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किशनगंज : आत्मसंयम से ही होगी आत्मसुरक्षा और मानव सेवा भी..

किशनगंज जिला प्रशासन एव पुलिस प्रशासन द्वारा इतनी मुस्तैदी से कार्य किया जा रहा है जनता को लॉक डाउन का पालन कराया जा रहा है इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।लेकिन जिले की जनता को भी हालात की गंभीरता को समझना चाहिए, सिर्फ 5 प्रतिशत लोगों के कारण सभी परेशान है।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, किशनगंज आज जब पूरी मानवता एक ऐसे विषाणु के प्रकोप से जूझ रही है जो हमारे स्वास्थ्य और जीवन के लिए एक नया खतरा होने के साथ साथ हमारी अर्थव्यस्था को दशको पीछे धकेलने की क्षमता रखता है, एक ऐसा वायरस जिसके प्रसार की श्रृंखला को यदि अतिशीघ्र ही तोड़ा नही गया तो यह जंगल की आग की तरह फ़ैल कर हमारे पूरे समाज को अपनी चपेट में लेकर अपूर्व जनहानि का कारण बन सकता है, घर के हर सदस्य को संक्रमित कर इतने लोगों को बीमार, बहुत बीमार कर सकता है कि रेस्पॉन्ड करने के हमारे सब साधन संसाधन कम पड़ जाएंगे और वह एक अकल्पनीय रूप से भयावह स्थिति होगी।क्योंकि एक बार यदि यह वायरस समाज में, समुदाय में पैर जामने में सक्षम हो गया तो इसके सोर्स को, प्रारंभिक बिन्दु को चिन्हित कर उसे अलग थलग करना असंभव हो जाएगा और तब इसे किसी प्रकार से रोक पाना शायद संभव न हो।चीन और इटली के उदाहरण हमारे सामने हैं।परिणाम होगा हजारों मौतें या शायद उससे भी अधिक।परिस्थिति बहुत गंभीर है और भयावह हो सकती है।यदि हम मानवता से प्यार करते हैं, यदि हम अपने लोगों और राष्ट्र से प्यार करते है और यदि हम वास्तव में खुद से प्यार करते है तो हमें अपने विवेक को जगाना होगा, अपने मानव प्रेम को उभारना होगा और अपनी राष्ट्रभक्ति का परिचय देते हुए हमारी सरकार, पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों और आदेशों की अक्षरशः पालना सुरक्षित करनी होगी।आज की परिस्थितियों में यह हम सभी विवेकशील समर्पित नागरिकों का प्रथम कर्तव्य है कि यह समझें कि हमारे पूर्ण और सार्थक सहयोग के बिना हमारी सरकार व प्रशासनिक संस्थाओं के भगीरथ प्रयास सफल नहीं होंगे, हमारे डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ और पुलिस- प्रशासन (जो हमारे जीवन को बचाने के लिए अपने और अपने परिवार के जीवन की परवाह न करते हुए दिन रात हमारे नागरिकों के उपचार व सुरक्षा में लगे हुए हैं) का यह समर्पण और त्याग भी व्यर्थ चला जायेगा।यदि उस भयावह असहाय स्थिति से, अपूर्व जनहानि और अराजकता से अपने आपको और अपने समाज को बचाना कहते हैं तो यह सर्प्रथम अपेक्षित है कि हम अपने घरों से बाहर नही निकलें और अन्य लोगों से नही मिलें।यह विषाणु व्यक्तियों अथवा पदार्थो से हुए स्पर्शीय संपर्क अथवा समीपता से फैलता है और मूँह, नाक व आंख से शरीर में प्रवेश कर व्यक्ति को संक्रमित कर श्वसन तंत्र और फेफड़ों पर हमला करता है।इसलिए ऐसे वायरस को रोकने के लिए यह अनिवार्य रूप से और नितांत आवश्यक है कि अन्य व्यक्तियों से सुरक्षित दूरी बनाये रखें, अनावश्यक रूप से अन्य बाहरी पदार्थो/सतहों को नहीं छुएँ और यह घर में रहकर ही संभव है, घर से बाहर कदापि नहीं।यह अपेक्षित है कि घर में भी हम स्वच्छता का पर्याप्त ध्यान रखें और साबुन से अच्छी प्रकार से अपने हाथों को धोकर ही भोजन आदि ग्रहण करें।