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किशनगंज में भवन निर्माण विभाग की बड़ी अनियमितता उजागर: निर्माण पहले, टेंडर बाद में!

किशनगंज,05जून(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, किशनगंज में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के बीच भवन निर्माण विभाग की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जिले के कोषागार परिसर में लाखों रुपये की लागत से बने गार्ड रूम का निर्माण तो पूरा हो गया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस निर्माण के बाद विभाग ने टेंडर जारी किया।

निर्माण पहले, टेंडर बाद में – नियमों की खुलेआम उड़ाई धज्जियां

सूत्रों के अनुसार, कोषागार परिसर में बने गार्ड रूम का निर्माण कार्य पूरी तरह संपन्न हो चुका है। लेकिन जब भुगतान की प्रक्रिया और फाइलों की जांच शुरू हुई, तब यह सामने आया कि इस निर्माण के लिए पूर्व में कोई वैध टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी। उल्टा, काम पूरा होने के बाद 9 मई 2025 को भवन निर्माण विभाग ने टेंडर जारी किया, जिसकी निविदा खोलने की तिथि 22 मई 2025 निर्धारित की गई थी।

खास ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का आरोप

स्थानीय ठेकेदारों और नागरिकों का आरोप है कि यह पूरा मामला एक विशेष ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए रचा गया था। निर्माण पहले ही उसी ठेकेदार से करवा लिया गया और बाद में टेंडर की प्रक्रिया केवल कागज़ी खानापूर्ति के लिए की गई। इससे स्पष्ट होता है कि विभागीय अधिकारियों और ठेकेदार के बीच गहरी सांठगांठ रही है।

अधिकारी दे रहे गोलमोल जवाब

इस मामले में जेई राजेश कुमार ने कहा कि वे हाल ही में पदस्थापित हुए हैं और इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं कह सकते। वहीं, प्रभारी कार्यपालक अभियंता ओम प्रकाश ने टेंडर के बाद निर्माण से जुड़े सवालों पर फोन पर बात करने से इनकार करते हुए कॉल काट दी।

जनता और जनप्रतिनिधियों में आक्रोश

इस गंभीर अनियमितता पर स्थानीय नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधियों ने भ्रष्टाचार निरोधक इकाई, निगरानी ब्यूरो, से जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह मामला केवल सरकारी पैसे की बंदरबांट नहीं, बल्कि पूरी सरकारी व्यवस्था की साख पर सवाल खड़ा करता है।

सचिव ने जताई सख्ती

भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि ने इस मामले को गंभीर बताया है। उन्होंने कहा, “निर्माण कार्य पूरा होने के बाद उस पर टेंडर निकालना नियमों के खिलाफ है। समाहरणालय से सटे कोषागार परिसर में गार्ड रूम का निर्माण बिना डीएम की अनुमति कैसे हुआ, यह जांच का विषय है।”गौर करे कि किशनगंज में उजागर हुआ यह मामला दर्शाता है कि कैसे सरकारी विभागों में नियमों की अनदेखी कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। अब देखना यह है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होती है या फिर यह भी महज एक फाइल बनकर बंद दरवाज़ों के पीछे दबा दिया जाएगा।।

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