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मनरेगा में बच्चों का फोटो अपलोड कर निकाली जा रही मजदूरी, पोठिया और ठाकुरगंज प्रखंड में उजागर हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा

पोठिया और ठाकुरगंज प्रखंड में इस योजना के तहत NMMS ऐप पर मजदूरों की जगह बच्चों के फोटो अपलोड किए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है

किशनगंज,05जुलाई(के.स.)। धर्मेंद्र सिंह/फरीद अहमद, “सबका साथ, सबका विकास” की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से शुरू की गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) अब जिले में फर्जीवाड़े का शिकार होती नजर आ रही है। किशनगंज जिले के पोठिया और ठाकुरगंज प्रखंड में इस योजना के तहत NMMS ऐप पर मजदूरों की जगह बच्चों के फोटो अपलोड किए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 4 जुलाई 2025 को मनरेगा पोर्टल पर दैनिक उपस्थिति दर्ज करते समय बच्चों की तस्वीरें अपलोड की गईं, जो न केवल योजना के उद्देश्य के खिलाफ है, बल्कि यह बाल श्रम निषेध कानून का भी खुला उल्लंघन माना जा सकता है।

फोटो अपलोड के इस तकनीकी प्रमाण से यह स्पष्ट होता है कि मजदूरों से कार्य कराए बिना भुगतान निकासी की जा रही है। यानी कि फर्जी नामों पर फर्जी हाजिरी लगाकर सरकारी धन की बंदरबांट हो रही है।

प्रशासनिक चुप्पी और जवाबदेही का संकट

इस घोटाले पर संवाददाता द्वारा जब पोठिया प्रखंड के कार्यक्रम पदाधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नही हो सका। ठाकुरगंज प्रखंड में भी स्थिति कुछ अलग नहीं रही। पदाधिकारी कार्यालय में अनुपस्थित पाए गए, और व्हाट्सएप के माध्यम से पूछे गए सवालों पर भी कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

क्या बच्चों से करवाई जा रही मजदूरी?

बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या विभाग बच्चों से कार्य करवा रहा है? यदि नहीं, तो फिर बच्चों की तस्वीरों के आधार पर मजदूरी भुगतान क्यों और कैसे हो रही है? यह मामला अब केवल तकनीकी त्रुटि नहीं बल्कि गंभीर वित्तीय अनियमितता और बाल अधिकारों का उल्लंघन बन गया है।

पहले भी हुए फर्जीवाड़े, कार्रवाई नदारद

ध्यान देने योग्य बात यह है कि इससे पूर्व भी दिघलबैंक प्रखंड में मनरेगा में फर्जी हाजिरी और अनियमितता की शिकायतें उजागर हुई थीं, लेकिन कड़ी कार्रवाई के अभाव में मामले दबते चले गए

जनता की मांग – हो उच्च स्तरीय जांच

स्थानीय नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की मांग है कि इस मामले की जांच राज्य की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) या सीआईडी से कराई जाए ताकि मनरेगा योजना में हो रही लूट पर अंकुश लगाया जा सके

गौर करे कि यह रिपोर्ट न केवल एक फर्जीवाड़े की पोल खोलती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अगर ऐसे मामलों में तत्काल सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो जनकल्याणकारी योजनाएं भ्रष्ट तंत्र की भेंट चढ़ती रहेंगी।

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