राजनीति

2005 की नींव, 2025 का शिखर-नीतीश कुमार के नेतृत्व में नया बिहार: डा0 अनुप्रिया यादव

मुकेश कुमार/जद (यू0) प्रदेश प्रवक्ता डा0 अनुप्रिया यादव ने सोशल संवाद करते हुए कहा कि बिहार की जनता ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि राज्य की राजनीति का केंद्र अब जाति और धर्म नहीं, बल्कि विकास, सुशासन और स्थिरता है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2005 में जिस विकास यात्रा की नींव रखी थी, वह यात्रा 2025 तक निरंतर आगे बढ़ती रही और आज बदले हुए, सशक्त और आत्मविश्वासी बिहार के रूप में पूरे देश के सामने खड़ी है।
2020 में 43 सीटों से लेकर 2025 में अभूतपूर्व परिणाम तक की यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि बिहार की जनता ने 2005 से 2025 तक विकास की निरंतरता को कभी टूटने नहीं दिया। जनता ने निष्पक्ष होकर, बिना किसी भेदभाव के, विकास को अपना पैमाना बनाया और उसी के आधार पर अपना समर्थन दिया। आज गर्व के साथ कहा जा सकता है कि बिहार अब समस्याओं का प्रदेश नहीं, बल्कि समाधान का केंद्र बन चुका है।
विपक्ष द्वारा बार-बार आंकड़ों के माध्यम से भ्रम फैलाने और झूठे दावों से जनता को दिग्भ्रमित करने के प्रयास किए गए, लेकिन बिहार की जनता सच्चाई को पहचानती है। वर्ष 2024-25 में बिहार की जीएसडीपी वृद्धि दर 10.64 प्रतिशत रही, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। वैश्विक मंदी के दौर में भी यह प्रदर्शन मुख्यमंत्री जी की मजबूत आर्थिक नीतियों और सुदृढ़ राजकोषीय अनुशासन को दर्शाता है।
ढांचागत विकास के क्षेत्र में बिहार ने ऐतिहासिक प्रगति की है। कभी राजधानी तक पहुंचने में 10-12 घंटे लगते थे, आज किसी भी जिले से पटना 5-6 घंटे में पहुंचा जा सकता है। गंगा नदी पर जहां पहले केवल गांधी सेतु था, आज जेपी सेतु, आरा-छपरा पुल, मुंगेर पुल जैसे विश्वस्तरीय ढांचेकृउत्तर और दक्षिण बिहार के बीच की आर्थिक और सामाजिक खाई को पाट रहे हैं।
महिला सशक्तिकरण बिहार की विकास यात्रा का सबसे मजबूत स्तंभ बनकर उभरा है। जीविका योजना के माध्यम से 1.30 करोड़ से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं, जो विश्व का सबसे बड़ा महिला सशक्तिकरण अभियान है। पंचायती राज में 50 प्रतिशत आरक्षण, सरकारी नौकरियों और पुलिस बल में 35 प्रतिशत आरक्षण देकर महिलाओं को निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित किया गया। आज बिहार की महिलाएं न केवल अपने परिवार बल्कि राज्य के विकास में भी नेतृत्वकारी भूमिका निभा रही हैं, और 2025 के चुनावी परिणामों में उनकी सक्रिय भागीदारी इसका जीवंत प्रमाण है।
सामाजिक न्याय के क्षेत्र में भी बिहार देश का रोल माॅडल बना है। जाति आधारित गणना के माध्यम से वंचित वर्गों की वास्तविक स्थिति को समझते हुए ईबीसी, एससी और एसटी वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई, ताकि ‘‘जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागीदारी’’ का सिद्धांत जमीन पर उतरे। उद्यमी योजना के जरिए युवाओं और महिलाओं को 10 लाख रुपये तक की सहायता और ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें नौकरी मांगने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनाया गया।
बिजली, पर्यावरण और तकनीक के क्षेत्र में भी बिहार ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। हर घर बिजली पहुंचाने के साथ-साथ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने में बिहार देश में पहले स्थान पर है। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत 5 करोड़ से अधिक पौधे लगाकर राज्य का हरित आवरण 15 प्रतिशत से ऊपर पहुंचाया गया।

 

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