बिहार को बदहाली की गर्त में ढकेलने वालों को नहीं सुहा रहा राज्य का विकास – राजीव रंजन प्रसाद
मुकेश कुमार/जद (यू0) राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजीव रंजन प्रसाद ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि जिन्होंने बिहार को बदहाली की गर्त में ढकेला उन्हें आज मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के शासनकाल के दौरान बढ़ता बिहार नहीं सुहा रहा है। उन्होंने कहा कि अपने माता-पिता के 15 सालों के कुशासन को याद करने की बजाए नेता प्रतिपक्ष फर्जी आंकड़ों का इस्तेमाल कर लोगों को भ्रमित करने में लगे हैं।
तेजस्वी यादव से सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा कि उनके पिता लालू प्रसाद यादव कांग्रेस शासित यूपीए सरकार में किंगमेकर की भूमिका में थे, लेकिन बिहार के विकास के लिए उन्होंने क्या-क्या काम करवाए पहले जरा ये उन्हें अपने पिता से पूछना चाहिए? विशेष राज्य के दर्जे की रट लगा रहे नेता प्रतिपक्ष को अपने पिता से पूछना चाहिए कि यूपीए सरकार के दौरान केंद्र के कद्दावर मंत्री रहते लालू प्रसाद यादव ने उस दौरान राज्य को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिलाया? खुद को अति पिछड़ा समुदाय का हितैषी एवं जननायक कर्पूरी ठाकुर का शिष्य होने का झूठा दावा करने वाले लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार में मंत्री रहते जनननायक को भारत रत्न दिलाने की मांग क्यों नहीं की? केंद्र की एनडीए सरकार पर सवाल उठाने से पहले उन्हें ये भी जानना चाहिए कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की कोशिशों के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उन्हें भारत रत्न से नवाजा और अति पिछड़ा समुदाय को सम्मान देने का काम किया।
बिहार में वर्तमान सरकार के दौरान खराब कानून व्यवस्था का आरोप लगाने और हत्या का झूठा आंकड़ा दिखाकर लोगों को भ्रमित करने वाले तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 37 महीने तक अपनी सरकार में राजनीतिक रोजगार देने का काम किया तो उस दौरान उन्होंने राज्य में कानून व्यवस्था की हालत में सुधार करने को लेकर क्या कदम उठाए इसका जवाब देना चाहिए। महज आंकड़ों की बाजीगरी कर तेजस्वी यादव लाख झूठ बोलने की कोशिश करें लेकिन बिहार की जनता ये बखूबी जानती है कि किसके शासनकाल में वो सुकून कि जिंदगी जी रहे हैं। जिन्होंने लालू यादव-राबड़ी देवी के उस कुशासन के दौर को देखा है वो ये कभी नहीं भूल सकते कि उस राज में राज्य में कुल 118 जातीय नरसंहार हुए और 812 लोगों की जानें गईं।
इन नरसंहारों में ज्यादातर दलित समुदाय के निर्दोष लोगों की जान गई लेकिन लालू प्रसाद यादव की सरकार ने किसी दलित परिवार के आंसू पोछने का काम नहीं किया यहां तक कि रसूख के दम पर मामलों को भी मैनेज किए गए। करीब 12 हजार महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटना, 5 हजार 243 लोगों का फिरौती के लिए अपहरण, सांप्रदायिक दंगों में हजारों लोगों की मौत ये उस दौर की तमाम घटनाएं हैं जिनका दंश बिहारवासियों ने झेला है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की सरकार और केंद्र की एनडीए सरकार मिलकर बिहार का सही मायनों में विकास कर रही है। तेजस्वी यादव को अगर ये सब नहीं दिखता है तो एक बार वो बिहार के दौरे पर निकलें और राजनीति का चश्मा हटाकर देखें कि किस तरह बिहार के अलग-अलग जिलों में सड़कों, पुलों,पुलियों का जाल बिछा है और धड़ल्ले से गाड़ियां उन सड़कों पर दौड़ रही हैं। तेजस्वी यादव गांवों में घूमें और देखें कि किस तरह मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की सरकार में हरेक गांव और कस्बा सड़क संपर्क से जुड़ा है, टोलों में गली-गली पक्की सड़कों का निर्माण हुआ है साथ ही गलियां और नालियां चमक रही हैं। ग्रामीण इलाकों में आज 20 से 22 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कराई जा रही है। लालू प्रसाद यादव के शासनकाल के दौरान गांवों तो क्या शहरों तक में बिजली उपलब्ध नहीं थी और राज्य की कुल बिजली उपलब्धता महज 700 मेगावाट थी। राजधानी पटना को महज 7 से 8 घंटे बिजली उपलब्ध हुआ करती थी और गांवों का क्या हाल था इसका पता उन बिहारवासियों को है जिन्होंने उस कुशासन को झेला है। आज मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के शासनकाल में रिकाॅर्ड 8000 मेगावाट बिजली की उपलब्धता है और अकेले राजधानी पटना को 800 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराई जा रही है।
तेजस्वी यादव नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें फर्जी आंकड़े दिखाने और सवाल पूछने की बजाए विकास की वर्तमान सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए और लोगों से माफी मांगनी चाहिए कि उनके माता-पिता ने जिस बिहार को बदहाली, बदनामी की गर्त में ढकेलने का काम किया उस बिहार को आज मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने संवारने का काम किया है।