*सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी–जेडीयू और चुनाव आयोग की साठगांठ पर पानी फेरा : राजेश राम*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने जारी एक बयान में कहा है कि बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) की नकारात्मक सोच को करारा झटका दिया है। अदालत ने साफ़ कहा है कि आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में 12वाँ दस्तावेज़ मानकर स्वीकार किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने तीसरी बार यह आदेश दिया है, लेकिन चुनाव आयोग ने बीजेपी–जेडीयू के दबाव में आकर आधार कार्ड को मान्यता देने से इंकार किया और गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज के मताधिकार को छीनने की साज़िश रची। बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) तक को कारण बताओ नोटिस दिए गए, क्योंकि उन्होंने आधार कार्ड को स्वीकार किया था। यह न केवल लोकतंत्र का मज़ाक है बल्कि न्यायपालिका की खुली अवमानना भी है।
जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने स्पष्ट कहा कि आयोग द्वारा मान्य 11 दस्तावेज़ों में पासपोर्ट और जन्म प्रमाणपत्र को छोड़कर कोई भी नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं है, फिर भी वे मान्य हैं। ऐसे में आधार, जो सबसे व्यापक पहचान दस्तावेज़ है और जिसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 23(4) और फ़ॉर्म-6 में मान्यता मिली हुई है, उसे क्यों नकारा गया? यह सब बीजेपी–जेडीयू और चुनाव आयोग की साठगांठ का नतीजा है।
सुप्रीम कोर्ट का ने आदेश दिया कि आधार कार्ड को 12वाँ दस्तावेज़ माना जाएगा।इसे पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा ।तथा निर्वाचन आयोग को आज ही ज़मीनी स्तर पर पालन सुनिश्चित करने का निर्देश जारी करना होगा।
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को आधार, राशन कार्ड और EPIC को मान्य ठहराया था।
22 अगस्त को निर्देश दिया था कि जिनका नाम ड्राफ्ट सूची से बाहर रह गया है, वे आधार या अन्य दस्तावेज़ों से आवेदन कर सकते हैं।
राजेश राम ने कहा कि “आधार कार्ड हर गरीब और वंचित नागरिक के पास है। इसे मान्य न करना गरीबों की वोट छीनने की सोची-समझी चाल है। बीजेपी–जेडीयू और चुनाव आयोग की यह साठगांठ लोकतंत्र को कमजोर करने की सुनियोजित कोशिश है। कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करती है और मांग करती है कि निर्वाचन आयोग तुरंत नकारात्मक राजनीति बंद करे, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करे और मतदाता सूची में किसी भी गरीब को बाहर करने की हिम्मत न करे।”