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कमजोर तबके के हजारों लोगों को सरकार अनुदानित दर पर देगी चूजे

– मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए अनुदानित दर पर वितरित किए जाएंगे चूजे
* समेकित मुर्गी विकास योजना के तहत राज्य के कमजोर तबके के प्रत्येक लाभुकों को दिए जाएंगे 45 चूजे
* राज्य सरकार 8 लाख से अधिक चूजों का करने जा रही है वितरण
* राज्य के सभी 38 जिलों के 17,820 लाभुकों के बीच होगा वितरण

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार सरकार का पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग समेकित मुर्गी विकास योजना के तहत कमजोर तबके के परिवारों के बीच अनुदानित दर पर प्रत्येक परिवार 45 चूजों का वितरण करेगा। लो –इनपुट प्रजाति के इन चूजों के वितरण के लिए विभाग ने ऑफलाईन आवेदन मांगा है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में इस योजना के अंतर्गत कमजोर वर्गों के परिवारों के बीच कुल 8,01,900 चूजों का वितरण अनुदानित दर पर किया जाना है। इन चूजों को रखने के लिए भी केज निर्माण के लिए विभाग प्रति परिवार एक हजार रुपये अनुदान दिया जाएगा।
इस योजना के तहत प्रति लाभुक 45 चूजे अनुदानित दर 10 रूपये प्रति चूजा की दर से दिया जाएगा। इस योजना का लाभ राज्य के सभी 38 जिलों के लोगों को मिलेगा। इसका लाभ पाने के लिए इच्छुक व्यक्तियों को जिला स्तर पर जिला पशुपालन कार्यालय में ऑफलाईन आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ सभी आवश्यक कागजातों को भी जमा करना होगा। इन वांछित कागजातों में फोटो, आधार, वोटर आई.डी, पैन कार्ड, आवास प्रमाण पत्र शामिल है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आवेदकों को जाति प्रमाण पत्र भी देना होगा। लाभुकों का चयन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा।
*प्रति लाभुक 3,700 रुपये खर्च करेगी सरकार*
विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2025-26 में 17,820 लोगों को इस योजना का लाभ देने का लक्ष्य रखा गया है। लक्ष्य है कि इस वित्तीय वर्ष में सामान्य जाति के 5,660, अनुसूचित जाति के 11,060 और अनुसूचित जनजाति के 1100 लोगों का इस योजना का लाभ दिलाया जा सके। इस योजना में प्रति लाभुक 45 चूजों का वितरण करने पर अनुमानित व्यय 3150 रुपये है। इसमें से प्रति चूजा 10 रुपये के हिसाब से लाभुक द्वारा अनुमानित व्यय 450 रुपये होगा। वहीं सरकार प्रति लाभुक 45 चूजों के वितरित करने पर 2,700 रुपये अनुदान के रूप में देगी। साथ ही केज निर्माण के लिए प्रति लाभुक अनुदान एक हजार रुपये भी मिलेगा। इस तरह से सरकार इस योजना में प्रति लाभुक कुल 3,700 रुपये अनुदान के रूप में प्रति लाभुक खर्च करेगी। माना जा रहा है कि यह योजना न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देगी, बल्कि पशुपालन को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगी।

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