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पटना : बिहार के लिए गौरव हैं दोनों भाई..

पटना/श्रीधर पाण्डे, आईएएस की प्रतिष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं यह हर युवाओं की सपना, चाहत एवं उम्मीद की पंख को नई ऊर्जा प्रदान करता हैं।यूँ तो यूपीएसी द्वारा संचालित इस परीक्षा में हर साल लाखों विद्यार्थी एक सपना संजोए शामिल होते हैं लेकिन उसमें सिर्फ पॉइंट में ही लोग सफल हो पाते हैं जो जोश, जुनून एवं आत्मविश्वास से लबरेज होने के साथ विपरीत परिस्थितियों में भी विचलित होने वाले नहीं होते।इसमें सफल विद्यार्थियों का इतिहास भी शानदार देखने को मिलता हैं एक तरफ सभी सुख सुविधाओं से युक्त लोग भी होते हैं जिनकी सफल प्रतिशतता कम होती हैं वही दूसरी तरह विभिन्न तरह की कष्ट एवं चुनौतियों को झेलते हुए सफलता छीनकर लाने वाले छात्र होते हैं जो आज नए कृतिमान स्थापित कर रहे है।यूपीएससी की प्रक्रिया में आत्मविश्वास बना रहना महत्वपूर्ण है क्योंकि जब आप आत्मविश्वास रखते हैं तो लड़ाई आधी जीत ली जाती है।यहाँ हर कोई निराश हो जाता है जब वह अंतिम सूची में अपना नाम नहीं पाता है।पूरे चक्र को फिर से दोहराने के लिए एक फिर वही प्रक्रिया है।यह एक कभी न खत्म होने वाले चक्र की तरह दिखता है जब कोई सफलता का स्वाद नहीं ले पाता है।इस समय, विश्वास एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए विश्वास रखें कि यदि आप इस बार सफल नहीं हुए, तो अगली बार आपके लिए कुछ बेहतर होगा।इस परीक्षा की प्रकृति ऐसी है कि कोई भी टॉपर चयनित होने के बारे में निश्चित नहीं है, तो अच्छी रैंक लाने की सोच तो बहुत दूर हैं।गैर-चयन और शीर्ष रैंक में चयन के बीच एक बहुत ही महीन रेखा है जैसे कि एक क्रिकेट शॉट के बीच एक छक्के के लिए सीमा रेखा के पार जाना और सीमा से ठीक पहले बाहर निकलना।अपने आप पर विश्वास करें कि आप इसे कर सकते हैं और आप निश्चित रूप से करेंगे।आज हम बात करेंगे बिहार कैडर के एक युवा आईएएस अधिकारी की जिन्होंने गांव की दहलीज से निकलकर यूपीएससी के चौखट को पार किया हैं वह हैं मूल रूप से जमुई के सिकंदरा एक छोटे से व्यवसायी एवं किसान सुशील कुमार के बड़े बेटे सुमित कुमार की जिन्होंने 2019 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 53वी रैंक लाकर आईएएस के लिए चयनित हुए एवं फिलवक्त नालन्दा में सहायक समाहर्ता के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं।आईएएस सुमित कुमार से हमारे प्रतिनिधि श्रीधर पाण्डेय ने विभिन्न मुद्दों पर वार्ता की जिसके सम्पादित कुछ अंश:-बातचीत के क्रम में आईएएस सुमित कुमार ने बताया कि हमलोग मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं।हमारा पूरा परिवार धार्मिक एवं शिक्षा के प्रति जागरूक हैं।दादा जी सागर लाल अपने धार्मिक कार्यो को लेकर हमेशा से दूर दूर तक चर्चा में रहते थे और सभी कार्यक्रम में भाग लेते थे।मेरे माता एवं पिता दोनों पोस्ट ग्रेजुएट हैं।पिता जी गांव में ही खेती एवं छोटी बिजनेश करते हैं मेरी माँ घर के कार्य सम्भालती हैं।शिक्षित परिवार होने की वजह से शिक्षा का महत्व पूरा परिवार जानता हैं इसलिए उन्होंने हमें उच्च शिक्षा के लिए बोकारो भेजा।हमारी प्राथमिक शिक्षा गांव सिकंदरा से ही सम्पन हुई एवं आगे की पढ़ाई 8 तक मधुपुर से किया।