65 फीसद आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करें
कुणाल कुमार/पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा कि जाति जनगणना की घोषणा विपक्ष द्वारा निरंतर राजनीतिक आंदोलन का परिणाम है, सरकार को जनगणना और संरचनात्मक सुधारों के लिए सख्त समयसीमा की घोषणा करनी चाहिए। सीपीआई ने लगातार वैज्ञानिक जाति गणना की वकालत की है जो भारत की सच्ची सामाजिक वास्तविकताओं को दर्शाती है। देश में सबसे पहले केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने जातिय जनगणना कराई थी। बिहार में जातिय जनगणना के बाद बिहार विधान मंडल से पारित 65 फीसद आरक्षण को केंद्र की नौवीं अनुसूची में शामिल करें।
भाकपा राज्य सचिव ने 2021 में होने वाली आम जनगणना में हो रही अक्षम्य देरी पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि चार साल बाद, स्पष्ट समय-सीमा के अभाव में पुराने आंकड़ों के आधार पर नीति-निर्माण हो रहा है। केंद्र सरकार को जनगणना के लिए तत्काल एक निश्चित कार्यक्रम की घोषणा करनी चाहिए।
सीपीआई आरक्षण पर मनमाने ढंग से लगाई गई 50 फीसद की सीमा को हटाने की अपनी मांग भी दोहराती है। इस संरचनात्मक बाधा को दूर किए बिना और सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार को पुनर्जीवित किए बिना, जाति जनगणना सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने के अपने उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकती।
अब मोदी सरकार पर ईमानदारी और राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ काम करने की जिम्मेदारी है। सीपीआई सामाजिक न्याय, लोकतांत्रिक डेटा सिस्टम और न्यायसंगत प्रतिनिधित्व के लिए संघर्ष का नेतृत्व और उसे तेज करना जारी रखेगी।