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डीएम द्वारा लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के 18 मामलों की सुनवाई की गई।…

कार्यों में शिथिलता तथा लोक शिकायत निवारण में अरूचि एवं संवेदनहीनता के आरोप में एक लोक प्राधिकार से स्पष्टीकरण किया गया।..

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम

जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में तथा बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 के तहत प्रथम अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में एक लोक प्राधिकार से स्पष्टीकरण किया गया।

डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत एवं सेवा शिकायत के कुल 18 मामलों की सुनवाई की गई। 08 मामलों का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया तथा 10 मामलों में अंतरिम आदेश पारित किया गया। कार्यों में शिथिलता तथा जनहित के मामलों में संवेदनहीनता के आरोप में लोक प्राधिकार प्रखंड विकास पदाधिकारी, पंडारक से स्पष्टीकरण किया गया।

दरअसल अपीलार्थी मो. आफताब आलम, ग्राम$पोस्ट-खजपुरा, प्रखंड$अंचल-पंडारक, अनुमंडल-बाढ़, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। अपीलार्थी की शिकायत शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन एवं शिक्षकों द्वारा वित्तीय अनियमितता किए जाने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, पंडारक द्वारा प्रभारी प्रधानाध्यापक, मध्य विद्यालय, ममरखावाद, पंडारक के विरूद्ध कतिपय आरोप को प्रमाणित करते हुए उनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा सक्षम प्राधिकार प्रखंड विकास पदाधिकारी, पंडारक-सह-सचिव, प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई, पंडारक से की गई थी। परन्तु प्रखंड विकास पदाधिकारी, पंडारक-सह-सचिव, प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई, पंडारक द्वारा इस मामले में प्रभारी प्रधानाध्यापक के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना, शिक्षा) ने भी इसी आशय का प्रतिवेदन दिया है। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रखंड विकास पदाधिकारी, पंडारक का रवैया लोक शिकायतों के प्रति असंवेदनशील है। उनका प्रतिवेदन भी अस्पष्ट एवं असंतोषजनक है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, बाढ़ के समक्ष दिनांक 29.02.2024 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग आठ महीना से अधिक की अवधि बीत जाने के बाद यह मामला अभी भी प्रखंड विकास पदाधिकारी, पंडारक-सह-सचिव, प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई, पंडारक के स्तर पर ही लंबित है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने दिनों में भी समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। अस्पष्ट प्रतिवेदन देने, लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार प्रखंड विकास पदाधिकारी, पंडारक-सह-सचिव, प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई, पंडारक से कारण-पृच्छा की गई। साथ ही उन्हें निदेशित किया गया कि सुनवाई की अगली तिथि 29.11.2024 से पूर्व परिवाद का नियमानुसार निवारण करते हुए कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ सुनवाई में उपस्थित रहेंगे।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों एवं सेवा शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।

 

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