटियों को साथ ले जाने के लिए तैयार हो गया और केंद्र से ही पत्नी और बेटी को लेकर विदा हो गया। सदर थाना के नीलगंज कोठी के गोविंद कर्मकार अपनी पत्नी शुक्ला कर्मकार पर आरोप लगाया की शादी के बाद से पत्नी ज्यादातर मायके में रहना पसंद करती है। पिछले 7 महीने से मायके में रह रही है वर्ष 2011 में शादी हुई है वही पत्नी बताती है की बेटे की आंख में गड़बड़ी है किंतु पिता उसका इलाज नहीं कर पाता है मैं अपने बच्चे के भविष्य को बर्बाद होते नहीं देख सकती। पति त्योहार के अवसर पर कपड़ा मिठाई इत्यादि नहीं देते हैं काफी तकरार के बाद इस बात पर सहमति होती है की प्रत्येक दिन पति अपनी पत्नी के साथ में 300 रुपया घर खर्चे के लिए दिया करेगा। इस पर सहमति हो जाती है और दोनों पक्ष बॉन्ड पेपर पर अपना अपना दस्तखत और छाप लगाकर केंद्र से खुशी विदा हो जाते हैं।

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