मिडिल क्लास में आने की वजह से पैसे को लेकर थोड़ी-बहुत परेशानी तो जरूर होती थी लेकिन मुझे स्कॉलरशिप का मौका मिलता रहा।आगे की पढ़ाई मैंने बोकारो से मैट्रिक 92 प्रतिशत अंको के साथ एवं इंटरमीडिएट 91.2 प्रतिशत अंको के साथ पास किया।उसी दरम्यान मैने आईआईटी की एग्जाम में सफलता प्राप्त की एवं कानपुर से मेटलर्जी से बीटेक किया।पैसों की क्राइसिस होने की वजह से मैंने शुरुआत में ही पीडब्लूसी जॉइन किया जहाँ लगातार दो वर्षों तक कार्य किया इसके उपरांत मैंने लिव लेकर सीएपीएफ की परीक्षा में भाग लिया जहाँ मुझे ऑल ओवर इंडिया 50वी रैंक आया और मेरा चयन एसएसबी हुई, उस समय मेरा यूपीएससी का रिजल्ट का आ गया।इसलिए मैंने वहाँ जॉइन नहीं की।यूपीएससी में 493 रैंक आया एवं रक्षा मंत्रालय के लिए मेरी सेलेक्शन हुई।वही ट्रेनिंग के दरम्यान मुझे 2019 में आईएएस में सफलता मिली एवं 53वी रैंक आया और सौभाग्य से मुझे बिहार कैडर में कार्य करने का मौका मिला एवं फिलवक्त मैं सहायक समाहर्ता नालन्दा में ट्रेनिंग ले रहा हूँ।सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले छात्रों को सुमित बताते हैं कि यूपीएससी द्वारा संचालित इस परीक्षा में कोई श्योर नहीं रहता कि इस वर्ष उसे सफलता मिलेगी ही लेकिन आपकी लगातर मेहनत एवं आत्मविश्वास इसमें सफलता निश्चित तय कर देती हैं।सिविल सेवा परीक्षा (CSE) एक मैराथन दौड़ की तरह है, जहाँ किसी को अलग-अलग चरणों में अलग-अलग गति से दौड़ना होता है और इसलिए उसकी शक्तियों और कमजोरियों का आकलन करते हुए तैयारी करनी होती है।किसी की ताकत का फायदा उठाने के लिए तेज होना चाहिए और कमजोरियों को दूर करना होगा।यह मैराथन दौड़ 3 चरणों (प्रारंभिक, मेन्स और इंटरव्यू) में पूरी तरह से पूरा होने में लगभग एक वर्ष का समय लगता है।न केवल एक शैक्षणिक परीक्षा, बल्कि धीरज, दृढ़ता, दृढ़ संकल्प, ज्ञान, साहस, परिश्रम जैसी विभिन्न क्षमताओं का परीक्षण भी होते रहता हैं।यह उन सभी चुनौतियों से कहीं अधिक कठोर हो सकता है जो पहले की चुनौतियों का सामना करती थीं।जो भी इस प्रक्रिया से गुजरता है, चाहे वे असफल हों या सफल हों, वे सभी मेरी तरह ही एक अलग व्यक्तित्व के रूप में सामने आते हैं।मैं उस शैक्षणिक स्तर को स्पष्ट करके शुरू करूंगा जिस पर किसी को सीएसई की तैयारी शुरू करनी चाहिए।मैं ग्यारहवीं कक्षा से ही तैयारी शुरू कर दी है और मैंने सीएसई के लिए जिन वैकल्पिक विषयों का चयन किया है, उनके अनुसार अपने स्नातक विषय भी ले लिए हैं।मुझे लगता है कि हाई स्कूल के दिनों से सीएसई के लिए अध्ययन करने का यह तरीका उचित नहीं है।जीवन के इस समय में, अधिकांश लोग अपने हितों के बारे में जागरूक नहीं हैं, वे अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं, उनका जुनून क्या है, कौन सा करियर पथ उन्हें अंतिम संतुष्टि प्रदान करेगा।कॉलेज का वातावरण हितों को विकसित करने के लिए सही प्रदर्शन प्रदान करता है, उन्हें विभिन्न कैरियर पथों से अवगत कराता है, प्रत्येक कैरियर पथ के गुणों अवगुणों के ज्ञान के साथ प्रदान करता है, सबसे उपयुक्त कैरियर मार्ग चुनने में मदद करता है जो उनके व्यक्तित्व के साथ मेल खाता है।सभी युवाओं को मेरी सलाह है कि वे अपने जीवन में इतनी गंभीर न हों और अपने कॉलेज के दिनों का आनंद लें और बाद में विवेकपूर्ण तरीके से निर्णय लें।कोई भी व्यक्ति अपने वैकल्पिक विषय को जल्दी चुन सकता है।लेकिन यह सीएसई में उसकी सफलता के लिए एक निश्चित गारंटी नहीं है।