किशनगंज : बच्चों को संक्रमण से बचाव को लेकर नियमित टीके से 80 फीसदी तक बढ़ सकती हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता:-सिवल सर्जन

नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को सुदृढ कर शत-प्रतिशत लक्ष्य को किया जायेगा हासिल।
- नवजात बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नियमित टीकाकरण है बहुत जरूरी।
- नियमित टीकाकरण दिवस पर बच्चो के सम्पूर्ण टीकाकरण को लेकर दिया जा रहा है जोर।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो कोविड की तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की संभावना है। ऐसे में नियमित टीकाकरण मात्र से ही बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को 80 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया जिले में नियमित टीकाकरण लगभग 72 प्रतिशत तक हुआ है। इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है। इसी कड़ी में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि कार्यक्रम अंतर्गत 12 प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण किया जाता है। नियमित टीकाकरण के आच्छादन में गिरावट होने से जानलेवा बीमारियों के संक्रमण के बढ़ने की संभावना बनी रहती है। छूटे हुए बच्चों में वैक्सीन प्रीवेंटबल डिजिज के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। आरआई दिवस (बुधवार एवं शुक्रवार) को नियमित टीकाकरण का कार्य अनिवार्य रूप से कराया जाए। वही नियमित टीकाकरण में तेजी लाने के लिए रणनीति विकसित करें। ताकि महामारी और संबंधित गतिविधियों के कारण उभरने वाले टीकाकरण अंतराल को दूर किया जा सके। नियमित टीकाकरण (आरआई) के लिए विशिष्ट दिनों की पहचान की जानी चाहिए और गतिविधियों की योजना इस तरह से बनाई जानी चाहिए कि समय एवं कार्यबल की भागीदारी आदि के संबंध में आरआई का कोविड टीकाकरण गतिविधियों के साथ कोई ओवरलैप न हो।
सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया जब तक कोरोना से बचाव के लिए बच्चों का टीका नहीं आ जाता हैं तब तक बच्चों को नियमित टीके ही समय से लगवा कर उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को 80 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इसीलिए जिले में बच्चों के टीकाकरण का कार्य लगातार चल रहा है। अभिभावकों से अपील हैं कि आपलोग अपने बच्चों को टीका अवश्य लगवाएं। नियमित टीका लगवाकर बच्चों को पोलियो, हेपेटाइटिस, टीबी, डीपीटी और टिटेनस जैसी अन्य बीमारियों से सुरक्षित के साथ ही कोरोना संक्रमण से भी बचाया जा सकता है। जिसकी इम्युनिटी मजबूत है वह कोरोना को मात देने में सक्षम हैं। इसलिए माता-पिता अपने बच्चों को नियमित रूप से लगने वाले टीका लगवाने में किसी भी तरह से लापरवाही नही बरते। बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए ज़िले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर अभिभावक टीका कार्ड के हिसाब से सेंटरों पर पहुंचकर टीके निःशुल्क लगाए जाते हैं।
नियमित टीकाकरण पर जोर देते हुए सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने कहा यह एक स्वस्थ्य राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कायर्क्रम है जो गर्भवती महिलाओं से आरंभ होकर शिशुओं को पांच साल तक नियमित रूप से दिये जाते है। यह टीके शिशुओं को कई प्रकार के जानलेवा बीमारियों से बचाता हैं। नवजात बच्चों को दिया जाने वाला टीका शिशुओं के शरीर में गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित और मजबूती प्रदान करता हैं। इस प्रकार कई तरह के जानलेवा बीमारियों से शिशुओं को बचने के खास टीके विकसित किये गये हैं, जिनका टीकाकरण करवाना आवश्यक है। डॉ. श्री नंदन ने बताया बच्चे को रोगों से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण बहुत ज्यादा जरूरी है। न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है।
बच्चों को दिए जाने वाले जरूरी टीके।
- जन्म होते ही ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी।
- डेढ़ महीने बाद ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1
- ढाई महीने बाद ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2
- साढ़े तीन महीने बाद ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2
- 9 से 12 माह के अंदर मीजल्स 1, मीजल्स रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए।
- 16 से 24 माह में मीजल्स 2, मीजल्स रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2।
- अस्पताल जाने के समय बगैर मास्क के घर से बाहर न निकले।
- अस्पताल में टीका दिलाते समय शारीरिक दूरी का पालन करें।
- टीका दिलाते समय बच्चों को अपने गोद में रखें।
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छोटे बच्चों को नियमित रूप से समय-समय पर हाथ धोने के लिए प्रेरित करें।
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घर में बाहर से आने वाले लोगों से बच्चों को दूर रखें।
यह भी हैं जरूरी :
5 से 6 साल में डीपीटी बूस्टर 2, 10 साल में टिटनेस, 15 साल में टिटनेस, गर्भवती महिलाओ को टिटनेस 1 या टिटनेस बूस्टर के साथ ही बच्चा छह महीने से कम का है, तो 6 महीने तक नियमित रूप से केवल स्तनपान कराएं। स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है।