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विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं और ज्यादा सशक्त हों, वक्ताओं ने दिया बल।।..

त्रिलोकी नाथ प्रसाद महिला जीवन के विभिन्न पहलुओं में सुधार पर चर्चा : शिक्षा, सुधार, अधिकार और व्यवहारिकता” विषय पर सेमिनार सह वेबिनार का किया गया आयोजन

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के पटना स्थित प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो (आरओबी) तथा पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा “महिला जीवन के विभिन्न पहलुओं में सुधार पर चर्चा : शिक्षा, सुधार, अधिकार और व्यवहारिकता” विषय पर सेमिनार सह वेबिनार का आयोजन किया गया।

अतिथि वक्ता के रूप में शामिल पटना की शिक्षाविद् श्रीमती नीलिमा सिंह ने कहा कि एक औरत जब पढ़ती है, तो पूरा घर संस्कारित और शिक्षित होता है और उससे पूरा समाज शिक्षित होता है। एक दौर था जब बालिकाओं की शिक्षा को महत्व नहीं दिया जाता था। लड़कों को ही शिक्षा का हकदार माना जाता था। लड़के और लड़कियों की शिक्षा में भारी अंतर देखने को मिलता था। लेकिन हमें इस अंतर को पाटने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महिला और पुरुषों में समानता होनी चाहिए। किसी भी प्रकार का वर्ग भेद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आदर करना चाहिए, तिरस्कार नहीं। उन्होंने कहा कि महिलाओं का सत्ता में भागीदारी अनिवार्य है। महिलाओं की पूर्ण स्वतंत्रता तब तक नहीं मिल सकती जब तक कि सत्ता में उनकी भागीदारी ना हो। उन्होंने कहा कि सत्ता में भागीदारी का अर्थ नीति निर्माण में और निर्णय लेने के अधिकार से है। उन्होंने औरतों की सुरक्षा को बेहद जरूरी माना है।

अतिथि वक्ता के रूप में शामिल एम्स पटना कि स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सोनल धीरज ने कहा कि महिलाएं घर की सभी जिम्मेदारियों को निभाते–निभाते खुद को ही भूल जाती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान ख्याल रखना चाहिए। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखना चाहिए तभी वह फैमिली का भी ख्याल रख सकती हैं। उन्होंने कहा कि लड़के और लड़कियों में बिल्कुल भी अंतर नहीं किया जाना चाहिए। लड़कियां लड़कों से बिल्कुल भी कमतर नहीं है। वे सशक्त हैं।

अतिथि वक्ता के रूप में शामिल पटना की पहली महिला ऑटो चालक सरिता पांडे ने कहा कि हमारा समाज न केवल पुरुष प्रधान समाज है बल्कि यहां महिला और पुरुषों में गैर बराबरी भी बहुत ज्यादा है। उन्होंने कहा कि समाज में जो समानता महिलाओं को मिलनी चाहिए वह नहीं मिलती है। यहां तक कि महिलाओं को पुरुषों के समान समान वेतन भी नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जब नारी सृष्टि की रचियता है तो फिर उसका सम्मान क्यों नहीं किया जाता है? उन्होंने कहा कि जब एक ही मां की कोख में लड़का और लड़की दोनों पलता है तो फिर उसमें भेद क्यों किया जाता है?

अतिथि वक्ता के रूप में शामिल पटना हाईकोर्ट की अधिवक्ता स्वास्तिका ने कहा कि मेरी नजर में महिलाएं दबी–कुचली नहीं बल्कि सशक्त हैं। उन्होंने कहा कि महिला और पुरुष एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं। अगर एक भी पहिया पंचर हो जाता है तो गाड़ी आगे नहीं बढ़ पाएगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह हर पुरुष की सफलता के पीछे महिला का हाथ होता है, उसी तरह हर महिला के सफलता के पीछे पुरुष का भी हाथ होता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएं अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल भी करती हैं। खासकर धारा 498 ए का गलत इस्तेमाल बड़े पैमाने पर देखने को मिला है। महिलाओं को अपने अधिकारों का सही प्रयोग करना आना चाहिए और अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीआईबी एवं आरओबी के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि समाज के निर्माण में महिलाओं का योगदान अतुलनीय है। महिलाएं किसी भी समाज और परिवार का मूल स्तंभ होती हैं। उनका आदर और सम्मान करना एक स्वस्थ समाज के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि पुरुष एवम महिलाओं के बीच बेहतर पारस्परिक संबंध जरुरी है और दोनों की आपसी सहमति से ही एक सशक्त समाज का निर्माण संभव है।

सेमिनार सह वेबिनार का संचालन आकाशवाणी, पटना की समाचार संपादक डॉ सविता पारीक ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आरओबी, पटना की वरिष्ठ कलाकार अंजना झा ने किया। कार्यक्रम में आरओबी पटना के निदेशक विजय कुमार, पीआईबी के सहायक निदेशक संजय कुमार, बिहार स्थित सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी सहित आमजन मौजूद थे।

 

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