बेबस और लाचार आम जनता के मन की बात संपादक की कलम से।

झारखण्ड/अभिजीत दीप, मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला, ‘किस पथ से जाऊँ ?’ असमंजस में है वह भोलाभाला, अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ-‘राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।।
आखिर इतनी असमंजस में क्यों है सरकार ?
यह कैसा निर्णय है:-बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला…!! एक नोटफिकेशन उसके पीछे से अनगिनत क्लैरिफिकेशन, क्या खुलेगा, क्या बंद रहेगा ?कौन निकलेगा, कौन नहीं निकलेगा ? कहां क्या काम शुरू होगा, नहीं होगा ? इन सबके बारे में एक बार में बताना चाहिए।
देश लॉकडाउन में है लोग परेशान हैं।आज लॉक डाउन को तीसरा विस्तार मिल गया है ! सरकार को एक एक बात नोटिस में स्पष्ट करना चाहिए था ! सरकार को सोच समझकर ऐसे फैसले लेने चाहिए जो सरल हो जटिल नहीं ! जिससे आम जनों को सहजता से उसका लाभ मिल सके ! मगर सरकार पता नहीं क्यों नोटबंदी के समय भी ठोस निर्णय लेने में सक्षम साबित नहीं हो सकी और इस महामारी के समय भी डोलड्रम/संशय वाली स्थिति बनी हुई है !क्षमा करिएगा आज भी सरकार जो फैसला नित प्रति बदल रही है उससे जनता के बीच अपना विश्वास खोते जा रही है जिसका लाभ असामजिक लोग उठा रहे हैं !! उन्हें जनता को बरगलाने का मौका मिल जा रहा है ! जिसका जिम्मेदार सिर्फ सरकार है ! एक नोटिफिकेशन दे कर अफ़सर और मंत्री अपना पल्ला झाड़ लेते है, बाक़ी जनता जाने, जिसके पास पैसे है वह खा लेगा ! और जो गरीब है सभी मरेंगे तो में बहुत बड़ी समस्या सामने आने वाली है जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से राज्य के साथ साथ देश पर पड़ने वाला है ! सरकार यदि जल्द ही अपनी स्पष्ट नीति (जिसमें राजनीति ना हो, इस महामारी का बाजारीकरण ना हो) देश की जनता के समक्ष नहीं रखेगी तो आने वाले समय में देश को गरीबी, भुखमरी, अपराध आदि के रूप में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है !! आज यही चर्चा चारों ओर है यही अराजकता का कारण भी बनता है !! “मगर अफसोस कि हुक्मरान कुछ नही समझेंगे” कहने के लिये तो पिछले सवा महीने से कोई रोड पर नही आया ! पर हकीकत ये है कि कई लोग रोड पे आ गये है !!