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पांच घंटे दर्द से कराहती रही गर्भवती डीएम के आव-भगत में लगे रहे सीएस…

पांच घंटे दर्द से कराहती रही गर्भवती डीएम के आव-भगत में लगे रहे सीएस और डॉक्टर कहा जाता है कि सदर सहित अन्य सरकारी अस्पताल में सिर्फ पैरवी-पहुंच वालो का इलाज होता है।बाकी बच गये तो ठीक वरना राम नाम सत्य है ।खगड़िया सदर अस्पताल में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना हुई है।मंगलवार की सुबह 8 बजे से दोपहर 3 बजे तक एक गर्भवती महिला तड़पती रही और पूरा सदर अस्पताल प्रशासन डीएम के आव-भगत में लगा रहा।इस बीच महिला के गर्भ में बच्चा मर गया लेकिन ना तो कोई डॉक्टर आया और ना ही कोई कम्पाउंडर।मंगलवार की सुबह आठ बजे से लेकर दोपहर के दो बजे तक उमा देवी नामक गर्भवती महिला सहित दर्जनों मरीज इंतजार करते रहे लेकिन इलाज छोड़ डॉक्टर साहब डीएम के स्वागत में लगे रहे।हाय रे सरकारी अस्पताल और यहां की व्यवस्था. इधर…मंगलवार को गर्भवती महिला सहित सैकड़ों मरीज समय से डॉक्टर के नहीं पहुंचने के कारण दर्द से छटपटाते रहे।जबकि सभी डॉक्टर और सिविल सर्जन डीएम के द्वारा उद्घाटन कार्यक्रम में व्यस्त रहे।जा सकती थी जान इधर समय पर इलाज नहीं होने के कारण प्रसूता उमा देवी नामक महिला की जान भी जा सकती थी।अंत मे थक हारकर गर्भवती महिला उमा देवी के परिजनों ने खगड़िया स्थित निजी अस्पताल में इलाज करवाया जिससे महिला की जान बच सकी।जानकारी के अनुसार खगड़िया के गोगरी नगर पंचायत वार्ड एक निवासी संजय मिश्र की गर्भवती पत्नी उमा देवी मंगलवार की सुबह सात बजे गोगरी रेफरल अस्पताल में इलाज के लिये पहुंची तो ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने बेहतर इलाज के लिए खगड़िया रेफर कर दिया।जिसमें सरकारी एम्बुलेंस से इमरजेंसी मेडिकल टेकनिशियन सुभाष कुमार के साथ खगड़िया भेजा गया।वहां गोगरी के इमरजेंसी मेडिकल टेकनिशियन सुभाष कुमार ने एम्बुलेंस का भाड़ा परिजनों से मांगने लगा जबकि गर्भवती और बुजुर्गों के लिए एम्बुलेंस सेवा फ्री में दिये जाने का प्रावधान है।काफी बहस होने के बाद गोगरी के अस्पताल प्रबंधक विजय कुमार के द्वारा भाड़ा देने से मना करने के बाद मामला शांत हुआ।वहीँ गोगरी के गर्भवती महिला उमा देवी के पति संजय कुमार मिश्र ने बताया सदर अस्पताल में सुबह सात बजे से मरणासन्न की हालत में पत्नी के साथ डॉक्टर का इंतजार करते रहे लेकिन एक बार डॉक्टर मंजू कुमारी आई और अल्ट्रासाउंड करवाने को कहने के बाद जो गयी फिर नहीं आई।यहां कोई महिला कर्मी भी नहीं थी।जिससे इलाज के बारे में पूछा जा सके,वहीँ परिजन संजय मिश्र ने बताया की करीब दोपहर के तीन बजे के बाद तक जब कोई भी डॉक्टर अस्पताल में पेशेंट का हाल जानने नहीं पंहुचा तो मज़बूरी में खगड़िया में ही निजी अस्पताल में लाकर आपरेशन करवाया।जिससे पेशेंट की जान बच सकी।इधर मरीज उमा देवी के पति संजय मिश्र ने बताया की हमारे साथ सदर अस्पताल खगड़िया में किये गए अभद्र व्यवहार को लेकर डीएम को आवेदन देकर ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और सिविल सर्जन के खिलाफ कारवाई की मांग करेंगे।कहते हैं सिविल सर्जन की जब इस मामले में सिविल सर्जन अरुण कुमार सिंह से पूछा गया तो उनहोंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा की सदर अस्पताल में ऐसा कोई मरीज नहीं पहुंचा है।यदि आया भी होगा तो इलाज में कोई कोताही नहीं हुई होगी।लापरवाही का इल्जाम सरासर गलत है।

रिपोर्ट-न्यूज़ रिपोटर 

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