एक ड्रिल (अभ्यास) के रूप में हम आदत डालें कि आपने हाथों से मुंह, नाक या आँखों को स्पर्श न करे। दरवाजे आदि खोलने और बन्द करने में भी आपने नॉन डोमिनेंट हैंड (सामान्यतया सहायक के रूप में काम में आने वाले हाथ) का इस्तेमाल करें।नाखूनों को ठीक प्रकार से काटकर रखे जिससे वायरस वहां घर न बना सके।इन सब व्यवहारों और संव्यवहारों के लिए अभूतपूर्व संयम की आवश्यकता है, आत्मनियंत्रण की आवश्यकता है, स्वच्छता की आवश्यकता है और अत्यंत जागरूक रहकर अपनी बहिर्मुखी और भोग की और सामान्यतया उन्मुख प्रवृत्ति को अंतर्मुखी और अल्प भोगी बनाने की आवश्यकता है।आवश्यकता है अधिक पदार्थों का संग्रहण व उपभोग न करने की।विभिन्नता में एकता लिए हुए हमारी संस्कृति में अपरिग्रह (आवश्यकता से अधिक संग्रह नहीं करना), सूफी और पीर फकीरों की तरह, जैन, बौद्ध और वैदिक पंथी साधु पुरुषों की तरह सादा, त्यागमय और प्रेममय जीवन जीने की बात की गई है और उसे मानव सेवा हेतु और आध्यात्मिक उन्नति में भी आवश्यक बताया है।उसी जीवन शैली को आज जीवन में उतारने के आवश्यकता है।आज समय है अनुशासित व स्वच्छता युक्त जीवन जीने का, अनावश्यक संग्रह नहीं करने का (जिससे भोजन आदि जीवन के अनिवार्य सामग्री अन्य भारतवासी भाई बहनो के लिए सहज ही साधारण मूल्य पर उपलब्ध रहे), समय है व कानून का स्वतः अंतःप्रेरणा से पालन करने का और एक प्रबुद्ध और जिम्मेदार नागरिक के रूप में पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग द्वारा जारी निर्देशो का पूर्णरूपेण अक्षरशः पालन करते हुए सभी अपेक्षित व्यवहारों को संपादित करने का जिससे के हमारे देश के संसाधन इस राष्ट्रीय आपदा से निपटने में काम आ सकें, ये गैर जिम्मेदार और अराजक व्यवहार को नियंत्रित करने में ही न खप जाएं।
यह इस देश के वासियों की सदा से विशेषता रही है कि गंभीर से गंभीर विषम परिस्थिति या संकट में हम साथ उठकर खड़े हुए हैं और कटिबद्ध होकर समन्वित प्रयासों से, भीषण से भीषण शत्रु या आपदा पर विजय प्राप्त की है।आइये,अंतर्मुखी होकर परिस्थिति को समझते हुए व्यवहार को मर्यादित करें, आवश्यकताओं को सीमित करें, शासन तंत्र से सहयोग करें और संकल्प लें कि मानव जाति, राष्ट्र की सेवा और अपने जनों के सुरक्षा के लिए के लिए हम एकजुट होकर संयम और सावधानी पूर्वक इस विपत्ति का सामना करेंगे और इसे परास्त कर समूचे विश्व के सामने उत्कृष्ट नागरिकता और संवेदनशील मानवीयता का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।हमें समझना होगा कि इस समय घर पर रहकर ही हम मानव जीवन की रक्षा करने में सहायक बन सकते हैं अन्यथा हमारी छोटी सी नासमझी या असंयमित व्यवहार श्रृंखलाबद्ध रूप से कई निर्दोष लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकता है।आइये, मानसिक संकल्पों की श्रृंखला बनाकर इस वायरस के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ें, घर पर रहकर अपेक्षित स्वाध्याय और परिजनों से ज्ञानवर्धक, स्वास्थ्यवर्धक चर्चा करें, तुलसी, सौंठ, लौंग आदि की चाय का नियमित सेवन करें और अपने उन सभी भाई बहनो की सलामती की दुआ करें जो स्वयं इस वायरस की चपेट में हैं और उनकी भी जो अस्पतालों में और सड़कों पर मानवता की सुरक्षा और विजय सुनिश्चित करने के लिए अपने जीवन की परवाह न करते हुए दिन रात इस परोपकार रूपी यज्ञ में लगे हुए हैं।यह आहुति हमारा न्यूनतम कर्तव्य है और मानवीय उत्तर दायित्व भी।

धन्यवाद,
कुमार आशीष
जिला पुलिस कप्तान किशनगंज

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