*बिहार के सात जिलों में चलाई जा रही है पान विकास योजना*

* किसानों की आय बढ़ाने के लिए पान की खेती पर अनुदान दे रही है बिहार सरकार
* किसानों को मिलेगा 11,750 रुपये से 35,250 रुपये तक का अनुदान
* ऑनलाइन लॉटरी प्रणाली के माध्यम से होगा किसानों का चयन
* कृषि की आधुनिक तकनीक से किसानों को जोड़ने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा
त्रिलोकी नाथ प्रसाद।बिहार सरकार अपने कृषि रोड मैप के जरिए विविध प्रकार की फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए अनुदान भी दिए जा रहे हैं ताकि किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके। इसी कड़ी में बिहार सरकार के कृषि विभाग ने पान विकास योजना की शुरुआत की है। विभाग इस योजना के तहत पान की खेती करने वाले किसानों को भारी अनुदान भी दे रहा है। योजना का लाभ उठाकर किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
इस योजना के तहत दी जा रही अनुदान राशि खेती के क्षेत्र पर निर्भर करती है, जो न्यूनतम 100 वर्गमीटर (0.01 हेक्टेयर) से लेकर अधिकतम 300 वर्गमीटर तक हो सकती है। किसानों को प्रति खेती के लिए 11,750 रुपये से 35,250 रुपये तक का अनुदान मिलता है। यह राशि 50% अनुदान के रूप में दी जाती है, जहां कुल लागत 70,500 रुपये प्रति 300 वर्गमीटर निर्धारित की गई है। इससे छोटे और सीमांत किसान भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
*योजना पर करीब 5 करोड़ होंगे खर्च*
यह योजना वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2025-26 के लिए भी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2025-26 के लिए कुल 491.385 लाख रुपये की राशि आवंटित की गई है। यह राशि पान उत्पादक किसानों को अनुदान और अन्य सहायता के रूप में प्रदान की जाएगी।
लाभार्थियों के चयन में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाती है। इसे सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन लॉटरी प्रणाली के माध्यम से चयन किया जाता है। इसके अलावा, कृषि विभाग का उद्यान निदेशालय समय-समय पर किसानों को पान उत्पादन की नवीनतम तकनीकों की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करता है।
कृषि से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार का मगही पान जिसे जीआई टैग प्राप्त है, सरकार के इस फैसले से इसके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा साथ ही बिहारी पान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पहचान कायम करने में मदद मिलेगी।
*सात जिलों के किसान ले सकते हैं लाभ*
पान विकास योजना का लाभ बिहार के सात जिलों नालंदा, नवादा, गयाजी, औरंगाबाद, शेखपुरा और वैशाली के किसान उठा सकते हैं।