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बिहार के पूर्व गृह सचिव डा ए के बिस्वास के निधन पर शोक सभा आयोजित

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार के पूर्व गृह सचिव डा ए के बिस्वास के निधन पर पटना के अम्बेडकर सेवा एवं शोध संस्थान (अम्बेडकर भवन) में आज एक शोक सभा आयोजित की गई। कल दिन के 3 बजे के करीब उनका कोलकाता में निधन हो गया था। वे बिहार कैडर के ias थे।

बिहार के पूर्व गृह सचिव, लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डा जिया लाल आर्य ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि डा ए के बिस्वास उनसे साथ–आठ साल जूनियर बैच के ias थे। इस अवसर पर उन्होंने दलितों–आदिवासियों को प्रमोशन में आरक्षण मिलने पर सामान्य लोगों के विरोध की चर्चा करते हुए कहा कि आरक्षित वर्ग के लोगों को अपनी क्षमता दिखाकर जताना चाहिए कि हम किसी से कम नहीं। उन्होंने इस संदर्भ में जयपाल सिंह मुंडा और होमी जहांगीर भाभा का उदाहरण दिया।

आइएएस रहे प्रख्यात अंबेडकरवादी और बौद्ध विद्वान बुद्धशरण हंस ने किंचित भावुक होते हुए कहा कि मैंने उनसे इतिहास, सामाजिक व्यवस्था और सामाजिक सरोकार को जीने का तरीका सीखा। उन्होंने बताया कि जिम्मेदार सरकारी पद पर रहते हुए व्यवस्था से कैसे टकराया जाता है और समाज को रास्ता दिखाया जाता है, यह डा बिस्वास से सीखा जा सकता है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए वीर कुंअर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति प्रो रमाशंकर आर्य ने डा बिस्वास के साथ अपने नजदीकी संबंधों की जानकारी देते हुए बताया कि डा बिस्वास जब तिरहुत कमिश्नरी के कमिश्नर और बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति थे उन्हीं दिनों बिहार विश्वविद्यालय के नाम में भीम राव आंबेडकर जोड़ा गया था जिसका भारी विरोध हुआ था, लेकिन विरोध के बावजूद डा बिस्वास ने बिहार विश्वविद्यालय के बदले हुए नाम को जारी रखने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

शोक गोष्ठी में बिहार के स्वास्थ्य विश्वविद्यालय के कुलपति डा एन के बिस्वास ने बताया कि दिल्ली एम्स में उनके इलाज के दौरान भेंट हुई थी।

ई. ओमप्रकाश ने कहा कि डा बिस्वास प्रशासनिक जगत से ज्यादा बौद्धिक जगत में विख्यात थे। उन्हें दलित सवालों को सामने लाने की दिलेरी के लिए भी जाना जाएगा।

ई. राजेन्द्र प्रसाद ने डा बिस्वास की पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रशासनिक–सामाजिक–रचनात्मक योगदान का विस्तार से खाका खींचा।

पटना मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल से सेवानिवृत्त शहर के प्रख्यात ent और सोशल एक्टिविस्ट डॉ पी एन पी पाल ने महाबोधि मंदिर बोधगया में बौद्धों की उचित भागीदारी के आंदोलन के मुद्दे को बिहार विधान सभा में पहुंचने में डा बिस्वास की पहल का जिक्र करते हुए बहुजन बुद्धिजीवियों की सामाजिक जिम्मेदारी की जरूरत को रेखांकित किया।

डा मुसाफ़िर बैठा ने डा बिस्वास से अपने परिचय और उनकी अंग्रेजी पुस्तक ’अंडरस्टैंडिंग बिहार’ के अपने द्वारा किए गए अनुवाद और पुस्तक के अबतक अप्रकाशित रह जाने का अनुभव साझा किया।

बिहार प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी देवेन्द्र रजक ने अपनी बात रखते हुए बिहार अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ के सचिव का श्रद्धांजलि संदेश भी पढ़ा।

सोशल एक्टिविस्ट एवं कवयित्री रंजु राही, ई. विश्वनाथ चौधरी आदि ने भी गोष्ठी को संबोधित किया।🙏

बीएमपी के पुलिस महानिदेशक ए के अम्बेडकर, सुरेश पासवान, ओमप्रकाश राय, डा रामसूरत, सुरेश महतो, बिभाश कुमार, डा आनन्द दीप, सौरभ कुमार, राजनारायण पासवान, राजीव कुमार, अमित कुमार राज, राजनारायण पासवान आदि भी सभा में उपस्थित रहे।

उपस्थित लोगों ने महानिर्वाण प्राप्त डा ए के बिस्वास की फोटो पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि व्यक्त की।

अंत में उनके सम्मान में दो मिनट का मौन भी रखा गया।

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