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प्रेषक: डॉ. राघव नाथ झा, अध्यक्ष – विरासत एवं संस्कृति (वैदिक परंपरा)

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/आयोजक संस्था: इंटरनेशनल बिज़नेस स्टार्टअप एंड एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन (IBSEA) कार्यक्रम: इंडिया @ 2047 कॉन्फ्रेंस एवं भारत के महारथी सम्मान 4.0

वैदिक परंपरा आधारित स्टार्टअप मॉडल—2047 के विकसित भारत की आधारशिला : डॉ. राघव नाथ झा

नई दिल्ली। इंटरनेशनल बिज़नेस स्टार्टअप एंड एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन (IBSEA) के तत्वावधान में नई दिल्ली स्थित एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में “इंडिया @ 2047 कॉन्फ्रेंस एवं भारत के महारथी सम्मान 4.0” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंगलाचरण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. राघव नाथ झा के मार्गदर्शन में सनातन वैदिक गुरुकुल के शिष्यों द्वारा किया गया, जिसने समारोह को गरिमामय और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण बना दिया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में विरासत एवं संस्कृति (वैदिक परंपरा) के अध्यक्ष डॉ. राघव नाथ झा ने वैदिक ज्ञान पर आधारित एक राष्ट्रीय स्टार्टअप मॉडल प्रस्तुत किया। उन्होंने मनुस्मृति के “उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि”, ऋग्वेद के “नवो नवानि सृजति”, गणपति अथर्वशीर्ष के विघ्ननाशक सिद्धांत तथा भगवद्गीता के “नियतं कुरु कर्म त्वम्” को आधुनिक स्टार्टअप संस्कृति के मूल प्रेरक सिद्धांत बताया।

उन्होंने कहा कि वैदिक दृष्टि, तकनीकी नवाचार और उद्यमशीलता का संगम ही 2047 के विकसित भारत का आधार बनेगा। डॉ. झा के अनुसार, “विश्वं भवत्येकनीडम्” की वैदिक अवधारणा आज के वैश्विक स्टार्टअप इकोसिस्टम का मार्गदर्शक सिद्धांत है, जो मानवता के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।

सहयोगियों के प्रति आभार

डॉ. झा ने कार्यक्रम की सफलता में सहयोग देने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि—

श्री अंशुमान सिंह ने अपने प्रभावी नेतृत्व, आयोजन-प्रबंधन और दूरदर्शिता के माध्यम से पूरे कार्यक्रम को अत्यंत सफल बनाया। उनकी कार्यकुशलता आयोजन की नींव साबित हुई।

श्री दीपक बेहरा का अनुभव, मार्गदर्शन और संतुलित निर्णय-क्षमता कार्यक्रम संचालन की एक मजबूत कड़ी रही। उनके निर्देशन से आयोजन की गुणवत्ता और भी सुदृढ़ हुई।

श्री अलूर चिन्मय साई गणेश ने अपनी सक्रियता, त्वरित कार्यनिष्ठा और तकनीकी दक्षता से कार्यक्रम की विभिन्न व्यवस्थाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनकी समर्पित सहभागिता कार्यक्रम के सफल संचालन में महत्त्वपूर्ण रही।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने श्री शहजाद आलम, श्री राघव गुप्ता, श्री पीताम्बर मिश्रा, सुश्री गरिमा स्मृति सिंह, श्री पुरातन मेहता और श्री दीपेश के सहयोग की भी प्रशंसा की।

वरिष्ठ मार्गदर्शकों—पद्मनाभन, पी.वी.आर. मूर्ति, राजा सीवन, पूनम कालरा, एडवोकेट परवीन व रूही बैनर्जी—के अनुभव को उन्होंने विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण बताया।

कार्यक्रम की मंच संचालिका की लगातार 12–14 घंटे की सेवा-निष्ठा को भी उन्होंने सराहा।

युवाओं के लिए प्रेरक संदेश

अपनी प्रेरक उद्बोधन में डॉ. झा ने युवाओं से कहा कि—
“स्टार्टअप केवल आर्थिक गतिविधि नहीं, बल्कि राष्ट्र-धर्म और समाज-सेवा का सशक्त माध्यम है।”

उन्होंने युवाओं से वैदिक आदर्शों, वैज्ञानिक दृष्टि और नवाचार के संगम को अपनाकर भारत को 2047 तक विश्वमार्गदर्शक राष्ट्र बनाने का आह्वान किया।

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