ऐसा इसलिए है क्योंकि सीएसई में सफलता वैकल्पिक विषय में भी कई अन्य कारकों पर निर्भर करती है।ऐसा कोई मामला हो सकता है कि स्नातक विषय जो कि उसके वैकल्पिक विषय के रूप में लेने का फैसला करता है, सीएसई परीक्षा में अच्छा नहीं रहा है।सीएसई में आने वाला प्रश्न पैटर्न कॉलेज में उस विषय की पढ़ने की शैली और पाठ्यक्रम से मेल नहीं खा सकता है।सीएसई में कई वैकल्पिक विषय भी समकालीन प्रासंगिकता/वर्तमान मामलों के भाग का परीक्षण करते हैं, जो कि कॉलेज से पास होने के बाद आपको को इसे नए सिरे से पढ़ना होगा।कॉलेज के केवल 3 या 4 वें वर्ष से ही किसी एक की सीएसई तैयारी शुरू करने के लिए समझदारी है, जब वह इसके बारे में निश्चित हो जाता है।कई सफल विद्यार्थी जिन्हें 10 वीं या 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में अच्छा प्रतिशत नहीं मिला है या आईआईटी, आईआईएम आदि जैसे प्रसिद्ध कॉलेजों से नहीं पढ़ा है और आईएएस में अच्छे रैंक आये हैं।मैं इसे नहीं मानता हूं कि अगर कोई अच्छे कॉलेजों के हैं या अगर उन्हें बोर्ड परीक्षाओं में कम अंक मिले हैं तो वे नुकसान में हैं।इस मामले का सबसे ताजा उदाहरण जुनैद अहमद, CSE 2018 परीक्षा में रैंक 3 है, जिन्होंने 11वीं कक्षा में लगभग 42% 12वीं बोर्ड परीक्षा में 60% और शारदा विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।यह सभी अभ्यर्थियों के लिए बहुत स्पष्ट होना चाहिए कि सीएसई प्रक्रिया बहुत निष्पक्ष हैं और छात्रों को अपने मन में ऐसी गलत धारणाएं नहीं रखनी चाहिए और उन्हें इस परीक्षा की तैयारी अपने स्वतंत्र दिमाग से करनी चाहिए।इन गलत बात को दिमाग से निकालने से भी आत्मविश्वास बढ़ता है।सीएसई अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं से इस तरह से अलग है कि इसे पास करने के लिए बाकी के मुकाबले अलग कुशल रणनीति की आवश्यकता होती है।सिविल सर्विसेज की तैयरी कठोर परिश्रम की चीज हैं।एक रणनीति के तहत प्रतिदिन 8 से 10 घण्टे की पढ़ाई पूरी करनी चाहिए ऐसा नहीं कि आज 10 की बजाए 14 घण्टे पढ़ लिए तो कल 5 घण्टे, इसमें नियमितता बरकरार रखनी चाहिए एवं जो कुछ पढ़े उसका नोट्स अपनी भाषा मे निश्चिय ही बनना चाहिए ताकि आपकी लेखन शैली मजबूत हो सके।भगवान भोलेनाथ में गहरी आस्था रखने वाले आईएएस सुमित के पिता सुशील कुमार बताते हैं कि घर मे हमेशा से शैक्षणिक एवं धार्मिक माहौल रहा हैं।हमलोग 6 भाई हैं, सभी भाइयों ने लोगो ने उच्च शिक्षा ग्रहण कर अन्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देते आ रहे हैं।मैंने एमकॉम किया हैं एवं मेरी पत्नी मीना देवी ने भी साइकोलॉजी से पीजी की हैं।सुमित की माँ बच्चों के फ्यूचर के प्रति काफी सजग थी एवं वह उनलोगों की पढ़ाई के लिए लालटेन जलाकर खुद वही घन्टो बैठ जाती।सुमित और उसका छोटा भाई सुजीत सागर बचपन से ही मेधावी स्टूडेंट रहा हैं और भगवान बैधनाथ बाबा की कृपा से मेरे दोनों बेटे सफल हो गए हैं।बड़ा बेटा तो आईएएस बन गया हैं और हमारे लिए सौभाग्य हैं कि इसे अपने राज्य में ही काम करने का मौका मिलेगा वही दूसरा बेटा दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा हैं।सुमित की दादी जानकी देवी की हार्दिक इच्छा थी कि वह डीएम बने एवं सुमित ने आईएएस बन उनकी सपने को सच मे साकार कर दिया यह हम सब के लिए गौरव की बात हैं।

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